महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश, हंगामे के बीच कार्यवाही स्थगित

नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से महिला आरक्षण बिल को आज मंगलवार, 19 सितंबर को देश के नए संसद भवन के लोकसभा में पेश किया गया। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे पेश किया।
बिल के पेश होते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया, जिसकी वजह बिल की कॉपी थी जो पहले सांसदों के बीच सर्कुलेट नहीं की गई थी। विपक्ष ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना बिल को सर्कुलेट किए हुए इसे पेश कैसे कर दिया गया। जिस पर कानून मंत्री का जवाब आया कि बिल वेबसाइट पर अपलोड हो चुका है। हालांकि सरकार के इस जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और हंगामा जारी रहा। जिसके बाद कार्यवाही को बुधवार 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा में भी कमोबेश यही माहौल देखने को मिला। प्रधानमंत्री मोदी के बाद बोलने आए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जैसे ही ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की मांग की। सदन में हंगामा शुरू हो गया। हालांकि खड़गे रुके नहीं और उन्होंने कहा कि देश में कमजोर वर्ग की महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। इस लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण हो।
उन्होंने अपनी पार्टी कांग्रेस की ओर से कहा, "वो हमें क्रेडिट नहीं देंगे। लेकिन मैं आपके संज्ञान में ये लाना चाहता हूं कि महिला आरक्षण बिल 2010 में ही पास हो गया था। लेकिन इसे रोका गया था।"
बिल को लेकर क्रेडिट की होड़
इससे पहले देश के नए संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले संबोधन में महिला आरक्षण बिल को लाने का ऐलान करते हुए कहा कि इस बिल का नाम अब नारी शक्ति वंदन अधिनियम होगा और इसके माध्यम से हमारा लोकतंत्र और मजबूत होगा। इसके साथ ही उन्होंने देश की महिलाओं को बधाई देते हुए इस विधेयक को अमल में लाने के लिए संकल्पित होने की बात कही है।
पीएम मोदी ने कहा, "महिलाओं के नेतृत्व में विकास के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार एक प्रमुख संविधान संशोधन विधेयक पेश कर रही है। इसका उद्देश्य लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को विस्तार देना है।"
बता दें कि अगले साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में महिला हितैषी होने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने यह ये बिल मास्टर स्ट्रोक की तरह पेश करने की कोशिश की है। यही वजह है कि इसके क्रेडिट और टाइमिंग को लेकर भी सवाल उठ हैं। कांग्रेस का कहना है कि महिला आरक्षण बिल उनकी देन है, जबकि बीजेपी के मंत्री इसमें मोदी है, तो मुमकिन है का नारा दे रहे हैं।
सभी पार्टियां बिल के समर्थन में थीं, तो फिर 10 साल तक इंतजार क्यों!
इसी संदर्भ में राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने महिला आरक्षण बिल पर सरकार को घेरते हुए सवाल उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि जब सभी पार्टियां बिल के समर्थन में थीं, तो फिर 10 साल तक इंतजार करने की जरूरत ही क्यों पड़ी। सिब्बल का कहना था कि ऐसा 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर किया गया है।
गौरतलब है कि इस बिल को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियों का अभी इंतजार है। इसे लोकसभा में आज मात्र पेश किया गया है। कल यानी बुधवार, 20 सितंबर को इस बिल पर चर्चा होगी, जिसके बाद सभी पार्टियों का स्टैंड और स्पष्ट होगा। फिलहाल कानून मंत्री द्वारा यही बताया गया है कि इस बिल के तहत संसद और विधानसभा की 33 फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इस तरह अभी की व्यवस्था के तहत लोकसभा में 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जायेंगी।
बुधवार को ज़ोरदार बहस की उम्मीद
नारी शक्ति वंदन बिल में दिल्ली विधानसभा में भी महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का जिक्र है। यह प्रावधान 15 सालों के लिए है, इसके बाद संसद इसपर पुनर्विचार करेगी। विधेयक में प्रस्तावित है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन द्वारा आवंटित की जा सकती है।
