ईरान को मिलने वाला आईएमएफ़ का आपातकाल क़र्ज़ रोकेगा अमेरिका
अमेरिका ईरान को मिलने वाला इंटरनेशनल मोनेटरी फ़ंड(आईएमएफ़) का आपातकाल क़र्ज़ रोकने के लिए पूरी तरह से तैयार है। 9 अप्रैल को ब्लूमबर्ग और सीएनएन सहित अन्य मीडिया संगठनों ने ट्रंप प्रशासन द्वारा कही इस बात को साझा किया।
कल 9 अप्रैल को ईरान ने आईएमएफ़ से कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए मांगे गए क़र्ज़ को जल्दी पहुंचाए जाने की अपील की थी। ईरान दुनिया में कोविड-19 संक्रमण से सबसे ज़्यादा ग्रसित देशों में से है। यहाँ अब तक 66,000 से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं और 4000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं।
ईरान ने आईएमएफ़ की रैपिड फ़ाइनेंसिंग इनिशिएटिव के तहत पिछले महीने 5 बिलियन डॉलर के क़र्ज़ के लिए आवेदन किया था। यह इनिशिएटिव सदस्य राज्यों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं में किसी भी अचानक व्यवधान से निपटने के लिए आपातकालीन क़र्ज़ मांगने का अधिकार देता है।
अमेरिका ने दावा किया है कि ईरान को क़र्ज़ की ज़रूरत नहीं है, और क़र्ज़ के पैसे को 'क्षेत्र में आतंकवाद बढ़ाने' के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। अमेरिका ने आरोप लगाया है कि ईरान सीरियाई सत्ता की आर्थिक मदद करता है, और इसके अलावा लेबनान में हिज़्बुल्लाह और यमन में हाउथी जैसे संगठनों को भी फ़ंड करता है।
पिछले महीने अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के ईरान से प्रतिबंध हटाने के आह्वान को ठुकरा दिया था। बल्कि अमेरिका ने एक और प्रतिबंध लगा दिया था जिसके तहत ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ को उकसाया गया था कि वह अमेरिकन एक्ट को 'आर्थिक आतंकवाद' कहें।
कोविड-19 की वजह से लागू हुए लॉकडाउन की वजह से ईरान की आर्थिक हालत और ख़राब हो गई है।
ईरान आईएमएफ़ का सदस्य है और क़र्ज़ मांगना उसका अधिकार है। हालांकि, चूंकि अमेरिका का इस संगठन में 17% हिस्सा है, इसलिए उसके पास अधिकार है कि वो अपने समर्थकों की मदद से किसी भी प्रस्ताव को ख़ारिज कर सकता है। अक्सर ऐसे क़र्ज़ के फ़ैसलों के लिए वोटिंग नहीं की जाती है। फिर भी, अमेरिका द्वारा दिखाये गए इस शत्रुतापूर्ण व्यवहार से अंतिम फ़ैसले में बदलाव आ सकता है।
पिछले महीने आईएमएफ़ ने अमेरिका के दबाव में आकर वेनज़ुएला की क़र्ज़ अर्ज़ी को भी ख़ारिज कर दिया था।
ईरान के प्रधानमंत्री हसन रूहानी ने 8 अप्रैल को ट्वीट कर के कहा, "मैं इस महामारी के दौरान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को उनकी ज़िम्मेदारी से अवगत करवाना चाहता हूँ। हम #IMF और वर्ल्ड बैंक के सदस्य हैं। विभिन्न देशों के बीच ऐसा भेदभाव करना, हमारे लिए और वैश्विक नज़रिये के लिए क़तई गवारा नहीं है। #COVID19"
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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