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डेली राउंड अप: महिंदा राजपक्षे का इस्तीफ़ा, जहांगीरपुरी हिंसा मामले में पुलिस को अदालत की लताड़ और अन्य खबरें

श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाये जाने के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया। अदालत ने कहा कि प्राथमिकी की सामग्री से पता चलता है कि जहांगीरपुरी में पुलिस थाने के स्थानीय कर्मियों के साथ ही अन्य अधिकारी ‘‘अवैध जुलूस को रोकने के बजाय रास्ते में इसके साथ थे।’’

 

 

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अदालत ने कहा जहांगीरपुरी हिंसा रोकने में दिल्ली पुलिस ‘पूरी तरह विफल’

नयी दिल्ली/भाषा: दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि दिल्ली पुलिस पिछले महीने जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के अनधिकृत जुलूस को रोकने में ‘‘पूरी तरह नाकाम’’ रही। इस जुलूस के दौरान इलाके में साम्प्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी।

अदालत ने जमानत के लिए दी गई कई याचिकाओं को खारिज करते हुए यह बात कही। अदालत के अनुसार, ऐसा लगता है कि इस मुद्दे को वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है और अगर पुलिसकर्मियों की मिलीभगत थी, तो इसकी जांच करने की आवश्यकता है।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गगनदीप सिंह ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे को दरकिनार कर दिया है। संबंधित अधिकारियों पर जवाबदेही तय की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो।’’

उन्होंने अवैध गतिविधियों को रोकने में पुलिस की भूमिका को ‘‘संतोषजनक नहीं’’ बताते हुए कहा कि अगर उनकी कोई मिलीभगत है तो उसकी भी जांच की जानी चाहिए।’’

अदालत ने निर्देश दिया कि सात मई को पारित आदेश की प्रति सूचना और उपचारात्मक अनुपालन के लिए पुलिस आयुक्त को भेजी जाए।

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘राज्य का यह स्वीकार करना सही है कि गुजर रहा अंतिम जुलूस गैरकानूनी था (जिस दौरान दंगे हुए) और इसके लिए पुलिस से पूर्व अनुमति नहीं ली गयी थी।’’

अदालत ने कहा कि 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर हुए घटनाक्रम और दंगे रोकने तथा कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने में स्थानीय प्रशासन की भूमिका की जांच किए जाने की आवश्यकता है।

उसने कहा कि प्राथमिकी की सामग्री से पता चलता है कि जहांगीरपुर में पुलिस थाने के स्थानीय कर्मियों के साथ ही अन्य अधिकारी ‘‘अवैध जुलूस को रोकने के बजाय रास्ते में इसके साथ थे।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि स्थानीय पुलिस शुरुआत में ही इस अवैध जुलूस को रोकने तथा भीड़ को तितर-बितर करने के बजाय पूरे रास्ते भर उनके साथ रही। बाद में दो समुदायों के बीच दंगे हुए।’’

अदालत उन जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया कि आरोपियों को झूठा फंसाया गया है और वे घटना के दिन मौके पर मौजूद नहीं थे।

जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि मामले में जांच अब भी चल रही है और दंगों में कथित तौर पर शामिल कई अपराधियों को अभी तक पकड़ा नहीं गया है।

श्रीलंका संकट : प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे कर सकते हैं इस्तीफ़े की पेशकश

कोलंबो/भाषा: श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे सोमवार को पद से इस्तीफा देने की पेशकश कर सकते हैं। राजनीतिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है।

उनके छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की आर्थिक संकट से घिरी सरकार पर देश को उबारने के लिए अंतरिम सरकार बनाने का दबाव बढ़ गया है।

अपनी ही श्रीलंका पोदुजन पेरामुन (एसएलपीपी) के भीतर इस्तीफा देने के भारी दबाव से जूझ रहे राजपक्षे (76) अब तक, इस्तीफा न देने का दबाव बनाने के लिए अपने समर्थकों को एकजुट कर रहे थे।

सूत्रों ने बताया कि उनके छोटे भाई राष्ट्रपति गोटबाया रापजक्षे ने अपनी इच्छा प्रत्यक्ष रूप से जाहिर नहीं की लेकिन वह उनका इस्तीफा चाहते हैं। राष्ट्रपति उनका इस्तीफा इसलिए चाहते हैं कि ताकि वह राष्ट्रीय एकता की सरकार बना सकें। मौजूदा आर्थिक संकट से निपटने तक यह अंतरिम व्यवस्था मौजूद रहेगी।

