नफ़रतों के बीच, नज़रुल का प्रेम
ख़ास रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार भाषा सिंह ने बात की, बंगाल के मशहूर कवि, विचारक नज़रुल इस्लाम के गीतों में बसे प्रेम की, अमन की और बताया कि नफ़रत फैलाने वाली राजनीति के दौर में उनकी पंक्तियों को याद करना क्यों जरूरी है। कोलकाता से लेकर हल्दिया की यात्रा के दौरान नज़रुल के मशहूर गीत-साम्यता का गान का पाठ किया गया है। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल के आसनसोल में चुरलिया गांव में जन्मे नज़रुल के फोटो के लिए पत्रकार-संपादक महेंद्र मिश्र का ख़ास आभार, जिन्होंने हमें वे मुहैया कराईं।
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।