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महाराष्ट्र विधानसभा में मुख्यमंत्री को छोड़ बाकी सदस्यों की शपथ

मुख्यमंत्री बनने जा रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अभी विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं। शपथ ग्रहण करने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधानसभा या विधानपरिषद में किसी एक का सदस्य बनना अनिवार्य है।
महाराष्ट्र

महाराष्ट्र की 14वीं विधानसभा के सदस्यों का बुधवार को हुआ शपथ ग्रहण समारोह इस मायने में अलग रहा कि जब सदन का विशेष सत्र आरंभ हुआ तब तक न तो सरकार का गठन हुआ था और न ही मुख्यमंत्री नियुक्त हुए हैं। मुख्यमंत्री बनने जा रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अभी विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं। शपथ ग्रहण करने के 6 महीने के भीतर उन्हें विधानसभा या विधानपरिषद में किसी एक का सदस्य बनना अनिवार्य है।
राज्य विधानभवन के प्रभारी सचिव राजेंद्र भागवत ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बीते कई दशकों से यह परंपरा चली आ रही है कि सबसे पहले शपथ मुख्यमंत्री लेते हैं और उनके बाद अन्य सदस्यों को शपथ दिलवायी जाती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसके तुरंत बाद या फिर उसके बाद के सत्र में शक्ति परीक्षण करवाया जाता है। इस मामले में मुख्यमंत्री ने तो शपथ ली ही नहीं लेकिन सदन के सदस्यों को शपथ ग्रहण करवाई गई।’’
भागवत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश के चलते शपथ ग्रहण समारोह करवाना हमारे लिए अनिवार्य हो गया था। सभी सदस्यों के शपथ ग्रहण के बाद विधानसभा बिना प्रमुख और बिना मंत्रिमंडल के ही आरंभ हो जाएगी।’’

भागवत ने कहा कि मुख्यमंत्री को शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल का गठन करना होगा।

उन्होंने बताया, ‘‘अगले पूर्ण सत्र का कार्यक्रम मंत्रिमंडल की पहली बैठक में तय होगा। शक्ति परीक्षण उसी सत्र में होगा।’’

महाराष्ट्र में 288 विधायकों को शपथ दिलाने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुधवार सुबह आरंभ हुआ। आज कुल नव निर्वाचित 285 सदस्यों ने शपथ ली।

विधान भवन के एक अधिकारी ने बताया कि 288 सदस्यीय सदन में दो सदस्यों सुधीर मुनगंटीवार (भाजपा) और देवेंद्र भुयार (स्वाभिमानी पक्ष) ने बुधवार को शपथ नहीं ली। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी द्वारा नियुक्त किए जाने के बाद कार्यवाहक अध्यक्ष कालीदास कोलांबकर ने मंगलवार को शपथ ली थी।

विधान सचिव राजेंद्र भागवत ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि दो सदस्यों महेश बालदी (निर्दलीय), मोहम्मद इस्माइल (एआईएमआईएम) को बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर में शपथ दिलाई गई क्योंकि वे सदन स्थगित होने के बाद पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि इस्माइल यातायात जाम में फंसने के कारण विलंब से पहुंचे जबकि पड़ोसी रायगढ़ जिले के उरण से विधायक बालदी इसलिए देरी से पहुंचे क्योंकि वह अलीबाग से मुंबई आने के लिए जिस नौका में सवार हुए थे उसमें कुछ खराबी आ गई थी।

भागवत ने बताया कि मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अध्यक्ष के चुनाव के लिए तारीख पर फैसला लिया जाएगा। बृहस्पतिवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल की बैठक होगी।

बहरहाल, कांग्रेस में सूत्रों ने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए चुनाव 30 नवंबर को होगा।

इससे पहले सुबह (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी)राकांपा सांसद सुप्रिया सुले ने सत्र शुरू होने से पहले विधान भवन के प्रवेश द्वार पर अजित पवार और पार्टी विधायक रोहित पवार से मुलाकात की।

सुले ने पत्रकारों से कहा, ‘‘यह दिन अपने साथ बड़ी जिम्मेदारी लाया है।’’

सदन में कार्यवाहक अध्यक्ष कालीदास कोलांबकर ने बबनराव पचपुते, विजयकुमार गवित और राधाकृष्ण विखे पाटिल को सदस्यों को शपथ दिलाने के वास्ते पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया।

सदस्यों को वरिष्ठता क्रम के अनुसार शपथ दिलाई गई। पीठासीन अधिकारी पचपुते और गावित ने सबसे पहले शपथ ली और फिर इसके बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शपथ ली। राकांपा नेता अजित पवार, छगन भुजबल, कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दिलीप वाल्से पाटिल (राकांपा) तथा हरीभाऊ बागड़े (भाजपा) पहले शपथ लेने वालों में शामिल रहे।

अजित पवार जब शपथ लेने के लिए मंच पर गए तो राकांपा सदस्यों ने मेज थपथपाकर उनका स्वागत किया।
मुंबई की वरली सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे को विभिन्न दलों ने बधाई दी।

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के 29 वर्षीय बेटे आदित्य सभी वरिष्ठ सदस्यों के पास उनका अभिवादन करने गए।

शपथ लेने वाले नये सदस्यों में धीरज देशमुख (कांग्रेस) और रोहित पवार (राकांपा) भी शामिल रहे।
नव निर्वाचित सदस्य राज्य में चल रहे राजनीतिक नाटकीय घटनाक्रमों के कारण विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक महीने बाद भी शपथ नहीं ले पाए थे।

