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बिहारः अब मेयर-डिप्टी मेयर को सीधे चुनेगी जनता, नीतीश कैबिनेट ने दी मंज़ूरी

अभी तक जनता वार्ड पार्षद को ही चुनती थी और चुने हुए वार्ड पार्षद अपने बीच से मुख्य पार्षद से लेकर मेयर तक चुनते थे लेकिन अब जनता सीधे मेयर-डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद का चुनाव करेगी।
बिहारः अब मेयर-डिप्टी मेयर को सीधे चुनेगी जनता, नीतीश कैबिनेट ने दी मंज़ूरी
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को कैबिनेट ने नगर विकास एवं आवास विभाग के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें नगर निकायों में मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद का चुनाव सीधे मतदाताओं द्वारा किया जाना है। उन्हें पद से हटाने के भी प्रावधान को मंजूरी दी गयी है। कैबिनेट से नियमावली में संशोधन की मंजूरी मिलने के बाद अब इससे संबंधित विधेयक विधानमंडल से पास कराया जाएगा।

दरअसल बिहार सरकार 15 वर्षों के बाद बिहार नगर पालिका कानून 2007 में संशोधन कर रही है। अभी तक जनता वार्ड पार्षद को ही चुनती थी और चुने हुए वार्ड पार्षद अपने बीच से मुख्य पार्षद से लेकर मेयर तक चुनते थे। पहले कई जगहों से शिकायत आती रही है कि इन पदों के लिए हॉर्स ट्रेडिंग का खेल चलता था। इस संशोधन के बाद वार्ड पार्षदों की मुख्य पार्षद से लेकर मेयर तक के चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग पर रोक लग सकेगी।

राज्य में 19 नगर निगम व 263 नगर निकाय

इसके पहले सरकार ने मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद के सीधे चुनाव को लेकर राज्यपाल ने जनवरी में बिहार नगरपालिका संशोधन अध्यादेश-2022 जारी किया था। बिहार नगरपालिका कानून में 15 वर्षों के बाद इस संशोधन का असर राज्य के 19 नगर निगम समेत सभी 263 नगर निकायों पर पड़ेगा। इस साल मई महीने में नगर निकायों का चुनाव होने की संभावना है। अब तक नगर निगम में मेयर व डिप्टी मेयर और नगर पर्षद व नगर पंचायतों में मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद का चुनाव वार्ड पार्षदों द्वारा होता था।

अविश्वास प्रस्ताव का प्रावधान समाप्त

पहले मेयर और डिप्टी मेयर के खिलाफ एक तिहाई पार्षदों द्वारा अविश्वास लाने का प्रावधान था लेकिन, अब नए प्रास्ताव से यह प्रावधान समाप्त हो गया है। अब मेयर-डिप्टी मेयर सीधे सरकार को इस्तीफा देंगे। यदि वे सात दिनों तक अपना त्यागपत्र वापस नहीं लेते हैं तो वह प्रभावी हो जायेगा। संशोधित प्रारूप में यह सुनिश्चित किया गया है कि सरकार को धारा-44 के अधीन लोक प्रहरी को नियुक्त करना होगा। लोक प्रहरी की अनुशंसा के आधार पर ही सरकार मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद अथवा उप मुख्य पार्षद को उसके पद से हटा पाएगी।

तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहने पर हटाने का प्रावधान

बिना समुचित कारण तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहने पर सरकार उन्हें हटा भी सकेगी। कर्तव्यों व कृत्यों से इंकार या उपेक्षा करने, दुराचार का दोषी पाये जाने, शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने या किसी आपराधिक मामले में अभियुक्त होने पर छह माह से अधिक समय तक फरार होने पर भी हटाया जा सकेगा।

हटाए जाने पर दोबारा नहीं लड़ सकेंगे चुनाव

पद से हटाए जाने वाले मेयर-डिप्टी मेयर, नगर पंचायत और नगर पर्षद के मुख्य पार्षद और उप मुख्य पार्षद दोबारा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

शेष कार्यकाल के लिए होगा चुनाव

मेयर या डिप्टी मेयर की बर्खास्तगी, पद त्याग, मृत्यु या अन्य कारणों से पद रिक्त होने पर फिर से चुनाव होगा। जनता के मतदान के पश्चात ही इन जनप्रतिनिधियों को चुना जाएगा। इन प्रतिनिधियों का चुनाव पूर्ववर्ती मेयर-डिप्टी मेयर के शेष कार्यकाल तक के लिए ही होगा। अगर सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों के पद में आकस्मिक रिक्ति होती है, तो मुख्य पार्षद या मेयर निर्वाचित पार्षदों में से किसी एक को नामित करेंगे। त्यागपत्र देने की स्थिति में वह सात दिनों के बाद प्रभावी हो जाएगा।

एक तिहाई संख्या से हटाने का था प्रावधान

इससे पहले नगर निकायों के वार्डों के निर्वाचित मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद, मेयर और डिप्टी मेयर का चयन करते थे। अनुच्छेद-25 के तहत, नगर निकाय के कुल पार्षदों की एक तिहाई संख्या वाला कोई भी ग्रुप निकाय प्रमुख को हटाने के लिए मनमाने ढंग से नोटिस दे सकता था या फिर हटाने की प्रक्रिया शुरू करा सकता था लेकिन अब बदले हुए नियम की स्थिति में एक भी वार्ड पार्षद या उनका कोई भी ग्रुप अपनी मर्जी से संबंधित निकाय प्रमुख या मेयर को हटा नहीं पाएगा।

अपग्रेड किए गए थे कई नगर निकाय

नीतीश सरकार द्वारा पिछले साल दिसंबर महीने में कैबिनेट की बैठक में 103 नए नगर पंचायत के निर्माण, 8 नए नगर परिषद के निर्माण तथा 32 नगर पंचायत का नगर परिषद में अपग्रेडेशन को मंजूरी दी गई थी। इसके साथ ही 12 नगर निकायों के विस्तारीकरण तथा 5 नगर परिषद को नगर निगम के रुप में अपग्रेड करने को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दी थी। सासाराम, मोतिहारी, बेतिया, मधुबनी और समस्तीपुर को नगर परिषद से नगर निगम बनाने की कैबिनेट ने हरी झंडी दी थी।

कई राज्यों में है प्रत्यक्ष चुनाव का प्रावधान

मौजूदा समय में दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में भी जनता सीधे मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद तथा उप मुख्य पार्षद का चुनाव करती है। इस प्रकार का प्रावधान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी लागू है। इन राज्यों में भी मेयर, डिप्टी मेयर, मुख्य पार्षद, उप मुख्य पार्षद का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है। 

 

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