होंडुरास: राजनीतिक उथल-पुथल के बीच ज़ियोमारा कास्त्रो बनेंगी राष्ट्रपति

"लिबर्टी एंड रिफाउंडेशन पार्टी (लिब्रे पार्टी)" की ज़ियोमारा कास्त्रो होंडुरास के राष्ट्रपति पद पर कार्यकाल शुरू करेंगी। उन्होंने 28 नवंबर 2021 को हुए चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उनकी इस जीत से होंडुरास में 12 साल के अति-दक्षिणपंथी शासन का खात्मा हुआ था। इस अति-दक्षिणपंथी शासनकाल में सत्ता, तख़्तापलट और फर्जीवाड़े के ज़रिए मजबूत हुई थी। इस बीच पिछले एक सप्ताह से पारंपरिक रूढ़ीवादियों की तरफ से कई कोशिशें की जा रही हैं। इन्हीं कोशिशों का नतीज़ा है कि होंडुरास में एक समानांतर कांग्रेस का गठन हो चुका है। अब होंडुरास का बेहद भंगुर लोकतंत्र और भी ज़्यादा दबाव में आ गया है।
लिब्रे पार्टी में धोखा और टूट
20 जनवरी को ज़ियोमारा ने राष्ट्रीय कांग्रेस के लिए लिब्रे पार्टी से चुने हुए 50 प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी। ताकि लिब्रे पार्टी और साल्वाडोर पार्टी के बीच द्विशताब्दी समझौते पर बातचीत हो सके। इस समझौते में एक अहम बिंदु राष्ट्रीय कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर था। बैठक शुरू होने के कुछ देर पहले ही लिब्रे पार्टी के जनरल कोर्डिनेटर और पूर्व राष्ट्रपति मैनुएल जेलेया ने ट्विटर पर सूचना दी कि पार्टी के 20 चुने हुए कांग्रेस प्रतिनिधि बैठक से नदारद हैं।
अनुपस्थित रहने वाले पदाधिकारियों में जॉर्ज कालिक्स भी शामिल थे, जो सबसे ज़्यादा बार चुने गए प्रतिनिधियों में से एक हैं। जानकारी के मुताबिक़ यह लोग द्विशताब्दी समझौते में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर नाराज़ थे। साल्वाडोर पार्टी और लिब्रे पार्टी के बीच होने जा रहे समझौते में कांग्रेस का अध्यक्ष साल्वाडोर पार्टी से चुने जाने की बात थी।
बाद में जारी सूचना के मुताबिक़, लिब्रे पार्टी ने इन प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को "नेशनल पार्टी की नार्को (ड्रग्स) तानाशाही को हराने वाले होंडुरास के लोगों और लिब्रे पार्टी से दगाबाजी बताया। जो क्रांतिविरोधी धोखे का संकेत है।" सूचना में आगे कहा गया, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ज़ियोमारा कास्त्रो, होंडुरास की जनता के मत के प्रति असम्मान को बर्दाश्त नहीं करेंगी। होंडुरास के लोगों ने लिब्रे पार्टी और साल्वाडोर पार्टी को चुनकर अपना मत दिया है, जिसे द्विशताब्दी समझौते के ज़रिए आधिकारिक बनाया जा रहा है। ना कि "संगठित अपराध, भ्रष्ट और ड्रग तस्करी" में शामिल रहे लोगों के साथ गठजोड़ किया जा रहा है।
वक्तव्य में यह भी कहा गया कि कास्त्रो कांग्रेस के ऐसे अध्यक्ष के सामने शपथ ग्रहण नहीं करेंगी, जो "दगाबाजी से बना हो"। इसके बजाए 27 जनवरी को एक जज द्वारा कास्त्रो अपना शपथ ग्रहण करवाना पसंद करेंगी।
उसी रात लिब्रे पार्टी से अलग हटने वाले प्रतिनिधि, नेशनल पार्टी के प्रतिनिधियों से मिले। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि वे जोर्जे कालिक्स को अध्यक्ष और यावहे साबिलियन को कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनाएंगे। इस ख़बर के सामने आने के बाद ज़ियामारा ने ट्वीट करते हुए कहा "दगाबाजी अब पदों के भोग-विलास तक पहुंच गई है।"
अगले दिन मैनुएल जेलेया ने पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयकों और चुने हुए प्रतिनिधियों की एक अभूतपूर्व बैठक बुलाई। इस बैठक में दगाबाजी करने वाले 18 सदस्यों को पार्टी से निकालने का ऐलान किया गया। दगाबाजी करने वाले मूल 20 सदस्यों में से 2 ने ज़ियोमारा का विरोध वापस ले लिया था। इन सदस्यों को पार्टी से निकालने का ऐलान करते हुए जेलेया ने कहा कि इन्होंने "हमारे शहीदों के खून और हमारी मातृभूमि को दोबारा खड़े करने के अभियान का अपमान किया है।"
