कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं।
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कपिल सिब्बल ने सपा के समर्थन से दाखिल किया राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन
लखनऊ/भाषा: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संवाददाताओं को बताया कि सिब्बल ने पार्टी के समर्थन से राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है।
नामांकन के दौरान उनके साथ सपा अध्यक्ष के साथ साथ पार्टी के प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव तथा अन्य वरिष्ठ सपा नेता मौजूद थे।
नामांकन दाखिल करने के बाद सिब्बल ने स्पष्ट किया "मैंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा है और हम अखिलेश जी का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने हमें समर्थन दिया है।"
सिब्बल ने यह भी बताया कि वह पिछले 16 मई को कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं।
उन्होंने कहा "हम विपक्ष में रह कर एक गठबंधन बनाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि 2024 में ऐसा माहौल बने कि मोदी सरकार की जो खामियां हैं उन्हें जनता तक पहुंचाया जाए। मैं खुद अपनी ओर से प्रयास करूंगा।"
टेक्सास के स्कूल में गोलीबारी, 18 बच्चों, तीन वयस्कों की मौत
ह्यूस्टन/भाषा: अमेरिका में टेक्सास राज्य के एक प्राथमिक स्कूल में 18 वर्षीय एक बंदूकधारी ने अंधाधुंध गोलीबारी करके 18 बच्चों समेत 21 लोगों की हत्या कर दी और कई अन्य इस घटना में घायल हो गए। इसके बाद पुलिस कार्रवाई में हमलावर मारा गया।
सैन एंटोनियो से 134 किलोमीटर दूर टेक्सास के उवाल्डे शहर के रॉब एलीमेंट्री स्कूल में मंगलवार पूर्वाह्न करीब साढ़े 11 बजे गोलियों की आवाज सुनाई दीं।
टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉट ने बताया कि हमलावर की पहचान साल्वाडोर रामोस के रूप में हुई है, जो स्कूल के पास के एक इलाके का रहने वाला था। अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि हमला क्यों किया गया।
एबॉट ने मंगलवार शाम को कहा, ‘‘उसने भयंकर गोलीबारी करके लोगों की हत्या कर दी। इसमें 14 बच्चों और एक अध्यापक की मौत हो गई।’’ बाद में मृतक संख्या बढ़ गई और गोलीबारी में 18 बच्चों और तीन वयस्कों की मौत होने की जानकारी दी गई।
उन्होंने बताया कि कानून प्रवर्तन से जुड़े दो अधिकारियों को भी गोलियां लगी हैं, लेकिन उनके ठीक हो जाने की उम्मीद है।
कानून प्रवर्तन के सूत्रों ने पुष्टि की कि रामोस के पास एक हैंडगन और एक एआर -15 अर्द्धस्वचालित राइफल थी। उसके पास उच्च क्षमता वाली मैगजीन भी थी।
मृतकों के नाम और अन्य जानकारी अभी उपलब्ध नहीं कराई गई है। स्कूल की वेबसाइट के अनुसार, उसके छात्रों की आयु पांच वर्ष से 11 वर्ष है।
उवाल्डे में पुलिस प्रमुख पेटे अरेडोंडो ने कहा, ‘‘रोब एलीमेंट्री स्कूल में आज पूर्वाह्न 11 बजकर 32 मिनट पर बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए।’’
उन्होंने बताया कि हमलावर ने अकेले गोलीबारी की, जो पुलिस की गोलीबारी में मारा गया।
अरेडोंडो ने बताया कि ये बच्चे दूसरी, तीसरी और चौथी कक्षा में पढ़ते थे और उनकी आयु सात से 10 साल के बीच थी।
क्वाड शिखर वार्ता में शामिल होने के बाद जापान से लौट रहे अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन को गोलीबारी की इस घटना की जानकारी दी गई।
बाइडन की प्रेस सचिव कैराइन जीन पियरे ने बताया कि बाइडन शाम को गोलीबारी की घटना को लेकर मीडिया को संबोधित करेंगे।
पियरे ने ट्वीट किया, ‘‘उनकी (बाइडन की) संवेदनाएं इस भयंकर घटना से प्रभावित हुए परिवारों के साथ हैं।’’
बाइडन ने टेक्सास में मारे गए लोगों की याद में 28 मई को सूर्यास्त तक अमेरिकी ध्वज को आधा झुकाए रखने का आदेश दिया है।
स्पाइसजेट पर रैनसमवेयर हमला, उड़ानों के संचालन में देरी
नयी दिल्ली/भाषा: विमानन कंपनी ‘स्पाइसजेट’ ने कहा कि उसपर मंगलवार रात रैनसमवेयर हमला हुआ,जिसके कारण उसकी उड़ानों के प्रस्थान में बुधवार सुबह देरी हुई।
