महाराष्ट्र सरकार के स्कूलों को निजी हाथों में देने के फैसले के खिलाफ उठ रही है आवाज़े

महाराष्ट्र सरकार का बिल Maharastra Self Finance school Act 2012 की शिक्षाविद, विधायक और अभिभावक सभी निंदा कर रहे हैं I ये बिल जो कि असेंबली से पास होकर अभी विधान परिषद् में लटका हुआ है, Company Act के सेक्शन 8 के अंतर्गत पंजीकृत कंपनियाँ राज्य में निजी स्कूल बना सकती हैं I अब तक सिर्फ कुछ पंजीकृत ट्रस्ट , पंजीकृत संस्थाएं और सरकारी संस्थाएं को ही स्कूल खोलने की अनुमति थी I चौकाने वाली बात ये है कि बिल ने स्कूल बनाने की शर्तें कम कर दीं हैं I मुंबई में कंपनियों को अब स्कूल खोलने के लिए 2000 स्वेयर मीटर की जगह सिर्फ 500 स्वेयर मीटर की जगह की ज़रुरत होगी I दुसरे इलाकों में 2 एकड़ की जगह अब सिर्फ 1 एकड़ ज़मीन की ज़रुरत होगी I
एक तरफ जहाँ शिक्षा मंत्री विनोद तावडे का कहना है कि इस नए बिल से अच्छे स्तर की शिक्षा उपलब्ध होगी, जानकारों का कहना है कि इस कानून से शिक्षा के निजीकारण की तरह एक और कदम है और वह भी उस राज्य में जहाँ शिक्षा व्यवस्था पहले से चर्मरा रही है I
ये नया कानून जो शिक्षा में निजी कंपनियों को खुला हाथ दे रहा है , संविधान के निर्देशक सिधांतों की अवहेलना करता हुआ दिखाई पड़ रहा है जो कि कहता है कि सबको 14 वर्ष की आयु तक मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए I इसी तरह कई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय भी ये कहते हुए दिखाई देते हैं कि शिक्षा एक लोक कल्याण कार्य है और उसे मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए I 2002 में 7 जजों की एक बेंच ने TMA Pai Foundation vs State of Karnataka केस में ये कहा था “शिक्षा स्वभाविक तौर पर लोक कल्याण कार्य है I”
District information System for Education जो कि स्कूलों के डेटाबेस का केंद्रीय स्तर का सरकारी संस्थान है ,के आंकड़ों के अनुसार राज्यों में सरकारी मदद के बिना चलने वाले निजी स्कूलों की तादाद 1.93 लाख से बढ़कर अब 2.68 लाख हो गयी है ये 72% की बढौतरी है I इस कानून से इस प्रवृत्ति में बढ़ोतरी ही होगी I इस बिल पर बात करते हुए महाराष्ट्र SFI (Student Federation of India) के राज्य सचिब बालाजी ने कहा ये बिल लातूर की 11 कक्षा की छात्रा स्वाति की कहानी का मज़ाक उड़ता है जिसने 260 रुपये का मासिक बस पास वापस बनवाने के पैसे न होने की वजह से आत्महत्या कर ली थी I
उन्होंने जोड़ा कि राज्य सरकार ने महाराष्ट्र के सुखा ग्रसित इलाकों में छात्राओं को मुफ्त बस पास देने की सुविधा को भी बंद कर दिया है , जो स्वाति की याद में शुरू की गयी थी I जब डिजिटल इंडिया के नारे दिए जा रहे हैं तब नासिक के चिंताला जो की सिर्फ गुजरात से 5 किलोमीटर दूर है , में मोबाईल की सुविधा तक नहीं है I
बिल निजी स्कूलों में अध्यापकों के कम वेतन के मुद्दे को भी सामने ला रहा है I कपिल पाटिल जो कि MLC हैं ने बताया कि महाराष्ट्र में निजी स्कूलों के बढ़ जाने से अध्यापकों का वेतन भी कम होगा और काम करने की स्थितियाँ भी ख़राब होंगी I बालाजी ने कपिल की बात को दोहराया और कहा कि महाराष्ट्र सरकार के पास शिक्षकों को एक प्रकार का वेतन देने का कोई तंत्र नहीं है I उन्होंने जोड़ा कि ग्रामीण इलाकों में निजी स्कूलों द्वारा अध्यापकों को कई जगह सिफ 5000 हज़ार रुपये मिल रहे हैं I
लेकिन पटेल के हिसाब से सरकार की कार्यों में बहुत से अंतर्विरोध हैं I उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार में सचिव नन्द कुमार ने निजी कंपनियों को लाने के लिए 80000 हज़ार स्कूलों को बंद करने की पेशकश की है I पाटिल ने न्यूज़क्लिक को कहा “हम कंपनी राज को भारत में फिर से आते हुए देख रहे हैं I हमें कई 100 साल लगे अंग्रेज़ी हुकूमत को हटाने में I महाराष्ट्र सरकार का ये निर्णय शिक्षा को निजीकरण की तरफ और ज़्यादा धकेलेगा जिससे शिक्षा एक बाज़ार की चीज़ बन जाएगी I राज्य में सिर्फ उन लोगों की स्कूलों तक पहुँच होगी जो शिक्षा को खरीद पाएंगे I” उन्होंने आगे कहा “राज्य में रामदेव का पतंजलि भी स्कूल बनाने की तैयारी कर रहा है I इसीलिए ये निर्णय क्रोनी कैपिटलिज्म से प्रेरित है और स्कूलों से मुआनाफा कमाने के लिए है I
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