भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल : ब्रिटेन के LGBT+ एक्टिविस्ट ने डाउ से अन्याय का ख़ात्मा करने की अपील की

भोपाल: गैस काण्ड की 37 वीं बरसी पर ब्रिटेन के जाने माने मानवाधिकार और एलजीबीटी + कार्यकर्ता पीटर टेचेल ने डाउ केमिकल्स के प्रमुख जिम फिटरलिंग, जो समलैंगिक हैं, उन्हें खत लिखा और उनसे गैस काण्ड के पीड़ितों के साथ नस्लवाद, सामाजिक असमता और अन्याय का खात्मा करने के अपील की। ताकि मुआवजा देकर उनके साथ हुए अन्याय का खात्मा किया का सके।
गैस कांड के पीड़ितों के साथ काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता ने इस खत को भोपाल में की गई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिलीज़ किया।
गैस आपदा और जमीनी जल के संक्रमण का शिकार बने लोगों के साथ भेदभाव के लिए अमेरिका की डाउ केमिकल्स की निन्दा करते हुए, गैस कांड की शिकार बनीं, एलजीबीटी+ व्यक्ति संजना सिंह कहती हैं, "एलजीबीटी+ लोगों के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ हमारा संघर्ष हमें हर तरह के अन्याय का विरोध करना सिखाता है। 2014 में समलैंगिक के तौर पर सामने आने वाले फिटरलिंग के लिए यह ग़लत है कि वे समावेशी होने का दावा करें और एक ऐसी कंपनी के प्रमुख बने रहें जो भोपाल गैस कांड के पीड़ितों के साथ गहरा भेदभाव करती है।
वहीं भोपाल गास पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, "डाउ केमिकल्स का मुख्य उत्पाद क्लोरोपिरोफॉस अमेरिका में इसके द्वारा न्यूरोलॉजिकल नुकसान, आइक्यू कम करने, याददाश्त कमजोर करने, ध्यान भंग करने वाली बीमारी पैदा करने के संभावित नुकसान के चलते प्रतिबंधित है। लेकिन भारत में डाउ केमिकल्स की करीबी कंपनी कॉर्टेवा यह उत्पाद बेचती है, जिसका व्यापारिक नाम यहां दर्शबन है। जबकि उस दौरान इसके खराब प्रभाव और अमेरिका में प्रतिबंधों के बारे में नहीं बताया जाता।
उन्होंने आगे कहा, "2014 में डाउ ने मिशिगन में फ्लिंट शहर के पानी को प्रदूषित करने की प्रतिक्रिया में जल स्वच्छ करने वाले तंत्र और 1 लाख अमेरिकी डॉलर दिए। जबकि भोपाल में जहां, माओं के दूध में पारा और कैंसर करने वाले तत्व पाए गए हैं, वहां डाउ केमिकल्स ने NEERI की रिपोर्ट्स का हवाला देकर कह दिया कि यूनियन कार्बाइड के खतरनाक अपशिष्ट से जमीन के पानी में कोई गंदगी नहीं हुई है। जबकि इन रिपोर्ट्स का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।"
रशीदा बी कहती हैं, "भोपाल ग्रुप ऑफ इंफॉर्मेशन एंड एक्शन" की रचना ढींगरा कहती हैं कि डाउ अमेरिका में बिना सवाल के सरकारी एजेंसियों और कोर्ट की बात मानता है। 2005 में डाउ के एक साझा उपक्रम ने 84 मिलियन का भारी भरकम जुर्माना चुकाया। यह जुर्माना शरमन एक्ट के उल्लंघन के लिए चुकाया गया था, जिसमें इस कंपनी को सिंथेटिक रबर की कीमतों को तय करने की एक अंतरराष्ट्रीय साजिश में दोषी पाया गया था। जबकि भारत में डाउ ने कोर्ट के 6 समनों को नजरंदाज किया है। कंपनी कहती है कि भारतीय अपराधिक न्यायालयों का टीडीसीसी पर कोई न्यायिक अधिकार नहीं है। डाउ का दोहरा रवैया यहां साफ दिखाई देता है।
अपंगता के साथ पैदा होने वाले बच्चों के लिए काम करने वाली नौशीन खान कहती हैं, "अमेरिका में डाउ 17w संक्रमित जगहों की सफाई के लिए पैसे दे रही है। जिसमें तित्तबावसी और सगीना नदी भी शामिल हैं। जो मिशिगन में कंपनी के मुख्यालय के पास ही है। लेकिन मौजूदा संक्रमण के मामले में कंपनी कहती है कि यह मध्य प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है।"
डाउ के प्रमुख जिम फिटरलिंग को खत
डाउ केमिकल्स के प्रमुख जिम फिटरलिंग के नस्लवाद, एलजीबीटी समूहों के अधिकारों पर रवैए की तरफ इशारा करते हुए पीटर टेचेल ने लिखा, "आपको पता ही होगा कि 20 साल पहले डाउ ने यूनियन कार्बाइड का अधिग्रहण किया था। तब यूनियन कार्बाइड एक अपराधिक भगोड़ा संगठन थी। संगठन पर 5295 से 25000 लोगों की हत्या का आरोप था। 20 साल भी यही स्थिति है। आपके द्वारा चलाई जाने वाली कंपनी डाउ ने यूनियन कार्बाइड को भारत में अपराधिक न्यायिक प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेने दिया।"
