दिल्ली: सीडब्लूसी ने नोटिस दिए बिना सैकड़ों मज़दूरों को निकाला, मज़दूरों ने किया प्रदर्शन

दिल्ली :पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में स्तिथ सेन्ट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन(सीडब्लूसी), आईसीडी, द्वारा सैंकड़ों मजदूरों को बिना किसी नोटिस के निकाले जाने के खिलाफ मज़दूर लगातर विरोध प्रदर्शन कर रहे है।
इसी क्रम में कल यानि मंगलवार को मज़दूर संगठन, ‘सेन्टर ऑफ़ इंडियन ट्रेड यूनियन’ (सीटू) से संबधित जरनल मजदूर लाल झंडा यूनियन के बैनर तले सीडब्लूसी के सामने रोष प्रदर्शन किया गया। पप्रदर्शनकारी मजदूरों ने सीडब्ल्यूसी प्रबंधन को पूर्णतः गैर कानूनी व घोर अमानवीय कृत्य कहा मजदूर वहां ‘नौकरी बहाल करने’ व ‘प्रबंधन की गुंडागर्दी नहीं चलेगी’ के नारे लगाए। जुलूस के रूप में शुरू हुआ प्रदर्शन बाद में सभा में बदल गया।
क्या है पूरा मामला?
राष्ट्रीय राजधानी में एक केंद्र सरकार का वेयरिंग हाउस यानि गोदम है। जिसमें पिछले कई दशकों से लगभग 300 मज़दूर ठेके पर काम कर रहे थे लेकिन अचानक छह जनवरी को बताया गया कि उनको नौकरी से हटा दिया गया है। हालांकि वो जब पांच जनवरी को काम करके घर वापस गए तब तक उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। इन कर्मचारियों की लंबे समय से मांग थी कि इन्हे स्थाई किया जाए परन्तु प्रबंधन ने इन्हे काम से ही निकाल दिया।
सीडब्लूसी उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम करता है।
जैसा कि आपको पता है ये मज़दूर ठेके पर काम कर रहे थे, इस दौरन ठेका कंपनियों की अदला बदली आम बात है। इस बार भी यही हुआ, मै0 सुमन फारवर्डिंग एजेंसी प्रा. लि. का ठेका ख़त्म कर मै0 राहुल रोडवेज को ठेका मिला। परन्तु जब भी ठकेदार बदलते थे, मज़दूर वही काम करते थे। यह पहली बार हुआ है जब ठेका कंपनी बदलने पर मज़दूरों को बाहर निकाला जा रहा है।
इसके बाद से ही मज़दूर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और मज़दूर यूनियन के नेता इस मामले को लेकर कोर्ट में भी न्यायिक लड़ाई लड़ रहे है। 13 जनवरी को कोर्ट ने भी अपने अंतरिम आदेश में यथास्थति को बनाए रखने का आदेश दिया है। इसके बाद भी प्रबंधन इन मज़दूरों को वापस नहीं ले रहा है। कंपनी प्रबंधन इस पर टिप्पणी से भी बच रहा है।
मंगलवार को इस विरोध प्रदर्शन को कॉनकॉर, तुगलकाबाद, सी.ई . एल., साहिबाबाद, MWLJU, दिल्ली जल बोर्ड व पी बी जी, साहिबाबाद, स्टैंडर्ड कूपर, साहिबाबाद, शान्ति मुकंद अस्पताल के कर्मचारियों समर्थन मिला।
इस सभा में निकाले गए कर्मचारी और यूनियन सचिव बरसाती ने सी. डब्ल्यू. सी., आईसीडी, (पटपड़गंज) को सम्बोधन किया। उन्होंने छह जनवरी को प्रबंधन द्वारा अपनाई गई मनमानीपूर्ण रवैया व स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से मजदूरों को काम से रोके जाने के मसले पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने बताया कि " ठेकेदारों की बदली हुई, मै0 सुमन फारवर्डिंग एजेंसी प्रा. लि. के जाने व मै0 राहुल रोडवेज के आने के दौरान ये घटना घटित हुई। जिसके लिए सी. डब्ल्यू.सी. प्रबंधन ही पूर्णतः दोषी है। क्योंकि 35 वर्ष में ठेकेदार की बदली पर पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। सम्बोधन के अंत में नौकरी में जल्द से जल्द बहाल करने की मांग को दोहराया व सभी प्रकार के बकाया वैद्य राशि के जल्द भुगतान की मांग रखी। "
प्रदर्शन कर रहे मजदूरों को सीटू दिल्ली राज्य कमेटी के अध्यक्ष वीरेन्द्र गौड़ ने सम्बोधित किया। उन्होंने सी. डब्ल्यू. सी. प्रबंधन व नए ठेकेदार के रवैये को तानाशाहीपूर्ण बताया। साथ ही दिल्ली पुलिस द्वारा ऐसे प्रबंधन को दिए जा रहे संरक्षण को आडे़ हाथों लिया। केन्द्र की मजदूर विरोधी मोदी सरकार द्वारा श्रम कानूनों में किए जा रहे मजदूर विरोधी परिवर्तनों को असल दोषी बताया जिसके चलते मालिकों व पूंजीपतियों के हौंसले बुलंद हुए और वे ऐसी हिम्मत कर पा रहे हैं कि 35 वर्ष से काम करने वाले मजदूर को हटाने से पहले नोटिस देना भी उचित नहीं समझते।
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