स्पाइसजेट के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘स्पाइसजेट की कुछ प्रणालियों पर कल रात रैनसमवेयर हमला किया गया, जिससे आज (बुधवार) सुबह उड़ानों के प्रस्थान में देर हुई।’’
प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी की आईटी टीम ने स्थिति नियंत्रित कर ली है और समस्या सुलझा ली है तथा विमानों का संचालन अब सामान्य है।
सरकार ने इस वर्ष चीनी निर्यात की सीमा एक करोड़ टन तय की, विशेष अनुमति लेकर ही हो सकेगा निर्यात
नयी दिल्ली/भाषा: केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि चीनी की घरेलू स्तर पर उपलब्धता और दरों में स्थिरता बनाए रखने के लिए उसने चालू विपणन वर्ष में इसके निर्यात को एक करोड़ टन तक सीमित करने के लिए अधिसूचना जारी की है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने इस बाबत 24 मई की रात को एक अधिसूचना जारी की जिसके मुताबिक एक जून, 2022 से 31 अक्टूबर, 2022 तक, या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात की अनुमति खाद्य मंत्रालय के तहत चीनी निदेशालय की विशिष्ट अनुमति के साथ दी जाएगी।
चालू विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के लिए करीब 90 लाख टन के निर्यात के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं, चीनी मिलों से करीब 82 लाख टन चीनी निर्यात के लिए निकाली जा चुकी है और करीब 78 लाख टन का निर्यात किया जा चुका है।
खाद्य मंत्रालय के मुताबिक यह निर्णय चीनी के रिकॉर्ड निर्यात की पृष्ठभूमि में लिया गया है। विपणन वर्ष 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से उच्च स्तर पर पहुंच गया था। 2020-21 में निर्यात 70 लाख टन और 2019-20 में 59.6 लाख टन था।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘चीनी निर्यात अभूतपूर्व तरीके से बढ़ने के मद्देनजर और देश में चीनी का पर्याप्त भंडार बनाए रखने, देश में चीनी के दाम बढ़ने से रोकने और देश के आम नागरिकों की हितों की रक्षा के लिए भारत सरकार ने एक जून 2022 से चीनी के निर्यात का नियमन करने का फैसला लिया है।’’
इस बयान में कहा गया कि चीनी मिलों और निर्यातकों को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग में चीनी निदेशालय से निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के रूप में मंजूरी लेनी होगी।
इस फैसले से सुनिश्चित होगा कि सितंबर 2022 की समाप्ति तक चीनी का भंडार 60-65 लाख टन बना रहे जो घरेलू स्तर पर दो से तीन महीने के लिए जरूरी भंडार है।
मंत्रालय ने कहा कि 31 मई तक चीनी निर्यात की इजाजत होगी। उसने कहा कि सरकार चीनी क्षेत्र में उत्पादन, उपभोग, देश भर के थोक और खुदरा बाजारों में निर्यात और कीमतों पर लगातार नजर रख रही है।
चालू वर्ष में भारत चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
दिल्ली में तीन ‘ऑटोमैटेड ड्राइविंग टेस्ट’ मार्गों का उद्घाटन
दिल्ली सरकार ने दिन में परीक्षा देने के लिए समय नहीं निकाल पाने वाले ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करने के इच्छुक लोगों की सुविधा के लिए तीन ‘ऑटोमैटेड ड्राइविंग टेस्ट’ (स्वचालित चालन परीक्षा) मार्गों का उद्घाटन किया है, जहां लोग शाम को परीक्षा दे सकते हैं।
एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने यहां मयूर विहार, शकूर बस्ती और विश्वास नगर में तीन मार्गों का उद्घाटन किया।
अधिकारी ने बताया कि परीक्षा देने के इच्छुक लोग शाम पांच बजे से शाम सात बजे के बीच इसके लिए समय ले सकेंगे। अधिकारी ने बताया कि इसके लिए पहले से समय लिए बिना परीक्षा नहीं ली जाएगी।
बाध्यकारी परिस्थितियों के कारण ‘यूएपीए’ वह बन गया जो कभी उसका मकसद नहीं था : अदालत
श्रीनगर/भाषा: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि ‘यूएपीए’ गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए एक कानून था, लेकिन “बाध्यकारी परिस्थितियों” के कारण, यह वह बन गया है जिसके बारे में सोचा नही था ।
न्यायूमर्ति संजीव कुमार और न्यायमूर्ति वी सी कौल की खंडपीठ ने पीडीपी के युवा नेता वहीद पारा को आतंकवाद से संबंधित एक मामले में जमानत देने के दौरान यह टिप्पणी की।
