बिहार : नीतीश सरकार को राहत, जाति आधारित गणना को चुनौती देने वाली याचिकाएं ख़ारिज

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार में जाति आधारित गणना के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। कोर्ट के इस फैसले के बाद अब राज्य में जाति आधारित जनगणना फिर से शुरू की जा सकेगी।
मामले में मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली पीठ का फैसला आने के बाद अदालत के बाहर पत्रकारों से मुखातिब याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने कहा कि वह आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।
कुमार ने बताया, “पीठ ने खुली अदालत में कहा कि वह सभी याचिकाओं को खारिज कर रही है।”
उन्होंने कहा, “हमें अभी इस आदेश की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। फैसला देखने के बाद ही हम कुछ और कह सकेंगे। बेशक, फैसले का तात्पर्य यह है कि राज्य सरकार सर्वेक्षण कर सकती है। हालांकि, हम इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।”
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिका पर बीते महीने लगातार पांच दिन सुनवाई की। दोनों ओर के पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने 7 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट के फैसले का सभी को कई दिनों से इंतजार था। मंगलवार को HC ने करीब 100 पन्नों का आदेश जारी किया। मुख्य बात यह है कि कोर्ट ने उन सभी अर्जियों को खारिज कर दिया है, जिनमें यह दलील देते हुए रोक लगाने की मांग की गई थी कि जनगणना का काम सिर्फ केंद्र का है राज्य का नहीं।
नीतीश सरकार ने पिछले साल बिहार में जातिगत गणना कराने का नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके बाद जनवरी 2023 में इस पर काम शुरू हुआ। जातिगत गणना को दो चरणों में आयोजित किया गया। पहला चरण जनवरी में तो दूसरा अप्रैल में शुरू हुआ। दूसरे चरण के दौरान पटना हाईकोर्ट ने जातिगत गणना पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। जिससे बिहार में इस पर काम रुक गया। साथ ही कोर्ट के आदेश पर तब तक इकट्ठा किए गए आंकड़ों को संरक्षित रखा गया।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
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