सत्तारूढ़ गठबंधन के एक असंतुष्ट नेता दयासिरी जयशेखर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हो सकता है कि वह सीधे तौर पर इस्तीफा न दें। मुझे लगता है कि वह कहेंगे कि मौजूदा संकट के लिए मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है इसलिए मेरे इस्तीफा देने की कोई वजह नहीं है।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के पाले में गेंद डालते हुए कहेंगे कि अगर आप चाहे तो मुझे बर्खास्त कर दें।

दबाव बढ़ने के बावजूद गोटबाया (72) और प्रधानमंत्री महिंदा ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है।

महिंदा राजपक्षे को अनुराधापुर शहर में रविवार को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि पूरा राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ दें। उन्होंने आरोप लगाया कि राजपक्षे परिवार ने देश की जो संपत्ति चुरायी है, वह उसे वापस कर दें।

प्रभावशाली बौद्ध गुरुओं ने भी अंतरिम सरकार का मार्ग प्रशस्त करने के लिए प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया है।

श्रीलंका के मुख्य विपक्षी दल एसजेबी ने रविवार को कहा कि उसने राष्ट्रपति गोटबाया की, उसके नेता सजित प्रेमदास के अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने की पेशकश ठुकरा दी है।
 

इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के हमले में मिस्र के 11 सैनिकों की मौत

काहिरा/एपी: मिस्र में इस्लामिक स्टेट से संबद्ध एक गुट के आतंकवादियों के हमले में कम से कम 11 सैनिक मारे गए। मिस्र की सेना ने यह जानकारी दी।

इन आतंकवादियों ने स्वेज़ नहर के पूर्व में पानी निकालने के एक संयंत्र की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को निशाना बनाते हुए हमला किया था।

सेना ने बताया कि शनिवार को हुए इस हमले में कम से कम पांच सैनिक घायल हो गए हैं। हमले में मारे गए सैनिकों का रविवार को अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए।

आतंकवादी संगठन ने एक बयान में इस हमले की जिम्मेदारी ली। हालांकि, बयान की सत्यता के बारे में स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की जा सकी है। इस बयान को उसकी समाचार समिति ‘अमाक’ के जरिए जारी किया गया।

सेना ने बताया कि यह हमला इस्माइलिया प्रांत के कंतारा कस्बे में हुआ, यह स्थान स्वेज़ नहर के पूर्व में है। उन्होंने संयंत्र की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और फरार हो गए। उनकी उत्तरी सिनाई प्रायद्वीप के सुदूर इलाके में तलाश की जा रही है।

गौरतलब है कि मिस्र में 2013 में सेना ने निर्वाचित राष्ट्रपति को सत्ता से बेदखल कर दिया था, जिसके बाद से सिनाई में इस्लामिक स्टेट के आतंकवदियों ने हमले तेज कर दिए हैं। आतंकवादी मुख्य रूप से सैनिकों और ईसाई समुदाय के लोग को निशाना बनाते हैं।

अतिक्रमण रोधी अभियान: बुलडोजर के साथ अधिकारी शाहीन बाग पहुंचे, स्थानीय लोगों ने किया प्रदर्शन

नयी दिल्ली: दक्षिणी दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के अधिकारियों के अतिक्रमण रोधी अभियान को अंजाम देने के लिए बुलडोजर के साथ सोमवार को दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पहुंचते ही महिलाओं सहित सैकड़ों स्थानीय लोग वहां धरने पर बैठ गए और विरोध-प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित एसडीएमसी और केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कार्रवाई रोकने की मांग की।

एसडीएमसी के अधीन सेंट्रल जोन में आने वाला शाहीन बाग दिसंबर 2019 में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन और धरने का केंद्र रहा था। शहर में कोविड महामारी फैलने के बाद मार्च 2020 में यहां धरना प्रदर्शन बंद किया गया था। 

