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'ग्लोबल मार्च टू ग़ज़ा': इज़रायली नरसंहार के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय जन पहल

श्रमिक संघों, अधिकार संगठनों, चिकित्सा क्षेत्र और नागरिक समाज के हजारों प्रतिभागियों ने एक स्पष्ट संदेश के साथ एकता दिखाई है: "इज़रायल के नरसंहार पर अंतरराष्ट्रीय चुप्पी भी अपराध है — दुनिया अब कार्रवाई चाहती है।"
Gaza convoy
ग़ज़ा के लिए ट्यूनिसियाई काफ़िला रवाना। फ़ोटो: ट्यूनीशिया लैंड काफ़िला

 

50 से अधिक देशों के श्रमिक संघों, एकजुटता आंदोलनों और मानवाधिकार संगठनों से मिलकर बने एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन ने ग़ज़ा पट्टी में पैदल प्रवेश करने की पहल की घोषणा की है। 

हजारों अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवक काहिरा से रफ़ा सीमा तक एक विशाल पदयात्रा में भाग लेंगे। इसका उद्देश्य इज़रायल द्वारा ग़ज़ा पर लगाई गई नाकेबंदी को समाप्त करने की मांग करना और भुखमरी व लगातार बमबारी से जूझ रहे ग़ज़ा निवासियों की भयावह स्थिति को दुनिया के सामने लाना है।

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'ग्लोबल मार्च टू ग़ज़ा' का उद्देश्य

इस मुहिम को "ग्लोबल मार्च टू ग़ज़ा" नाम दिया गया है और यह फ़िलिस्तीन के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता आंदोलन का एक ऐतिहासिक क्षण बन गया है। आयोजकों ने इस पदयात्रा के पांच प्रमुख उद्देश्य बताए हैं:

  1. ग़ज़ा में भुखमरी को समाप्त करना
  2. रफ़ा सीमा पर महीनों से रुके हजारों राहत ट्रकों की अनुमति सुनिश्चित करना,
  3. एक स्थायी और सुरक्षित मानवीय मार्ग की स्थापना
  4. इज़रायल के युद्ध अपराधों को उजागर करना
  5. जिम्मेदारों को न्याय के कठघरे में लाना।

अंतरराष्ट्रीय आवाज़ें एकजुट

श्रमिक संघों, अधिकार संगठनों, चिकित्सा क्षेत्र और नागरिक समाज के हजारों प्रतिभागियों ने एक स्पष्ट संदेश के साथ एकता दिखाई है:

"इज़रायल के नरसंहार पर अंतरराष्ट्रीय चुप्पी भी अपराध है — दुनिया अब कार्रवाई चाहती है।"

पिछले 20 महीनों से जबसे इज़रायल ने ग़ज़ा पर यह अत्याचार शुरू किया, दुनियाभर में करोड़ों लोग फ़िलिस्तीनियों के समर्थन में सड़कों पर उतरे हैं — यह वैश्विक आंदोलन की एक अभूतपूर्व लहर बन चुका है।

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आयोजन समिति की बात

ग्लोबल मार्च टू ग़ज़ा की अंतरराष्ट्रीय समिति के सदस्य सैफ अबू केश्क ने BreakThrough News को बताया कि इस मार्च का उद्देश्य है:

फ़िलिस्तीनी जनता पर जारी नरसंहार को रोकना, मानवीय सहायता की बिना शर्त और तुरंत आपूर्ति सुनिश्चित करना और ग़ज़ा पर लगी "अमानवीय" नाकेबंदी को समाप्त कराना।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल पूरी तरह मानवीय है — इसका कोई राजनीतिक संबंध या आधिकारिक प्रायोजन नहीं है। सभी प्रतिभागी स्वयंसेवक हैं और अपने खर्च पर शामिल हो रहे हैं, ताकि वैश्विक एकजुटता को मज़बूत किया जा सके और चुप्पी साधे सरकारों पर जनदबाव बनाया जा सके।

काहिरा से रफ़ा तक

12 जून से विभिन्न देशों के स्वयंसेवक मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचेंगे, वहां से वे अरीश शहर जाएंगे, और फिर 15 जून को पैदल मार्च शुरू होगा। आयोजकों का कहना है कि सिर्फ रफ़ा पहुंचना ही नहीं, बल्कि वहाँ धरना देकर सीमा खोलने की मांग करना भी इस मुहिम का हिस्सा है।

प्रतिभागी इस कठिन यात्रा को ग़ज़ा के लोगों के साथ एकजुटता का नम्र प्रतीक मानते हैं, जो पिछले कई महीनों से भोजन, पानी और दवाओं से वंचित हैं और दो साल से बमबारी का सामना कर रहे हैं।

शांति और सहयोग का संदेश

जर्मनी की वकील मेलानी श्वाइट्जर ने पुष्टि की कि यह मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण और नागरिक प्रकृति का है — इसका उद्देश्य राजनीतिक सीमाओं के पार एक मानवीय संदेश देना है।

आयरिश कार्यकर्ता कारेन मोयनिहान ने बताया कि आयोजकों ने मिस्र और अन्य देशों की राजनयिक मिशनों से संपर्क किया है ताकि मार्च सुरक्षित रूप से हो सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह पहल मिस्र को दोषी ठहराने के लिए नहीं है, बल्कि उसके साथ सहयोग करते हुए इज़रायल पर वास्तविक अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने के लिए है।

