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पूरे बजट में विनिवेश और सरकारी संपत्ति को बेचने पर ज़ोर, आम आदमी को कोई राहत नहीं

आज संसद में साल 2021-22 का आम बजट पेश किया गया, लेकिन आम आदमी को मिला कुछ नहीं, हां सरकार विनिवेश के नाम पर सबकुछ बेचने की मंशा ज़रूर दिखा रही है।
budget

बजट 2021 -2022 को लेकर आम जनता बड़ी उम्मीद थी कि उसे कोई राहत मिलेगी लेकिन ऐसा होता कुछ दिखा नहीं है। ऐसा माना जा रहा था कि आर्थिक मंदी में लोगों के हाथ में पैसा देने के लिए उसके प्रत्यक्ष कर की दर में कटौती की जाएगी। लेकिन इसपर कुछ भी नहीं हुआ बल्कि सरकार ने अपने भाषण में सरकारी संपत्तियों के लगातर विनिवेश पर जोर दिया।  
वित्त मंत्री ने एलान किया कि बीपीसीएल का विनिवेश अगले वित्त वर्ष में होगा। वित्त मंत्री ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई लिमिट 49 फीसदी से बढ़ाकर 74 फीसदी करने का एलान किया। इंश्योरेंस एक्ट 1938 में संशोधन होगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022 के लिए 1.75 लाख करोड़ विनिवेश का लक्ष्य रखा है। वित्त मंत्री ने 2021-22 के बजट भाषण् में कहा कि गेल इंडिया लि., इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और एचपीसीएल की 20 पाइपलाइन को बाजार पर चढ़ाया जाएगा।
यानी आम भाषा में कहे तो सरकार ने इनको सरकारी हिस्से को बेच रही है,जबकि राजमार्ग को भी निजी हाथो में दिया जा रहा है।

किसान और किसानी को लेकर भी कोई बड़ी राहत नहीं दी गई बल्कि कर्ज की सीमा और बढ़ाने का प्रयास किया। सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 में एग्री क्रेडिट के लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की है। लेकिन देशभर के किसान लगातर पूर्ण कर्जा माफी की मांग कर रहे हैं उसपर सरकार कोई बात नहीं कर रही है। देशभर में किसान अपने फ़सल के उचित दाम के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में बजट के दौरान वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों के हितों के लिए कार्यरत है। सभी कमोडिटी के लिए किसानों को डेढ़ गुना एमएसपी दी गई। लेकिन क्या ये सही है क्योंकि किसानों का कहना है उसके फसल की उसे लागत भी नहीं मिल रही है। दूसरी तरफ किसानी की लगात में लगातर बढ़ोतरी हो रही है। बीज, खाद और डीजल से लेकर सबके दाम बढ़ रहे है उसके तुलना में उसे उसके दाम नहीं मिल रहे हैं। 

मज़दूर के लिए भी कोई पुख़्ता आश्वसन नहीं दिया बल्कि जिसका वो विरोध कर रहे हैं उसका ही गुणगान सरकारी भाषण किया। लेबर कोड का मज़दूर लगातर विरोध कर रहे लेकिन सरकार ने इसकी खूब तारीफ की है। मज़दूर संगठन लगातर सरकारी पीएसयू के विनिवेश का विरोध कर रहे हैं लेकिन सरकार पूरी तरह बेचने की तैयारी है।  

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बजट में छोटे कारोबारियों की मदद की जाए : राहुल

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि बजट में छोटे एवं मझोले कारोबारियों की मदद करने के साथ स्वास्थ्य और रक्षा खर्च में बढ़ोतरी किए जाने की जरूरत है। उन्होंने ट्वीट किया, “बजट -2021 में एमएसएमई, किसानों और कामगारों की मदद की जानी चाहिए ताकि रोजगार का सृजन हो सके ।

 

बजट से पहले सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी का रुख

संसद में आम बजट 2021-22 पेश करने से पहले सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान प्रमुख शेयर सूचकांक बीएसई सेंसेक्स में 443 अंकों और एनएसई निफ्टी में 115 अंकों की बढ़त हुई।