पीठ ने कहा, “गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए), जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट है, शुरू में एक निवारक कानून के रूप में परिकल्पित किया गया था।
इसने गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए कमोबेश प्रावधान किए। हालांकि, बाध्यकारी परिस्थितियों के कारण, यूएपीए वह बन गया जिसके बारे में कभी विचार नही किया था।”
पीठ ने कहा कि यूएपीए ने अब आतंकवादी गतिविधियों और उससे जुड़े मामलों से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे को अपने दायरे में ले लिया है।
पीठ ने कहा, “कानून के इतिहास में ज्यादा गए बगैर, यह कहना पर्याप्त है कि शुरू में व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए अधिक प्रभावी कानूनी तंत्र प्रदान करने के लिए अधिनियमित किए गए यूएपीए ने बाद में आतंकवादी गतिविधियों और उससे जुड़े मामलों से निपटने के लिए मजबूत कानूनी ढांचे को अपने दायरे में ले लिया।”
अंतरिम राहत के लिए पारा के आवेदन के गुण-दोष पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा कि जमानत देना निस्संदेह एक विवेकाधिकार है, लेकिन इस विवेकाधिकार का इस्तेमाल न्यायपूर्ण तरीके से किया जाना है।
पीठ ने कहा, “यूएपीए के तहत अपराधों को करने पर जमानत देना या अस्वीकार करना नामित अदालत की एक शक्ति है जिसे यूएपीए की धारा 43-डी (5) द्वारा बचाव के लिए सीआरपीसी में निर्धारित अच्छी तरह से स्थापित कानूनी मानकों पर प्रयोग करने की आवश्यकता है।”
अदालत ने कहा कि यूएपीए की धारा 43-डी एक प्रावधान का प्रतीक है जिसे कुछ लोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देख सकते हैं, लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता को जनहित के विचारों के प्रति संतुलित किया जाना है।
अदालत ने सिद्धार्थ वरदराजन के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द की प्रयागराज
भाषा: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नई दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान एक युवक की मौत पर समाचार प्रकाशित करने को लेकर ‘द वायर’ के संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और एक रिपोर्टर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी बुधवार को रद्द कर दी।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार ने सिद्धार्थ वरदराजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया।
अदालत ने कहा, “चूंकि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप, भारतीय दंड संहिता की धारा 153-बी और 505 (2) के तहत अपराधों के कारित होने का खुलासा नहीं करते, इसलिए कानून की नजर में यह टिकाऊ नहीं हैं और रद्द किये जाने योग्य हैं। इसलिए प्राथमिकी रद्द की जाती है।”
उल्लेखनीय है कि केन्द्र के तीन कृषि कानूनों (जिन्हें अब वापस ले लिया गया है) के खिलाफ आंदोलन के दौरान 26 जनवरी, 2021 को दिल्ली में किसानों का विरोध प्रदर्शन हुआ और आईटीओ के निकट एक दुर्घटना में रामपुर के नवरीत सिंह डिबडिबा को गंभीर चोटें आईं और उसकी मृत्यु हो गई।
पुलिस का कहना है कि यह दुर्घटना डिबडिबा का ट्रैक्टर पलटने से हुई, जबकि कुछ चश्मदीद गवाहों का दावा है कि व्यक्ति की मृत्यु गोली लगने से हुई।
‘द वायर’ ने 30 जनवरी को एक खबर प्रकाशित की जिसका शीर्षक था- पोस्टमार्टम के डाक्टर ने गोली से लगी की चोट देखी, लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता क्योंकि उसके हाथ बंधे हैं।
यह खबर वरदराजन द्वारा 30 जनवरी, 2021 को प्रकाशित की गई और उसके अगले दिन 31 जनवरी, 2021 को संजू तुरइहा नाम के व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
प्राथमिकी में आरोप है कि वरदराजन ने ट्वीट के जरिए लोगों को भड़काने, दंगा फैलान, चिकित्सा अधिकारियों की छवि खराब करने और कानून व्यवस्था गड़बड़ करने की कोशिश की।
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