थाईलैंड : आपातकाल की घोषणा को चुनौती देते हुए प्रदर्शनकारियों ने बड़ी रैलियां आयोजित की

बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाते हुए सरकार द्वारा आपातकाल की घोषणा के बावजूद हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने थाईलैंट की राजधानी बैंकॉक में डेमोक्रेसी मोनूमेंट के पास जमा रहे और ब्लॉक करना जारी रखा।और इसके साथ ही गुरुवार 15 अक्टूबर को पूरे शहर में अन्य प्रदर्शनों और रैलियों का आयोजन किया।
मोनूमेंट के पास एक सुनियोजित प्रदर्शन से पूर्व मंगलवार 13 अक्टूबर को 21 प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी के बाद से देश में राजशाही के ख़िलाफ़ विरोध तेज़ हो गया है। सुनियोजित सभा की तैयारी के लिए इन एक्टिविस्टों को उक्त कार्यक्रमों से पूर्व गिरफ्तार किया गया था।
गिरफ़्तार किए गए 21 लोगों में से केवल एक को नाबालिग होने के चलते ज़मानत मिली है जबकि अन्य 19 लोगों को ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया और छह दिनों के लिए म्यूनिसिपल कोर्ट ने हिरासत में लिया। एक पूर्व छात्र कार्यकर्ता और लंबे समय से राजशाही के आलोचक रहे जाटुपट "पाइ दाओ दिन" बुनपट्टाररकसा को बैंकॉक आपराधिक अदालत में ले जाया गया। अदालत ने इस विरोध प्रदर्शन के लिए पाई दाओ दीन के आयोजन को "देशद्रोह" बताया और उन्हें ज़मानत देने से इनकार कर दिया।
सीमा पर नियंत्रण और उग्रवादियों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अर्धसैनिक बल बॉर्डर पेट्रोल पुलिस (बीपीपी) द्वारा शेष सभी 20 बंदियों को हिरासत में रखा जा रहा है।
रिपोर्टों के अनुसार इस गिरफ्तारी के बाद प्रतिभागियों की संख्या दस हजार से अधिक हो गई और सैकड़ों प्रदर्शनकारी पुलिस मुख्यालय के बाहर रात भर डटे रहे।
बुधवार की सुबह सैकड़ों लोग डेमोक्रेसी मोनूमेंट के पास जमा होने लगे। बुधवार का निर्धारित प्रदर्शन भी दोपहर में मोनूमेंट के पास से गुजरने के लिए निर्धारित रॉयल मोटरकेड को लेकर होना था। कुछ लोगों ने अनुमान लगाया है कि इस रॉयल मोटरकेड के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों द्वारा अवज्ञा की प्रतिक्रिया में ये आपातकाल लगाई गई। प्रदर्शनकारियों को तीन-अंगुली के निशान (हंगर गेम्स फिल्म फ्रैंचाइज़ से प्रेरित) के साथ देखा गया और मोटरकेड के पास जुंटा-विरोधी नारे लगाए। इस मोटरकेड में रानी थी।
सरकार-विरोधी ये प्रदर्शन देश के सबसे बड़े कानूनों के खिलाफ एक छात्र के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ जो पूरे राजधानी बैंकॉक में भाग लेने वाले हज़ारों लोगों का गवाह बना। राजधानी के निकट थम्मसैट विश्वविद्यालय परिसर से शुरू होकर यह आंदोलन प्रयुत चान-ओ-चा की सरकार के नेतृत्व में सत्तासीन राजा और नागरिक-सैन्य जुंटा के ख़िलाफ़ एक आंदोलन में बदल गया है।
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