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सरकार! हमारे, आपके लिए होम मेड मास्क ठीक हैं, लेकिन फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए?

मोदी जी को समझना होगा कि हम या वे होम मेड मास्क पहन सकते हैं, लेकिन जो सड़क पर, अस्पताल में सबसे अग्रिम पंक्ति में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं, क्या ये होम मेड मास्क उन्हें सुरक्षित कर पाएंगे?
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते अब तक 239 लोगों की मौत हो गई है, जबकि कुल संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 7447 तक पहुंच गई है। मालूम हो कि दिल्ली में अब तक कम से कम 35 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें से 20 नर्सिंग स्टाफ़ हैं। दिल्ली के कैंसर इंस्टीट्यूट में नर्सिंग स्टाफ़ सहित 11 स्वास्थ्य कर्मियों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो सीधे कोरोना मरीजों का इलाज नहीं कर रहे थे। इसका मतलब साफ है कि सभी स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट जैसे सुरक्षा के उपकरण दिए जाने चाहिए फिर चाहे वो किसी भी विभाग में क्यों न तैनात हों।

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बात सिर्फ दिल्ली की नहीं है। देशभर में एक के बाद एक कई डॉक्टरों और नर्सों ने सोशल मीडिया पर लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है। वहीं बचाव के बेसिक उपकरण जैसे दस्ताने और मास्क न मिलने पर उत्तर प्रदेश के एंबुलेंस कर्मियों को हड़ताल तक पर जाना पड़ा। देश के दूसरे राज्यों से पहले आई रिपोर्टों में बताया गया कि रेनकोट और हेलमेट पहनकर स्वास्थ्यकर्मियों को काम करना पड़ रहा है। सफाईकर्मियों, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का भी बुरा हाल है। ये सब कोरोना के खिलाफ फ्रंटलाइन वर्कर हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों लोगों से घर पर ही मास्क बनाकर पहनने और परिचितों को गिफ्ट करने की अपील की थीजिसपर उन्होंने अब खुद अमल किया है। शनिवार को मुख्यमंत्रियों के साथ लॉकडाउन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा के दौरान वह ऐसा ही एक होम मेड मास्क लगाकर बैठे। लेकिन उन्हें समझना होगा कि घर में रहने वाले या ज़रूरत भर के लिए कभी-कभार बाहर निकलने वाले लोग तो होम मेड मास्क पहन सकते हैं, लेकिन जो सड़क पर, अस्पताल में सबसे अग्रिम पंक्ति में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे हैं, क्या ये होम मेड मास्क उन्हें सुरक्षित कर पाएंगे?

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