जाहिर है ये बिल लगभग तीन दशकों से अधर में लटका पड़ा है। सभी विपक्षी पार्टियों ने सर्वदलीय बैठक में भी इसकी एकजुट होकर मांग उठाई थी। कांग्रेस पहले ही इसे बिना शर्त समर्थन की बात कह चुकी है। बावजूद इसके बाकी पार्टियों द्वारा बिल के प्रावधानों पर ज़ोरदार बहस होने की उम्मीद है। क्योंकि बीजेपी इसके जरिए अपने अगले चुनाव का एजेंडा सेट करने की कोशिश का कोई मौका नहीं हाथ से जाने देगी।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिल का विरोध करते हुए कहा, "इसमें मुस्लिम महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं है। इसलिए हम इसके खिलाफ हैं। जिनका प्रतिनिधित्व नहीं उन्हें प्रतिनिधित्व देना चाहिए।"
Women's Reservation Bill: “इस बिल का सबसे बड़ा अवगुण यह है कि इसमें OBC और मुस्लिम महिलाओं के लिए कोई कोटा नहीं रखा गया, इसी लिए हम इस बिल के ख़िलाफ़ हैं" pic.twitter.com/NPW9OKMFXB
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) September 19, 2023
सपा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, “ये बिल 2029 से पहले लागू नहीं होगा। हम तो इसका समर्थन कर रहे हैं। मैं जानता हूं जो सदन में बहुमत प्राप्त लोग हैं वे एंटी ओबीसी हैं। वे ओबीसी महिलाओं को आरक्षण नहीं देगें।
समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा, "महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए। इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।"
महिला आरक्षण लैंगिक न्याय और सामाजिक न्याय का संतुलन होना चाहिए।
इसमें पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक, आदिवासी (PDA) की महिलाओं का आरक्षण निश्चित प्रतिशत रूप में स्पष्ट होना चाहिए।— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 19, 2023
बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा महिलाओं को लोकसभा व राज्य की विधानसभाओं में आरक्षण 33 प्रतिशत देने की बजाय यदि उनकी आबादी को भी ध्यान में रखकर 50 प्रतिशत दिया जाता तो इसका हमारी पार्टी पूरे तहेदिल से स्वागत करती।
19-09-2023-BSP PRESS NOTE-WOMEN RESERVATION BILL pic.twitter.com/6P9Z8Cb3eT
— Mayawati (@Mayawati) September 19, 2023
भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अपने ट्वीट में कहा एससी, एसटी के लिए वर्तमान में आरक्षित सीटों को छोड़कर, बाकी जनरल सीटों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों की महिलाओं के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण होना चाहिए।
विधायिका के सदनों में "महिला आरक्षण" के संदर्भ में हमारी राय ये है-
1. एससी, एसटी वर्गों के लिए वर्तमान में आरक्षित सीटों को छोड़कर, बाकी जनरल सीटों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों की महिलाओं के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में "महिला आरक्षण के भीतर आरक्षण" होना चाहिए।
2. सरकार…
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) September 19, 2023
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने ट्वीट किया, "महिला आरक्षण के अंदर वंचित, उपेक्षित,खेतिहर एवं मेहनतकश वर्गों की महिलाओं की सीटें आरक्षित हो।मत भूलो, महिलाओं की भी जाति है। अन्य वर्गों की तीसरी/चौथी पीढ़ी की बजाय वंचित वर्गों की महिलाओं की अभी पहली पीढ़ी ही शिक्षित हो रही है इसलिए इनका आरक्षण के अंदर आरक्षण होना अनिवार्य है।"
महिला आरक्षण विधेयक में जो 33% आरक्षण दिया गया है उसमें SC, ST, OBC महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गयी है।
SC/ST वर्गों के लिए जो प्रावधान किया है वह उन वर्गों के लिए पहले से ही आरक्षित सीटों में से SC/ST की महिलाओं को 33% मिलेगा। यानि यहाँ भी SC/ST को धोखा।
— Rabri Devi (@RabriDeviRJD) September 19, 2023
आम आदमी पार्टी (आप) की वरिष्ठ नेता आतिशी ने आरोप लगाया कि महिला आरक्षण विधेयक साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिलाओं को बेवकूफ बनाने वाला विधेयक है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को महिलाओं की भलाई और कल्याण में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्होंने कहा, 'विधेयक के प्रावधानों को गौर से पढ़ने पर पता चलता है कि यह 'महिला बेवकूफ बनाओ' विधेयक है।'
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