नोएडा : पुलिस पीसीआर के ड्राइवरों के साथ ही ‘अन्याय’, कौन करेगा सुनवाई

नोएडा पुलिस द्वारा पीसीआर वैन के कॉन्ट्रैक्ट ड्राइवरों (संविदा चालकों) को बीते सात महीने वेतन न देने के बाद अचानक जून महीने में काम से हटा दिया गया। इसको लेकर संविदा चालक लंबे समय से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन संविदा कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट 31 अगस्त को ख़त्म होना है, लेकिन उससे पहले ही इन कर्मचारियों को काम देना बंद कर दिया गया।
नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण के खर्च पर अपराध एवं अपराधियों पर प्रभारी नियन्त्रण रखने एवं शान्ति व्यवस्था बनाए रखने हेतु जनपद पुलिस के सहयोग के लिए पीसीआर वाहनों पर मैसर्स सुरक्षा फोर्स प्रा0 लि0 के माध्यम से संविदा पर ड्राइवरों को रखा गया। लेकिन जनवरी 2019 से इनका वेतन का भुगतान नहीं किया गया।
जब वेतन का भुगतान और श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाओं की मांग पीसीआर वाहन चालकों द्वारा की गई तो उन्हें 26 जून 2019 से कार्य से रोक दिया तब से लगातार पुलिस वाहन चालक जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान,उपश्रम आयुक्त कार्यालय का चक्कर काट रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे नाराज पीसीआरडाईवरों ने गुरुवार 8 अगस्त को सीटू जिलाध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा के नेतृत्व में उपश्रम आयुक्त कार्यालय सेक्टर-3नोएडा पर प्रर्दशन किया। उपश्रम आयुक्त पी के सिंह से मुलाकात के दौरान पुलिस वाहन चालकों/ड्राइवरों ने जनवरी2019 से बकाया वेतन धनराशि का भुगतान कराने व उन्हें वापस काम पर लिए जाने की मांग की।
डीएलसी कार्यालय पर हुए प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू जिलाध्यक्ष गंगेश्वर दत्त शर्मा ने कहा कि 7 माह से वेतन नहीं मिलने से 129 पुलिस वाहन चालकों और उनके परिवार की स्थिति दयनीय हो गयी है तथा उनके सामने भुखमरी के हालात बन गये तथा बच्चों की पढ़ाई छूट रही है और कई माह से मकान का किराया नहीं दे पाने के कारण मकान मालिकों द्वारा घर खाली करने का दबाव झेल रहे हैं। इस हालात के लिए उन्होंने श्रम विभाग/जिला प्रशासन की उदासीनता के लिए कड़ी निन्दा की और मांग की कि जल्द से जल्द पुलिस वाहन चालकों की समस्याओं का समाधान किया जाये ।
प्रदर्शनकारियों को सीटू नेता रामसागर व पुलिस वाहन चालकों के प्रतिनिधि जीतु कुमार, अवधेश कुमार, नीलेश कुमार, पवन कुमार, सुन्दर, जोगेन्द्र सिंह, मनमोहन सिंह, राजेश कुमार शर्मा, सजय शर्मा, अमन कुमार, ओमपाल भाटी,वेद प्रकाश तिवारी आदि ने सम्बोधित किया।
इससे पहले भी वेतन न मिलने को लेकर जिले के पीसीआर वैन चालकों ने गौतमबुद्धनगर एसएसपी के आवास के सामने विरोध प्रदर्शन किया था।
तब एसएसपी वैभव कृष्ण ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस मुद्दे को एक सप्ताह के भीतर सुलझा लिया जाएगा। दूसरी ओर, नोएडा प्राधिकरण, जिस पर वेतन रोकने का आरोप है, उसने कहा है कि वह ऐसा नहीं करेगा और इस मामले को राज्य सरकार को भेज दिया गया है। इस बात को भी करीब एक माह हो गया लेकिन अभी भी कुछ नहीं हुआ।
चुनाव से पहले कई ड्राइवरों ने पुलिस चौकी पर अपने वाहन खड़े कर दिए थे, लेकिन उस समय उनको चुनाव खत्म होने के बाद बकाया भुगतान का आश्वासन दिया गया था।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि विवाद की शुरुआत जुलाई 2017 में हुई, जब पुलिस विभाग ने निजी एजेंसियों के ड्राइवरों को आउटसोर्स करने के लिए नए सिरे से निविदा जारी की और काम के घंटे को 8 घंटे से बदलकर दिन में 12 घंटे कर दिया।
इससे पहले, प्रत्येक पीसीआर वैन को तीन ड्राइवरों को सौंपा गया था, लेकिन काम के घंटे के बढ़ जाने के बाद,प्रत्येक वैन के लिए ड्राइवरों की संख्या दो कर दी गई थी क्योंकि नोएडा प्राधिकरण केवल दो ड्राइवरों के लिए भुगतान करने को तैयार था।
जिले भर के 43 पीसीआर वैन में पुलिसकर्मियों के साथ फेरी लगाने की जिम्मेदारी सभी 129 ड्राइवरों की है। एक ड्राइवर ने कहा, "हमने बार-बार अनुरोध किया था और हमें चुनाव के बाद आने के लिए कहा गया था, लेकिन अभी तक हमारा वेतन नहीं मिला है।"