इस दौरान 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 443.06 अंक या 0.96 प्रतिशत बढ़कर 46,728.83 पर था, निफ्टी 114.85 अंक या 0.84 प्रतिशत बढ़कर 13,749.45 पर पहुंच गया।

निजी गाड़ियां 20 साल और व्यावसायिक वाहन 15 साल के बाद सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे: वित्त मंत्री 

ऑटो सेक्टर को जिस पॉलिसी का इंतजार था, वो आ गई। निजी गाड़ियां 20 साल और व्यावसायिक वाहन 15 साल के बाद सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। ऑटो सेक्टर के लिए बिग पॉजिटिव।
आपको बता दे देश के किसान और ट्रांसपोर्ट यूनियन इस प्रस्ताव का पहले से विरोध कर रहे है।  उनका कहना है गाड़ी की स्थति  ठीक होने के बाद भी उसे सड़क से हटाना गलत है।   

बजट से पहले सेंसेक्स, निफ्टी में तेजी का रुख

मुंबई: संसद में आम बजट 2021-22 पेश करने से पहले सोमवार को शुरुआती कारोबार के दौरान प्रमुख शेयर सूचकांक बीएसई सेंसेक्स में 443 अंकों और एनएसई निफ्टी में 115 अंकों की बढ़त हुई।

इस दौरान 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 443.06 अंक या 0.96 प्रतिशत बढ़कर 46,728.83 पर था, निफ्टी 114.85 अंक या 0.84 प्रतिशत बढ़कर 13,749.45 पर पहुंच गया।

सेंसेक्स में इंडसइंड बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी, ओएनजीसी, टाइटन और एचडीएफसी बढ़ने वाले प्रमुख शेयरों में थे।

सेंसेक्स शुक्रवार को 588.59 अंक या 1.26 प्रतिशत गिरकर 46,285.77 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 182.95 अंक या 1.32 प्रतिशत नीचे 13,634.60 अंक पर बंद हुआ।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सोमवार को संसद में केंद्रीय बजट 2021-22 पेश करेंगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-21 के आम बजट को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 2021-22 के बजट को मंजूरी दी गयी। यह पहली बार है, जब 2021-22 का बजट छापा नहीं गया है। इसे इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में जारी किया जाएगा।

 

आत्मनिर्भर पैकेज

सरकार ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिये आत्मनिर्भर पैकेज के तहत 27.1 लाख करोड़ रुपये की घोषणा की:वित्त मंत्री

महामारी के दो टीके हैं, दो और टीके जल्दी आएंगे

भारत के पास कोविड-19 महामारी के दो टीके हैं, दो और टीके जल्दी ही आएंगे: सीतारमण।

वित्त मंत्री का आत्मनिर्भर पैकेज की तारीफ़ ,जबकि जानकार इस पर उठा चुके है सवाल

हमने पिछले बजट के समय ग्लोबल स्लोडाउन की कल्पना भी नहीं की थी। मई 2020 में हमने रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिर्भर पैकेज की घोषणा की थी। आत्मनिर्भर भारत पैकेज और प्रधानमंत्री योजना अपने आप में 3-4 मिनी बजट के बराबर थे। कोविड-19 से निपटने के लिए सरकार ने देश की जीडीपी के 13 फीसद के बराबर का सपोर्ट किया। सरकार ने 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया। मई 2020 में सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज का ऐलान किया। 
हालाँकि सरकार के द्वारा कोरोना के दौरान दिए गए आर्थिक पैकज़ कई भ्रम से भरे थे।  उसमे कई घोषणा ऐसी थी जो पहले से चल रही योजना को ही नए नाम से घोषित की गई थी।  कई जानकारों ने कहा था कि जो घोषणा भी हुई वो भी ज़मीन पर उत्तरी नहीं , वो केबल भाषण तक ही सिमित रहा। 

बजट प्रस्ताव 6 स्तंभों पर आधारित- वित्तमंत्री

वित्तमंत्री का कहना है कि बजट प्रस्ताव स्वास्थ्य और जन कल्याण, भौतिक और वित्तीय पूंजी सहित छह स्तंभों पर आधारित हैं।

