बिहार में फिर लौटा चमकी बुखार, मुज़फ़्फ़रपुर में अब तक दो बच्चों की मौत

बिहार में एक बार फिर चमकी बुखार (एईएस-एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) से पीड़ित बच्चों की संख्या में वृद्धि होने लगी है। मामले बढ़ने के साथ लोगों की चिंता भी बढ़ गई है। सरकार और प्रशासन भी सतर्क हो गया है। वर्ष 2019 में इस बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी।
प्रभात खबर की रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरपुर स्थित एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में इलाज को पहुंचे दो बच्चों में एईएस ही पुष्टि हुई है। वहीं, तीन बच्चे सस्पेक्टेड भर्ती हुए हैं। इनका ब्लड सैंपल लेकर लैब में जांच के लिए भेजा गया है। एईएस की पुष्टि होने वाले माधपुर देवरिया के तीन साल की मीठ्ठी कुमारी व मीनापुर के दो साल के सुभाष कुमार बताये गये हैं।
पीड़ित बच्चों में भी हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि
उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीड़ित बच्चों की रिपोर्ट मुख्यालय भेज दी गयी है। पीड़ित बच्चों में भी हाइपोग्लाइसीमिया की पुष्टि की गयी है। उनको भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया गया है।
अब तक 14 बच्चों में एईएस की पुष्टि
मुजफ्फरपुर जिले में अब तक 14 बच्चों में एईएस की पुष्टि हो चुकी है जिसमें नौ लड़के व पांच लड़कियां हैं। इलाज के दौरान दो बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं सात मामले मुजफ्फरपुर के, तीन केस मोतिहारी, दो सीतामढ़ी और एक अररिया, एक वैशाली के हैं। सीतामढ़ी व वैशाली के बच्चों की मौत इलाज के दौरान हुई हैं। अन्य 11 बच्चे स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं।
जिले का पहला केस
जिले का पहला केस एसकेएमसीएच के पीआइसीयू वार्ड में नगर क्षेत्र का आया था। नगर थाना के सरैयागंज के मुकेश साह के ढाई वर्षीय बेटे अविनाश कुमार में एईएस की पुष्टि हुई थी। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि पीआइसीयू वार्ड में भर्ती कर एईएस के प्रोटोकॉल के तहत इलाज किया जा रहा है।
एईएस के 14 केस में सात पीड़ित बच्चे मुजफ्फरपुर के
एईएस से जनवरी से लेकर अप्रैल तक जो बच्चे पीड़ित हुए है, उसमें सात बच्चे जिले के पांच प्रखंड के हैं। इसमें शहरी क्षेत्र का भी एक बच्चा पीड़ित होकर पीकू वार्ड में भर्ती है। जिले के उन पांच प्रखंडों से अधिक बच्चे पीड़ित होकर पहुंच रहे हैं, जिन प्रखंडों को एइएस के लिए डेंजर जोन माना जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार एसकेएमसीएच स्थित पीआइसीयू वार्ड में पांच जिलों से एइएस पीड़ित बच्चों को इलाज के लिए भर्ती किया गया है। इसमें मुजफ्फरपुर के सात, सीतामढ़ी के दो, वैशाली के एक, मोतीहारी के तीन, अररिया का एक बच्चा शामिल हैं।
एईएस के लिए सभी स्तर पर अलर्ट
दो दिन पहले बढ़ते मामलों के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एईएस से लोगों को किसी प्रकार की परेशानी न हो, इसको लेकर हम लोगों ने पूरी तरह से तैयारी कर ली है। डॉक्टर और प्रशासन भी इसको लेकर पूरी तरह सतर्क हैं। लोगों को भी अलर्ट किया जा रहा है। एईएस के लिए सभी स्तर पर अलर्ट कर दिया गया है।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक हाजीपुर के पांच वर्षीय कुंदन की बुधवार को मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में मौत हो गई थी। कुंदन को 11 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 12 अप्रैल को उसके एईएस पीड़ित होने की पुष्टि हुई थी। जांच रिपोर्ट में हाइपोग्लाइसीमिया (शुगर लेवल गिर जाना) के कारण एईएस होना पाया गया था। यह इस साल एसकेएमसीएच में एईएस से दूसरी मौत है। सीतामढ़ी के एक बच्चे की मौत भी एईएस से हो चुकी है।
राज्यस्तरीय टास्क फोर्स बनी
एईएस पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग ने राज्यस्तरीय टास्क फोर्स बनाई है। ये टास्क फोर्स मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, समस्तीपुर, दरभंगा, सीवान, गोपालगंज, मोतिहारी, बेतिया, सारण और शिवहर में एईएस पर होने वाले कार्यों की निगरानी करेगी। विभाग ने इन जिलों को इस संबंध में पत्र भेजा है।
पहले 200 बच्चों की हो चुकी है मौत
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2019 में पूरे बिहार में करीब 200 बच्चों की मौत हुई थी जबकि मुज़फ़्फ़रपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसकेएमसीएच) में करीब 120 बच्चों की मौत हुई थी। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार एक जनवरी से चार जुलाई तक जेई/एईएस से 450 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 117 बच्चों की मौत हुई थी। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015-16 में बिहार में पांच साल से कम उम्र के 48फीसदी बच्चे दिमागी बुखार के कारण मौत का शिकार हो गए थे। इनमें से अधिकतर बच्चों की मौतें हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर के कारण हुई थीं।
चमकी बुखार की वजह
आम बोलचाल में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को चमकी बुखार कहा जाता है। इससे ग्रसित मरीज का शरीर अचानक सख्त हो जाता है और मस्तिष्क तथा शरीर में ऐंठन शुरू हो जाती है। आम बोलचाल में इसी ऐंठन को चमकी कहा जाता है।
किस उम्र के बच्चे होते हैं चमकी बुखार का शिकार
बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 1 से 15 साल तक के बच्चे इस बीमारी से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसकी एक वजह इम्यूनिटी का कमजोर होना हो सकता है। बहुत अधिक गर्मी तथा नमी के मौसम में इस बीमारी की प्रभाव अधिक बढ़ जाता है।
चमकी बुखार के लक्षण
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को निरंतर तेज बुखार रहता है। शरीर में ऐंठन होती है। कमजोरी के चलते बच्चा बेहोश भी हो सकता है। कभी-कभी तो शरीर सुन्न भी हो जाता है और झटके लगते रहते हैं।
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