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 23 जनवरी को मतदान होना था। इसके एक दिन पहले ज़ियोमारा ने अपने समर्थकों को अपने साथ नेशनल कांग्रेस की बिल्डिंग पर नज़र रखने के लिए साथ आने और "संगठित अपराध के सौदों, भ्रष्टाचार, ड्रग तस्करी के खात्मा करने का आह्वान किया, जिसके प्रतिनिधि पूर्व राष्ट्रपति जुआन ओर्लांडो हर्नांडेज़ हैं।"
ज़ियामारा के समर्थन में कांग्रेस की बिल्डिंग के बाहर 22 और 23 जनवरी को हज़ारों लोग इकट्ठा हो गए। इस तरीके से रूढ़ीवाद और पारंपरिक वर्ग के समर्थकों को बिल्डिंग पर कब्ज़े और कांग्रेस नेतृत्व की चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से रोका गया।
'Vamos a trabajar por la construcción de una democracia de verdad", presidenta Xiomara Castro. pic.twitter.com/NCOCtsysXH
— Gilda Silvestrucci (@GildateleSUR) January 23, 2022
Acompañando a la compañera @XiomaraCastroZ #fueratraidores pic.twitter.com/1CEZCAAxWO
— Angie Avila (@Dorelresiste) January 23, 2022
दो कांग्रेस का गठन
23 जनवरी, दिन रविवार को तेगुचिगाल्पा के मध्य में हज़ारों लोग इकट्ठा होकर "जेओएच (जुआन ओर्लांडो हर्नांडेज़) बाहर जाओ" का नारा लगा रहे थे। उसी दौरान नेशनल कांग्रेस की परिषद के नेतृत्व को चुनने के लिए दो सत्र चल रहे थे। पहला सत्र आधिकारिक कक्ष में समर्थकों की भीड़ के बीच जारी था। जबकि दूसरा सत्र, शहर के ठीक बाहर लॉस बोस्के डे जामब्रानो नाम के कंट्री क्लब में चल रहा था।
Salen los diputados del Congreso Nacional. Luis Redondo fue juramentado como presidente del Legislativo. Un Congreso, dos directivas pic.twitter.com/LwMLCT5tWu
— Gilda Silvestrucci (@GildateleSUR) January 23, 2022
तेगुचिगाल्पा में प्रतिनिधियों ने साल्वाडोर पार्टी के प्रतिनिधि लुईस रेडोंडो को कांग्रेस अध्यक्ष चुना। जबकि दक्षिणपंथी समर्थकों से घिरे कंट्री क्लब में जोर्गे कालिक्स को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया।
तबसे होंडुरास में गंभीर चिंताओं के बादल उमड़ रहे हैं। नई कांग्रेस का विमोचन दिवस इन चिंताओं की परिणिति होगा। क्योंकि उस दिन दोनों सत्र में चुने गए अध्यक्ष आमने-सामने आएंगे। पूर्व लिब्रे विधायकों द्वारा उठाए गए कदम के चलते, इस आग को भड़काने वाले अति दक्षिणपंथी वर्ग का राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का लक्ष्य पहले ही पूरा हो गया है। कांग्रेस में लिब्रे की स्थिति कमज़ोर हो गई है। मतलब ज़ियामारा के कार्यकाल के शुरू होने से पहले ही होंडुरास राज्य की संस्थागत ताकत कमज़ोर हो गई।
अतीत में नेशनल पार्टी के प्रभुत्व वाली कांग्रेस द्वारा पारित एक विधेयक, जिसके ज़रिए नवउदारवादी, सैन्यवादी परियोजनाओं को देश में लागू किया जा रहा था, ज़ियोमारा के कार्यकाल में इस विधेयक की वापसी पर मुख्य ध्यान होगा। साथ ही एक नए विधेयक पर भी ध्यान होगा। इस विधेयक के ज़रिए सभी को स्वास्थ्य सुविधा, शिक्षा, रोज़गार और आवास का बुनियादी अधिकार दिया जाएगा। यह कोशिशें कांग्रेस में एकता बनाने पर निर्भर करेंगी। 12 साल की नार्को-तानाशाही के बाद लिब्रे सरकार के सामने होंडुरास को बदलने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन अब यह और भी जटिल हो गई है।
लेकिन सड़कों पर उम्मीद अब भी बची हुई है। ज़ियामारा और वैधानिक कांग्रेस नेतृत्व को होंडुरास के लोगों और देश में जारी जनआंदोलनों से बहुत समर्थन मिला है। 22 और 23 जनवरी को हुए ऐतिहासिक जमावड़े ने दिखाया है कि होंडुरास के लोग वास्तविक बदलाव के पक्ष में हैं और उन्होंने लिब्रे पार्टी के पूर्व सदस्यों का नेशनल पार्टी के साथ गठबंधन खारिज़ किया है।
COPINH (सिविक काउंसिल ऑफ़ पॉपुलर ऑर्गेनाइज़ेशन्स ऑफ़ होंडुरास) जैसे सामाजिक आंदोलन, होंडुरास की राजधानी में नेशनल स्टेडियम में होने वाले विमोचन में हिस्सा लेने के लिए आ रहे हैं। यह आंदोलन नई सरकार को लेकर लगातार उम्मीद प्रदर्शित करते रहे हैं।
साभार : पीपल्स डिस्पैच
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