उनका कहना था: "जो राज्य इन अपराधों के खिलाफ कुछ नहीं कर रहे, वे भी इस नरसंहार में भागीदार हैं — और इतिहास उनकी चुप्पी को माफ़ नहीं करेगा।"

इज़रायली बाधाएं और मानवीय संकट

यह मार्च ऐसे समय में हो रहा है जब इज़रायल द्वारा मानवीय सहायता के प्रवेश पर लगातार रोक और सहायता के प्रबंधन को एक निजी अमेरिकी कंपनी "ग़ज़ा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (GHF)" को सौंपने की योजना की वैश्विक आलोचना हो रही है। इज़रायल ने UNRWA और अन्य एजेंसियों पर हमास से सहयोग का आरोप लगाकर उन्हें हटाया।

लेकिन GHF द्वारा रफ़ा में बनाए गए वितरण केंद्रों से कोई ठोस सहायता नहीं पहुंचाई गई। इसके उलट, वहां सहायता पाने आए फ़िलिस्तीनियों पर इज़रायली सैनिकों ने गोलीबारी की, जिससे नरसंहार जैसी घटनाएँ हुईं।

UNRWA प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने इन घटनाओं की निंदा करते हुए कहा:

"भूखे लोग जब बाड़ों से टकराकर भोजन पाने को बेताब थे — वह दृश्य दिल दहला देने वाला था। यह असम्मानजनक, अराजक और असुरक्षित था।"

उन्होंने स्पष्ट कहा कि: "ग़ज़ा संकट को 'मानवीय सहायता' को हथियार बनाकर नहीं सुलझाया जा सकता।"

ट्यूनीशिया-फ़िलस्तीन एकजुटता काफ़िला। फ़ोटो: ट्यूनीशिया लैंड काफ़िला

ट्यूनिस से रफ़ा तक: ट्यूनीशियाई एकजुटता

ग्लोबल मार्च के साथ ही ट्यूनीशिया में भी एक समानांतर जन-आंदोलन खड़ा हो रहा है। मई मध्य से ही ट्यूनीशियाई नागरिक संगठनों, ट्रेड यूनियनों, छात्र समूहों और युवाओं ने एक काफ़िला तैयार किया है जो ट्यूनिस से काहिरा होते हुए रफ़ा तक जाएगा।

इस काफ़िले में प्रतीकात्मक मानवीय सहायता है, लेकिन उसका असली संदेश है:

"नाकेबंदी नहीं चलेगी, सामान्यीकरण नहीं चलेगा — फ़िलिस्तीनी आज़ादी चाहिए।"

ट्यूनीशियाई आयोजकों ने इसे "ग्लोबल मार्च का मग़रेबीय पंख (Maghreb wing)" बताया है — जो उत्तर अफ्रीका से लेकर ग़ज़ा की सीमा तक एक जनआंदोलन की नींव रखता है।

9 जून को ट्यूनिस से निकले इस काफ़िले में यूनियन सदस्य, डॉक्टर, छात्र, पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं — कुछ पहले भी लेबनान या ग़ज़ा मिशनों में भाग ले चुके हैं।

2,000 से अधिक ट्यूनीशियाई अब रास अजदीर सीमा पार कर लीबिया, फिर मिस्र होते हुए काहिरा, अरीश और अंततः रफ़ा पहुँचेंगे।

15 जून को ऐतिहासिक संगम

ट्यूनिस काफ़िला और वैश्विक मार्च दोनों का संगम 15 जून या उसके आसपास रफ़ा सीमा पर होगा। यह सिर्फ एक मीडिया इवेंट नहीं होगा, बल्कि एक खुला अंतरराष्ट्रीय विरोध-शिविर बन जाएगा।

धरने होंगे, बैनर और नारे उठेंगे,

सरकारों से नैतिक और राजनीतिक ज़िम्मेदारी लेने की माँग की जाएगी,

3,000 से अधिक राहत ट्रकों को प्रवेश देने की माँग को लेकर एक संयुक्त याचिका मिस्र और संयुक्त राष्ट्र को सौंपी जाएगी।

काफ़िले में शामिल लोग सीमा पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, चर्चा सत्र, प्रदर्शन और मीडिया अभियानों का आयोजन भी करेंगे, ताकि वैश्विक जनसमर्थन को और मज़बूती मिले और इज़रायल के अपराध दुनिया के सामने उजागर हों।

अंत में — यह सिर्फ मार्च नहीं, चेतना की पुकार है

ग्लोबल मार्च टू ग़ज़ा और ट्यूनिस काफ़िले का यह संगम फ़िलिस्तीन के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का एक निर्णायक क्षण है।

यह केवल एक सीमा की ओर मार्च नहीं है — यह दुनिया की अंतरात्मा की ओर एक कूच है। यह प्रत्यक्ष कार्रवाई की शक्ति को पुनर्जीवित करता है और घिरे हुए ग़ज़ा वासियों को संदेश देता है— "तुम अकेले नहीं हो।"

ट्यूनिस से डबलिन, केप टाउन से क्राको — पूरी दुनिया ग़ज़ा के लिए खड़ी हो रही है। नाकेबंदी और अन्याय के खिलाफ यह एकजुटता और प्रतिरोध का मार्ग रच रही है।

साभार: पीपल्स डिस्पैच

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें–

Global March to Gaza Unites World Against Israel’s Genocide

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