महाराष्ट्र में भीषण बारिश ने किसानों को पहुंचाया भारी नुक़सान

उस्मानाबाद जिले के तुलजापुर तहसील के हरिभाऊ गाते ने अपने खेत में सोयाबीन की फसल बोई थी और उन्हे उम्मीद थी कि वे इस फसल से कम से कम 50,000 रुपये कमा लेंगे। इस मानसून में उनकी यह आखिरी उम्मीद थी क्योंकि पैसों की कमी के कारण वे इस साल दलहन की बुआई नहीं कर पाए थे। लेकिन, मंगलवार से हो रही भारी बारिश ने उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया; उनकी पूरी फसल बह गई क्योंकि उनका खेत नदी के बहुत करीब था।
गाते ने बताया कि, "हमारे गांव में 50 प्रतिशत के करीब खेतों में अभी भी पानी भरा है। यहां तीन दिनों से तूफान चल रहा था। हमने अक्टूबर के महीने में इस तरह की बारिश कभी नहीं देखी।" वे महाराष्ट्र के उन लाखों किसानों में से एक हैं, जिन्होंने बेमौसम भारी बारिश के कारण अपनी खरीफ की फसल खो दी है।
महाराष्ट्र के तीन क्षेत्रों- मराठवाड़ा, पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण में मुख्य रूप से भारी बारिश हुई है। उत्तर महाराष्ट्र में, अहमदनगर सबसे अधिक प्रभावित जिला है। मराठवाड़ा, बीड और उस्मानाबाद की नदियों में भी बाढ़ दिखाई दी हैं, जो नवंबर के अंत तक सूखेगी।
सांगली जिले की मिरज तहसील के मनोज गायकवाड़ ने अपने गाँव आराग में टमाटर और बेबी कॉर्न में दो फसलें बोई थीं। लेकिन अकेले सांगली जिले में सोमवार को 560 मिमी बारिश हुई है और नतीजतन मनोज की फसलें पानी में डूब गई हैं। "मकई की फसल दो एकड़ और टमाटर की एक एकड़ में बढ़ रही थी। मकई पूरी तरह से खराब हो गई है। मैंने गायों के चारे के लिए मकई को काट लिया है। केवल 30 प्रतिशत टमाटर बचे हैं। मैंने बुधवार को पौधों को वापस खड़ा करने के लिए फिर से अतिरिक्त 5,000 रुपये खर्च किए। लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो बारिश के कारण इस सीजन में मेरा नुकसान 2 लाख रुपये है, "गायकवाड़ ने कहा।
मौजूदा बिगड़े हालात से निपटने के लिए किसान संगठन किसानों की तत्काल मदद की माँग कर रहे हैं। अखिल भारतीय किसान सभा, महाराष्ट्र के महासचिव डॉ॰ अजीत नवले ने कहा है कि सरकार को किसानों को तत्काल राहत देने के लिए कम से कम 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुवावजा देना चाहिए। "राजस्व विभाग के पास फसलों का विवरण पूरा हैं। इसलिए, सरकार को पंचनामा (एक किसान द्वारा किए गए नुकसान का आकलन करने की प्रक्रिया) आदि का इंतजार नहीं करना चाहिए। शुरुआत में ही सरकार को किसानों को प्रति एकड़ 20,000 रुपये दे देना चाहिए।" जो कि एक जरूरी और शुरुआती सहायता होगी। अन्य प्रक्रियाएं तब तक इंतजार कर सकती हैं," डॉ॰ नवले ने उक्त बातें कही।
किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने भी यही मांग की है। शेट्टी ने कहा, "किसानों को तत्काल राहत की सबसे ज्यादा जरूरत है। अन्यथा, उन पर कर्ज लेने का दबाव बढ़ जाएगा और इससे फिर आत्महत्याओं का दुष्चक्र चल पड़ेगा। इसलिए, सरकार को किसानों को प्राथमिक राहत देनी चाहिए।"
मुख्य रूप से धान, सब्जियाँ, सोयाबीन, दालें और विशेष रूप से तुर दाल- इस क्षेत्र में खरीफ की सबसे अधिक प्रभावित फसलें हैं। कोंकण क्षेत्र के सभी चार जिलों में धान के खेत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। कांकावली तहसील के संजय वाघरे बारिश की मार झेलते हुए कटाई कर रहे थे। उन्होंने कहा, "ये एक किस्म के चावल हैं जिनकी कटाई का ये समय है। जब हम फसल काट रहे थे तभी बारिश आ गई। मेरी कटी हुई फसल बह गई क्योंकि वह खेत के बाहर रखी थी। केवल कुछ लोग ही ऐसे थे जो अपनी फसल को तिरपाल की मदद से बचा सकते थे।"
पंकज शोभा दलवी के अनुसार, जो रत्नागिरी जिले के दापोली तहसील का एक युवक है ने बताया कि उसके क्षेत्र के करीब 80 प्रतिशत धान के खेत पानी में डूब गए है। उन्होंने कहा, कि "क्षतिग्रस्त खेतों की सही संख्या का अंदाज़ा इतनी जल्दी नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन हम देख सकते हैं कि इस बारिश ने धान की फसल को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इसका स्थानीय बाजार पर जल्द ही गहरा असर पड़ेगा।"
महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत नुकसान का पंचनामा करने के आदेश दिए हैं। उम्मीद है कि अगली कैबिनेट बैठक में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार किसानों के नुकसान के प्रति राहत और मुआवजा नीति की घोषणा करेगी।
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