कार्टून क्लिक: 'सब प्रचार का खेल है भइया'
 
2000 से 16800.. इन आंकडों के बीच की दूरी उतनी ही है, जितनी ‘किसान निधि’ से ‘किसान सम्मान निधि’ की।
कहने का मतलब ये है कि एक किसान के खाते में महज़ 2000 रुपये ट्रांसफर कर इसे 16800 करोड़ के रूप में पेश कर देना... और फिर इसे ‘किसान सम्मान निधि’ जैसा नाम दे देना। तभी तो एक किसान कहता है- सब प्रचार का खेल है भइया। वादा था आय दोगुनी करने का और 2000 देकर भरमाया जा रहा है।
ख़ैर... 2000 रुपये खर्च कर तो किसान ठीक से एक फसल भी नहीं बो सकता, हां अनजाने में ही सही राजनीतिक पार्टियों के लिए वोट ज़रूर इकट्ठा हो जाते हैं।
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