लगातार तीसरे दिन दिल्ली की हवा ‘ख़राब’, बड़ी राहत की उम्मीद नहीं!

नई दिल्ली: दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक बुधवार, 25 अक्टूबर को लगातार तीसरे दिन ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया और अगले कुछ दिनों में किसी बड़ी राहत की उम्मीद नहीं है। निगरानी एजेंसियों ने यह जानकारी दी।
दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सुबह 10 बजे 238 था जो मंगलवार शाम करीब चार बजे के एक्यूआई 220 से अधिक है।
Delhi's air quality in poor category for third consecutive day on Wednesday and a major improvement unlikely over next few days, according to monitoring agencies
— Press Trust of India (@PTI_News) October 25, 2023
औसत एक्यूआई पड़ोसी गाजियाबाद में 196, फरीदाबाद में 258, गुरुग्राम में 176, नोएडा में 200 और ग्रेटर नोएडा में 248 था।
दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता अगले चार से पांच दिन ‘खराब’ और ‘बेहद खराब’ की श्रेणी में रहने की आशंका है।
शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ तथा 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।
दिल्ली की वायु गुणवत्ता मई के बाद से पहली बार रविवार को ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई जो मुख्यत: तापमान में गिरावट और हवा की धीमी गति के कारण हुई। हवा की तेज गति के कारण प्रदूषक तत्व छंट जाते हैं।
मंगलवार को दशहरे के अवसर पर दिल्ली के कई हिस्सों में पटाखे जलाए जाने की सूचना मिली।
पिछले तीन साल की तरह इस बार भी पिछले महीने राष्ट्रीय राजधानी के भीतर पटाखों के निर्माण, बिक्री, भंडारण और इस्तेमाल पर व्यापक प्रतिबंध की घोषणा की गई थी।
पटाखे जलाने के चलन को हतोत्साहित करने के लिए जल्द ‘पटाखे नहीं दिए जलाओ’ नामक जन जागरुकता कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों और पटाखों एवं पराली जलाने की घटनाओं के साथ प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के कारण दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की वायु गुणवत्ता हर साल दिवाली के आस पास खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।
दिल्ली सरकार ने सोमवार को सभी जिलाधिकारियों को अपने अपने क्षेत्र में सभी प्रदूषण रोकथाम उपायों को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया था।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के ज्यादा स्तर वाले वर्तमान 13 प्रदूषण ‘हॉटस्पॉट’ के अलावा आठ और ऐसे ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान की है तथा प्रदूषण के स्रोतों पर लगाम के लिए विशेष टीम को नियुक्त किया जाएगा।
राय ने कहा कि सरकार ने दिल्ली में धूल कणों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए ‘स्प्रेसेंट पाउडर’ मिलाकर पानी का छिड़काव करने का फैसला किया गया है।
‘डस्ट स्प्रेसेंट’ में रासायनिक एजेंट जैसे कि कैल्शियम क्लोराइड, मैग्नेशियम क्लोराइड, लिग्नोसल्फोनेट्स और विभिन्न पॉलीमर हो सकते हैं। ये रसायन महीन धूलकणों को आपस में बांधते हैं और इन्हें वायु में प्रदूषण कण के रूप में घुलने से रोकते हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार 26 अक्टूबर से वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए फिर से एक अभियान शुरू करेगी। एक साल पहले उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने इसकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए इसे रोक दिया था।
दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग में सूत्रों ने कहा कि इस साल ‘‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’’ अभियान के लिए उपराज्यपाल की अनुमति आवश्यक नहीं होगी क्योंकि पिछली बार की तरह इस बार प्रतिभागियों को कोई मानदेय नहीं मिलेगा।
केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के 2019 के अध्ययन के अनुसार सड़क पर रेड सिग्नल पर इंजन को चालू रखने से प्रदूषण का स्तर नौ प्रतिशत अधिक बढ़ सकता है।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) नामक प्रदूषण नियंत्रण योजना को सक्रिय रूप से लागू करने के लिए जिम्मेदार वैधानिक निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने शनिवार को एनसीआर में अधिकारियों को निजी परिवहन को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने तथा प्रदूषण के स्तर में संभावित वृद्धि के बीच सीएनजी (संपीड़ित प्राकृति गैस) या इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो ट्रेनों की सेवाएं बढ़ाने का निर्देश दिया था।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।