"बल्कि आपकी कंपनी डाउ ने सहायक कंपनी के न्यायिक व्यवस्था के सामने पेश न होने के "अधिकार" की वकालत की। तो चार दशक से दुनिया की सबसे भयावह औद्योगिक त्रासदी में लगाए गए गंभीर अपराधिक आरोप साबित नहीं हो पाए हैं। नतीजतन लाखों पीडितों का पुनर्वास नहीं हो पाया। ना ही उनके मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक पीड़ा का खात्मा हुआ। ना ही उन्हें समाजिक और आर्थिक मदद उपलब्ध हुई। स्वास्थ्य सुविधाओं की भी उचित आपूर्ति नहीं हुई और वे इस दुष्चक्र में फंसे हुए हैं। यह आपके और हमारे जैसे लोग हैं। पर वे आपकी कंपनी के निष्क्रियता के चलते नरक में रहने मजबूर हैं।"
चार पेज के ख़त में पीटर ने आगे लिखा, "आपने हाल में एशियाई लोगों के विरोध में उभर रही भावनाओं पर मुखरता के साथ अपनी बात रखी।" पीटर ने कहा कि भोपाल गैस कांड के पीड़ित भी एशियाई थे। क्या उनकी पीड़ा मायने नहीं रखती। यह लोग सिर्फ कट्टर भावनाओं से कहीं आगे की भावनाओं के शिकार हैं।
1989 में अलास्का में हुए तेल रिसाव का जिक्र करते हुए उन्होंने आगे कहा, "यूनियन कार्बाइड द्वारा भारतीय सरकार को समझौते पर मजबूर करने के कुछ हफ्तों बाद एक और दूसरे अमेरिकी कॉर्पोरेशन एक्सॉन ने 50000 डॉलर खर्च किए, ताकि अलास्का में उसके तेल रिसाव से प्रभावित हुए समुद्री पक्षियों का पुनर्वास किया जा सके।भोपाल के 93 फ़ीसदी पीड़ितों को दिया गया मुआवजा इससे कहीं ज्यादा कम है। ऐसा लगता है कि 100 भारतीयों की पीड़ा एक अमेरिकी समुद्री पक्षी के बराबर है।
बच्चों पर गैस हादसे के बाद के प्रभावों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा, "मैंने अब तक अगली पीढ़ी का जिक्र ही नहीं किया है। इसके बहुत सबूत हैं कि एमआईसी गैस ने वंशानुगत नुकसान किया है। भोपाल में बड़ीर संख्या में शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चे पैदा होते रहे हैं। एक हालिया अध्ययन में बताया गया कि गैस के शिकार बने माता पिता के बच्चों में 9 गुना ज्यादा जन्मजात समस्याएं पाई जाती हैं। कुछ इतने ज्यादा प्रभावित हैं कि वे बोल भी नहीं सकते, खड़े नहीं हो सकते या अपने दैनिक काम नहीं कर सकते। उन्हें जन्मभर सेवा की जरूरत है। कई वक़्त से पहले ही मर जाते हैं। 500 डॉलर की तुच्छ मदद तो छोड़िए, अबतक डाउ केमिकल्स या यूनियन कार्बाइड से किसी को एक रुपए की तक मदद नहीं मिली है। इनके पीड़ितों में स्थायी दिक्कतें आ गई है और दूसरे रोगों के प्रति वे ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं। गैस काण्ड पीड़ित आबादी भोपाल की कुल आबादी का 17 फीसदी ही है, लेकिन कोविड में मरने वाले हर 2 लोगों में से एक आपकी कंपनी की गैस त्रासदी का पीड़ित था।
ख़त में यह भी बताया गया है कि कैसे यूनियन कार्बाइड के केमिकल्स ने 48 समुदायों का पानी संक्रमित किया है। यह अब इंसानों के पीने योग्य नहीं बचे हैं। 30 साल के वैज्ञानिक अध्ययनों ने बताया है कि फैक्ट्री के तीन किलोमीटर की परिधि में कीटनाशकों, भारी धातुओं और खतरनाक जहरीले पदार्थ की मौजूदगी है। यही वह इलाका है जहां माओं के दूध में घातक तत्व मिले हैं।
आखिर में पीटर टेचेल ने फिटरलिंग से अपनी सहायक कंपनी यूनियन कार्बाइड को कोर्ट भेजने की दरखास्त की। ताकि जो लोग अमानवीय यातनाओं का शिकार हुए, उन्हें उनकी बची हुई जिंदगी में कुछ न्याय, सच्चाई और पुनर्वास देखने को मिल जाए। उन्होंने फिटरलिंग से भारत की ओर मुआवजा देने की अपील मानने की दरखास्त की, ताकि इस असीमित आपदा का अंत हो सके। टेचेल ने कहा, "आपकी कंपनी ने जिन लोगों को दुख दर्द भरा जीवन जीने पर मजबूत किया है, इससे उनकी पीड़ा कम हो जाएगी। तय कीजिए कि आपकी कंपनी द्वारा बनाए गए बुरे हालत ठीक हो जाएं और जिन्हें नुकसान हुआ है, उन्हें मुआवजा मिले।"
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