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एसडीएमसी के सेंट्रल ज़ोन के अध्यक्ष राजपाल सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ हमारे दल अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर, ट्रक और पुलिस बल के साथ शाहीन बाग पहुंचे। अतिक्रमण हटाना हमारा दायित्व है, जिसे हम पूरा कर रहे हैं।’’ 

क्षेत्र में अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान एसडीएमसी अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी अपने कर्मियों के साथ मौके पर मौजूद हैं।     

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ अतिक्रमण रोधी अभियान चलाया जा रहा है, वहां पुलिस बल तैनात किया गया है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित नगर निकाय बिना किसी परेशानी के और पूरी सुरक्षा के साथ अपना काम कर सके।’’     
गौरतलब है कि भाजपा की दिल्ली इकाई के प्रमुख आदेश गुप्ता ने स्थानीय महापौर को 20 अप्रैल को पत्र लिख कर ‘‘रोहिंग्या, बांग्लादेशियों और असामाजिक तत्वों’’ द्वारा किए गए अतिक्रमण को हटाने का अनुरोध किया था, जिसके बाद एसडीएमसी के इलाकों में अतिक्रमण रोधी अभियान चलाने का फैसला किया गया।

श्रीलंका में कर्फ्यू, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफ़ा दिया

कोलंबो/भाषा : श्रीलंकाई अधिकारियों द्वारा सोमवार को पूरे देश में कर्फ्यू लगाये जाने के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया।

सरकार समर्थक समूहों द्वारा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद राजधानी कोलंबो में सेना के जवानों को तैनात किया गया है। इस हमले में कम से कम 78 लोग घायल हो गए।

हिंसा सोमवार को इन खबरों के बाद हुई कि महिंदा राजपक्षे प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश सकते हैं क्योंकि उनके छोटे भाई और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के नेतृत्व वाली सरकार पर देश में जारी भीषण आर्थिक संकट से निपटने के लिए अंतरिम प्रशासन बनाने का दबाव है।

एक पुलिस प्रवक्ता ने स्थानीय मीडिया के हवाले से कहा कि अगले नोटिस तक तत्काल प्रभाव से पूरे श्रीलंका में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

कानून-व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने में सहायता के लिए सैन्य दल को विरोध स्थल पर तैनात किया गया है।

वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है। यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है।

नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।

इससे पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को जनता से संयम बरतने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि देश में आर्थिक संकट के आर्थिक समाधान की जरूरत है जिसके लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।

राष्ट्रपति ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘मैं आम जनता से संयम बरतने और यह याद रखने की अपील करता हूं कि हिंसा से केवल हिंसा फैलेगी। आर्थिक संकट में हमें आर्थिक समाधान की जरूरत है जिसे यह प्रशासन हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’

महिंदा राजपक्षे ने लोगों से संयम बरतने का भी आग्रह किया।

ऑनलाइन समाचार पोर्टल ‘डेली मिरर’ की खबर के अनुसार प्रधानमंत्री के समर्थकों ने उनके आधिकारिक आवास ‘टेंपल ट्रीज’ के पास प्रदर्शनस्थल ‘मैनागोगामा’ के बाहर मौजूद प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया। इसके बाद हालात तनावपूर्ण हो गये।

‘हीरू न्यूज’ वेबसाइट के अनुसार पुलिस ने एसएलपीपी के समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया। वहीं अग्रणी समाचार नेटवर्क ‘लंका फर्स्ट’ के अनुसार, भीड़ ने टेंपल ट्रीज के सामने मौजूद तंबुओं को उखाड़ दिया।

विपक्षी दल समागी जन बालवेगया के नेता साजिथ प्रेमदासा ने स्थिति का आकलन करने के लिए विरोध स्थल का दौरा किया।

विपक्षी सूत्रों ने कहा कि प्रेमदासा और उनके सहयोगियों पर भी एक समूह ने हमला किया क्योंकि वह राष्ट्रपति सचिवालय के विरोध स्थल पर पहुंचे थे।

विपक्ष ने महिंदा राजपक्षे पर अपने समर्थकों को भड़काने का आरोप लगाया।

शुक्रवार को एक विशेष कैबिनेट बैठक में राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार मध्य रात्रि से आपातकाल की घोषणा कर दी थी। यह दूसरी बार है जब श्रीलंका में लगभग एक महीने की अवधि में आपातकाल घोषित किया गया।

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