आत्मनिर्भर स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत का प्रस्ताव

वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अलावा 64,180 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ आत्मनिर्भर स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत का प्रस्ताव रखा।
 

जल जीवन मिशन की घोषणा

वित्त मंत्री ने 4,378 शहरी स्थानीय निकायों के लिये 2.87 लाख करोड़ रुपये के व्यय के साथ जल जीवन मिशन की घोषणा की।

सरकार के बजट में बड़े दावे ,लेकिन देश की आर्थिक हक़ीक़त कुछ और

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 29 जनवरी को मोदी सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। इस सर्वेक्षण में वी शेप विकास की बात की गई है और कहा गया है कि 2021 में देश की विकास दर 11 फ़ीसदी होगी। मगर लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूरों को हुए संकट या कामकाजी वर्ग के आर्थिक संकट का कोई ज़िक्र नहीं है। न्यूज़क्लिक ने इस मसले पर बात की वरिष्ठ पत्रकार परंजोय गुहा ठाकुरता से।

जल जीवन मिशन की घोषणा

वित्त मंत्री ने 4,378 शहरी स्थानीय निकायों के लिये 2.87 लाख करोड़ रुपये के व्यय के साथ जल जीवन मिशन की घोषणा की।

स्वच्छ भारत के दूसरे चरण के लिए 1,41,678 करोड़

अगले पांच साल में 1,41,678 करोड़ रुपये के व्यय के साथ स्वच्छ भारत के दूसरे चरण का क्रियान्वयन किया जाएगा: वित्त मंत्री।

कोविड-19 टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़

सरकार 2021-22 में कोविड-19 टीकाकरण के लिए 35,000 करोड़ रुपये देगी; और अधिक धन देने के लिए प्रतिबद्ध: वित्त मंत्री
 

पीएलआई पर अगले पांच साल में 1.97 लाख करोड़ खर्च किये जाएंगे

उत्पादन आधारित योजना (पीएलआई) पर इस वित्त वर्ष से शुरू अगले पांच साल में 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे: वित्त मंत्री।

कपड़ा-पार्क योजना

पीएलआई योजना के अलावा वृहद निवेश कपड़ा-पार्क योजना शुरू की जाएगी: वित्त मंत्री

स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा

वित्त मंत्री ने पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए स्वैच्छिक वाहन स्क्रैपिंग नीति की घोषणा की, निजी वाहनों के लिए 20 साल बाद फिटनेस परीक्षण का प्रस्ताव।

विकास वित्त संस्थान गठित करने के लिये लाया जाएगा विधेयक

सरकार 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी के साथ विकास वित्त संस्थान गठित करने के लिये विधेयक लाएगी: वित्त मंत्री।
 

पेश किए जा रहे बजट से मज़दूरों को नहीं है कोई उम्मीद

जिस दिन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित किया ताकि इस साल का तूफानी केंद्रीय बजट सत्र शुरू किया जा सके, उसी दिन ट्रेड यूनियन के नेताओं ने केंद्र सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की आगामी योजनाओं से मजदूरों की स्थिति में बदलाव आने की कोई उम्मीद नहीं है।

“यह देश का मजदूर वर्ग ही था जिसे कोविड-19 महामारी और सरकार द्वारा बाद में खराब तरीके से लगाए गए लॉकडाउन से सबसे भारी झटका लगा था। तपन सेन, सीटू (CITU) के महासचिव ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “इन सब के बावजूद, हमें नहीं लगता है कि केंद्र सरकार अपनी ‘मजदूर-विरोधी’ और ‘जन-विरोधी’ नीतियों से एक कदम भी पीछे हटेगी। वास्तव में हमें इस बजट से बहुत अधिक उम्मीद नहीं हैं।”

पूरा लेख यहां पढ़े :बजट 2021: यूनियन नेताओं ने कहा मज़दूरों के लिए नहीं कोई राहत की उम्मीद 

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