ड्राइवरों के ठेकेदार जयदीप सिंह ने कहा कि “मैंने डीएम और एसएसपी को कम से कम पांच बार लिखा है, कोई फायदा नहीं हुआ।”
सोमवार को टाइम्स ऑफ़ इण्डिया से नोएडा पुलिस प्रमुख वैभव कृष्ण ने कहा कि 'हमने इस मुद्दे पर यूपी पुलिस मुख्यालय को लिखा है। प्राधिकरण ने पिछले कुछ महीनों से उनके वेतन को रोक दिया, जिसके कारण समस्या है। ड्राइवर-कांस्टेबलों को अब इन पीसीआर वैन के लिए तैनात किया जाएगा। उन्हें अतिरिक्त भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
पीसीआर वैन आपातकालीन कॉल और गश्त के लिए जाती हैं। केवल ड्राइवर ही नहीं, इस कदम ने पुलिस स्टेशनों को भी मुश्किल का समाना करना पड़ रहा है।
निजी कंपनी ने 28 अगस्त, 2017 को यूपी पुलिस के साथ दो साल का करार किया था, जिसमें लगभग 9,000 रुपये मासिक वेतन की तय हुआ था ।
लेकिन मामला यह है की नोएडा प्रधिकरण जिसे इन पैसो का भुगतन कारण था वो कई महीनो से पैसे नहीं दे रही है इसलिए पुलिस कंपनी को पैसे नहीं दे पा रही है।
जीतू पीसीआर में ड्राइवर थे। उन्होंने कहा कि हम कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, कंपनी पुलिस को दोष दे रही है पुलिस नोएडा प्रधिकरण को लेकिन कर्मचारी सात महीने से बिना वेतन के है।
यह कोई पहला मौका नहीं जब जरूरी सेवाओं के कर्मचारी हड़ताल पर हैं, न ही यह एक राज्य की कहानी है। बीते कुछ समय में हमने दिल्ली और उत्तराखंड एंबुलेंस कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
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दिल्ली में तो एंबुलेंस कर्मचारी एक महीने से अधिक से हड़ताल पर हैं। इन सबकी मांगें एक तरह की हैं कि बकाया वेतन और नियमितिकरण किया जाए।
वेतन न मिलने का सबसे बड़ा कारण यही रहता है कि सरकार ने इन सभी विभागों में बीते दिनों में काम का ठेका निजी कंम्पनियो को दे दिया है। सरकारों का इसके पीछे तर्क होता है कि इससे इन सेवाओं को अच्छी तरह से दे पाएगी। लेकिन सवाल उठता है की निजीकरण से किसका फायदा हो रहा है। क्योंकि सुविधाओं में तो कोई गुणात्मक सुधार दिख नहीं रहा है बल्कि कर्मचारियों को कई-कई माह का वेतन नहीं मिला रहा है, जबकि सरकार के खर्च में कोई कमी नहीं आ रही है।
तो इसके बाद सवाल उठता है कि क्या सरकार को सरकारी विभागों को निजीकरण या आउटसोर्स पर कर्मचारियों की भर्ती करनी चाहिए। खासतौर पर इस तरह की क्विक रिएक्शन यानी उनका जिन्हें तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत होती है जैसे पुलिस, एंबुलेंस और अग्निशमन विभाग को क्योंकि अगर इनके कर्मचारी तनावग्रस्त होंगे तो वो काम क्या करेंगे।
दिल्ली में ही कई लोगों जिनकी जान बच सकती थी लेकिन हड़ताल के कारण नहीं बच सकी। हाल में ही दो घटनाएं घटी, एक झिलमिल में आग की घटना जिसमे तीन मज़दूर की मौत हो गई। इतनी बड़ी घटना के बाद भी वहां एक एंबुलेंस ही पहुंची, वो भी काफी देर से स्थानीय लोगों के मुताबिक अगर उन्हें समय से इलाज मिलता तो उनकी जान बच सकती थी।
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इस तरह से ओखला के जाकिर नगर में बहुमंजिला इमारत में आग लगी इसमें 5 लोगों की मौत हो गई करीब दस लोग घायल हुए थे। यहाँ भी केवल एक एंबुलेंस ही पंहुच पाई थी। इसके अलावा रोज़ कई घटनाएं हो रही हैं, जहाँ लोगों को एंबुलेंस की जरूरत है लेकिन मिल नहीं पा रही है।
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इसी तरह कई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक स्थनीय लोगों का कहना है की नोएडा में पीसीआर वैन के ड्राइवरों की कमी से आपातकालीन कॉल के बाद पुलिस काफी देरी से आ रही है, और उसकी गश्त भी प्रभावित हो रही है। जिला पुलिस के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में वाहन अपराध, जैसे वाहन चोरी, डकैती और चेन स्नैचिंग में इस साल के पहले छह महीनों में काफी वृद्धि देखी गई है।
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