किसी भी राजनीतिक दल के सरकार न बना पाने के कारण राज्य में 12 नवंबर से 23 नवंबर तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कोश्यारी से प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि सदन के सभी निर्वाचित सदस्यों को बुधवार शाम पांच बजे तक शपथ दिला दी जाए।

राकांपा नेता अजित पवार के समर्थन से 23 नवंबर को बनी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मंगलवार दोपहर को तब गिर गयी जब पवार ने उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और फिर उसके बाद देवेंद्र फडणवीस को भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के ‘महाविकास अघाड़ी’ ने सोमवार को 162 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए राज्यपाल को एक पत्र सौंपा था।

28 नवंबर को शाम 6 बजकर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की शपथ

राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में उनसे विधानसभा में बहुमत के समर्थन वाली एक ‘‘सूची’’ तीन दिसंबर तक सौंपने के लिए कहा है।

राजभवन के एक बयान के मुताबिक, राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को संबोधित एक पत्र में कहा, ‘‘मैंने देखा है कि महाराष्ट्र विकास आघाड़ी के पास 162 निर्वाचित सदस्य हैं। ’’

बयान में कहा गया है कि क्योंकि उद्धव महाराष्ट्र विधानमंडल के सदस्य नहीं हैं इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह महीने के भीतर सदस्य बनना होगा।

कांग्रेस-राकांपा के नेताओं के साथ राज्यपाल से भेंट करने वाले शिवसेना के एक नेता ने बताया कि ठाकरे दादर में शिवाजी पार्क में 28 नवंबर को शाम छह बजकर 40 मिनट पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
इससे पहले, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने तीनों दलों की संयुक्त बैठक में घोषणा की थी कि नयी सरकार का

शपथ ग्रहण समारोह एक दिसंबर को होगा, लेकिन उद्धव के राज्यपाल से मिलने के बाद कार्यक्रम में बदलाव किया गया।

ठाकरे परिवार से उद्धव पहले ऐसे नेता होंगे जो राज्य में शीर्ष राजनीतिक पद का प्रतिनिधित्व करेंगे। उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी सरकार प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करेगी।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘सरकार गठन के बाद मैं अपने ‘बड़े भाई’ से मिलने दिल्ली जाऊंगा।’’ मोदी ने चुनावी रैलियों के दौरान उद्धव को ‘‘अपना छोटा भाई’’ बताया था।
ठाकरे ने कहा, ‘‘मैं सोनिया जी का भी शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। अलग विचाराधारा वाले दल साथ आए हैं...जो 30 साल से दोस्त थे, हम पर भरोसा नहीं किया। लेकिन जिनके खिलाफ हम 30 साल लड़ते रहे , उन्होंने मुझ पर भरोसा किया।’’

उन्होंने कहा कि आम लोगों को इसे अपनी सरकार मानना चाहिए।

ठाकरे ने कहा, ‘‘लड़ाई निजी नहीं है....मेरी सरकार प्रतिशोध की भावना से काम नहीं करेगी।’’

मैं राकांपा में ही रहूंगा: अजित पवार

राकांपा नेता अजित पवार ने बुधवार को कहा कि वह अपनी पार्टी में बने रहेंगे और उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला मनोनीत मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे लेंगे।

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए पिछले सप्ताह भाजपा को समर्थन देने वाले अजित पवार ने कहा कि उनके राकांपा में बने रहने के बारे में भ्रम ‘‘पैदा करने’’ की कोई वजह नहीं है।

अजित पवार ने विधान भवन परिसर में कहा, ‘‘अभी मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है, मैं सही समय आने पर बोलूंगा। मैंने पहले भी कहा था कि मैं राकांपा में हूं और मैं राकांपा में ही रहूंगा। भ्रम पैदा करने की कोई वजह नहीं है।’’

इस बीच राकांपा विधायक रोहित पवार ने बुधवार को कहा कि उन्हें भरोसा था कि उनके चाचा अजित पवार पार्टी में लौट आएंगे और उन्हें खुशी है कि अजित पवार ने पार्टी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की।
उन्होंने यह भी कहा कि पवार परिवार ‘‘एकजुट’’ है और हमेशा रहेगा।

शरद पवार के बड़े भाई अप्पासाहेब पवार के पोते रोहित पवार ने एक समाचार चैनल से कहा, ‘‘मैं भरोसा नहीं कर पाया कि यह कैसे हुआ। एक कार्यकर्ता के तौर पर मुझे इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है। परिवार के सदस्य के तौर पर कुछ कशमकश थी, मैं समझ नहीं सका कि क्या हो रहा है।’’
उनसे पूछा गया था कि भाजपा के साथ हाथ मिलाने के बाद अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर उन्हें कैसा लगा था।

रोहित पवार ने कहा, ‘‘लेकिन हमें उनकी वापसी का पूरा यकीन था। हम दादा को बहुत अच्छी तरह जानते हैं।’’
पुणे की बारामती सीट से 1.65 लाख मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव जीतने वाले राकांपा विधायक ने अपनी पार्टी और परिवार को पिछले शनिवार को उस समय अचंभे में डाल दिया था जब उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया और वह देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने।
इसके बाद उसी दिन राकांपा ने उन्हें अपने विधायक दल के नेता पद से हटा दिया। बहरहाल, वह पार्टी के सदस्य बने रहे।

अजित पवार ने मंगलवार को ‘‘निजी वजहों’’ का हवाला देते हुए उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद फडणवीस ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया जिससे भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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