मोदी जब भी मुसलमानों से अधिकार छीनने की कोशिश करेंगे, बाबा साहब सामने खड़े मिलेंगे

भारत का प्रधानमंत्री पूरे भारत का होता है, चाहे किसी ने उनकी पार्टी को वोट दिया हो या नहीं, चाहे कोई व्यक्ति उस प्रधानमंत्री और उसकी पार्टी का कट्टर विरोधी ही क्युँ ना हो, प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने के बाद प्रधानमंत्री को अपनी संकुचित सोच का दायरा बढ़ा कर पूरे देश को साथ लेकर चलना चाहिए और थोड़ा बहुत कम या अधिक ऐसा होता भी रहा है।
गुजरात चुनाव के आखिरी दौर में उच्चतम न्यायालय में मुसलमानों की तरफ से जिरह कर रहे वरिष्ठ वकील "कपिल सिब्बल" पर प्रधानमंत्री ने जिस तरह आक्रमण किया वह चिंताजनक स्थिति है, क्या प्रधानमंत्री इस देश में मुसलमानों से उनका कानूनी अधिकार भी छीन लेना चाहते हैं? क्या अदालत में अपनी पैरवी के लिए किसी वकील को खड़ा करने पर देश का प्रधानमंत्री ओछी और छिछली टिप्पणी करेगा? क्या इस देश में मुसलमानों को अदालत में अपना पक्ष रखने से यह प्रधानमंत्री वंचित करना चाहते हैं ? या मुसलमानों की तरफ से पैरवी करने वाले वकील को देश का प्रधानमंत्री धमका रहा है?
दरअसल, वह ऐसा कुछ नहीं कर सकते क्युँकि जब वह ऐसा करना चाहेंगे "बाबा साहेब डाक्टर भीम राव अंबेडकर" उनके सामने अपने हाथों में संविधान लिए खड़े हो जाएँगे, देश के संविधान और बाबा साहेब से इनकी समस्या इसीलिए है। असल में वह ऐसा करके केवल और केवल अपने मुर्ख और आधे दिमाग के भक्तों और वोटरों को भ्रमित करना चाह रहे हैं।
गुजरात चुनाव की तिथि करीब आते ही भाजपा-मोदी सांप्रदायिक ध्रुविकरण का वैसा ही प्रयास कर रहे हैं जैसा कि उत्तर प्रदेश में "शमशान-कब्रिस्तान" का प्रयोग करके किया था और ऐसा भाजपा प्रवक्ताओं का "हुँवा हुँवा" करना साबित भी कर रहा है।
कोई जीवीएल नरसिंहाराव राहुल गाँधी को "बाबरभक्त" और "खिलजी की औलाद" बता रहा है तो संबित पात्रा टीवी पर ऊल जुलूल टिप्पणी कर रहा है। भाजपा हर चुनाव के अंतिम दौर में यही करती है, भाजपा जहाँ भी सीधी लड़ाई में होती है उसके हारने की उम्मीद वहाँ अधिक हो जाती है और इसीलिए गुजरात में उसकी छटपटाहट चुनावी नतीजों का आभास देने लगे हैं।
चुनाव जीतने के लिए स्तरहीन और घटिया स्तर पर आना कोई भाजपा से सीख सकता है, राहुल गाँधी के पिता राजीव गाँधी हैं, परन्तु भाजपाईयों का उनको "खिलजी पुत्र" कहना यह दर्शाता है कि वह किस तरह के नीच लोग हैं।
मुझे लगता है राहुल गाँधी और कांग्रेस को अब मानहानि की नोटिस भेजकर ऐसे लोगों का मुँह बंद कराना चाहिए अन्यथा यह चुनावी पागलपन में किसी दिन अपनी अम्मा का पति राहुल गाँधी को बना डालेंगे।
दुनिया देख रही है कि और इतिहास बन रहा है कि भारत के सर्वोच्च पद पर एक "चुनावी कीड़ा" आसीन है जिसके सामने देश से अधिक महत्वपुर्ण पार्टी और उसकी चुनावी जीत है।
अब कुछ भी कर लें गुजरात मन बना चुका है।
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