दिल्ली में उथल-पुथल : आप विधायक टूट रहे हैं या ‘तोड़े’ जा रहे हैं?

आम आदमी पार्टी के विधायक देवेंदर सहरावत सोमवार को भाजपा में शामिल हो गए। पिछले एक हफ्ते से भी कम समय में भाजपा का दामन थामने वाले सहरावत आम आदमी पार्टी के दूसरे विधायक हैं। इससे पहले पिछले शुक्रवार को आप के गांधी नगर के विधायक अनिल वाजपेयी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए थे।
दिल्ली में भाजपा के सभी उम्मीदवारों को सहारा सिर्फ और सिर्फ "मोदी" नाम का है। जो 5 साल सांसद रहे हैं, उनके पास इस नाम के अलावा दिखाने के लिए एक भी काम नहीं है। उनके कैंपेन भी देखे तो सिर्फ मोदी का ही नाम है। उनका प्रचार देखें तो मुद्दे के आधार पर वह कांग्रेस-आप से कहीं कमज़ोर हैं। दिल्ली में आप और कांग्रेस सीलिंग और जीएसटी को मुद्दा बना रही है तो भाजपा केवल मोदी का नाम ले रही है। मोदी का नाम चला तो भाजपा के चुनावी नैया पार, नहीं तो क्या होगा? इसको लेकर भाजपा का नेतृत्व भी परेशान दिख रहा है। ऐसे में भाजपा का आप के विधायकों को तोड़ना इन्हीं बातों की ओर इशारा कर रहे हैं।
सहरावत विजवासन से विधायक हैं और उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में भाजपा का दामन थामा। इस दौरान भगवा पार्टी की दिल्ली इकाई के वरिष्ठ नेताओं विजय गोयल एवं विजेंद्र गुप्ता भी मौजूद थे।
पार्टी में अपनी ‘‘अनदेखी’’ करने और ‘‘अलग थलग’’ किये जाने का आरोप लगाते हुए सहरावत ने कहा कि उन्हें पार्टी के कार्यक्रमों में भी नहीं बुलाया जाता था।
सेना में कर्नल पद से अवकाश लेने वाले सहरावत ने कहा, ‘‘पार्टी ने मेरा अपमान किया लेकिन मैने इसे सामान्य रूप से लिया और अपने इलाके के विकास के लिए काम करता रहा।’’
उन्होंने बताया, ‘‘मेरे लोगों ने कहा कि हमने आपको चुना है कि आप हमारे लिए काम करो और आप छोड़ने के मेरे फैसले का समर्थन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को मिले सम्मान के कारण ही मैंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय किया है।’’
गोयल ने कहा कि भाजपा सहरावत को तब से पार्टी में लाना चाहती थी जब वह आम आदमी पार्टी में भी शामिल नहीं हुए थे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा ने अपने दरवाजे उन सबों के लिए खुले रखे हैं जो आम आदमी पार्टी में अपमानित महसूस कर रहे हैं।
जिस तरह से भाजपा के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अपने चुनावी अभियान के दौरान विपक्षी राज्य सरकारों के विधायकों के खुद के संपर्क में होने का दावा कर रहे हैं, इससे साफ दिख रहा है कि वो सत्ता हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इस बयान के कुछ समय बाद ही आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि भाजपा उनके 7 विधायकों को 10 -10करोड़ देकर खरीदने की कोशिश कर रही है, भाजपा के नेता ने भी इस बात को स्वीकार करते हुए कहा तह की 7 नहीं 14 विधायक हमारे संपर्क में हैं। यह किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है की इस तरह जनादेश की चोरी जाए। परन्तु पिछले कुछ समय से भाजपा बड़े आक्रमक तरीके से विपक्षी दलों की सरकारों को अस्थिर करने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपना रही है।
इससे ऐसा लगता है भाजपा का लोकतंत्र में यकीन नहीं बचा है।वह दूसरे दलों की राज्य सरकारों को बर्खास्त कर और जोड़-तोड़ के सहारे सत्ता हासिल करना चाहती है। भाजपा ने यह किया भी है अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सरकार गिराने की कोशिश की थी। मणिपुर और गोवा में खरीद-फरोख्त कर सरकार बनाई गई। लोकसभा चुनाव चुनाव से पहले अब वही फार्मूला दिल्ली में आजमाया जा रहा है। भाजपा ने ये कोशिश दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भी शेर सिंह डागर के सहारे आप विधायकों को इधर-उधर करने का प्रयास किया था। पहली आप सरकार में स्पीकर रहे एमएस धीर, विधायक विनोद कुमार बिन्नी, अशोक चौहान व राजेश गर्ग जैसे नेताओं को आप से तोड़ा था। लेकिन यह भाजपा के लिए उल्टा पड़ा था। उन्होंने सोचा था इससे आप कमजोर होगी लेकिन आप उतनी ही मजबूती से उभरकर आ गई। दिल्ली के विधानसभा चुनावो में 70 में से 67 सीट जीती थी।
राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। यहां उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी पर भी जमकर हमला बोला। इसके साथ ही उन्होंने व्यापारियों से खुद का साथ देने की अपील की।
इसके साथ ही केजरीवाल ने नोटबंदी को आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा घोटाला बतया। यहां उन्होंने सीलिंग का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार की मंशा नहीं है कि सीलिंग बंद हो। अगर बीजेपी को वोट दिया तो, सीलिंग जारी रहेगी, लेकिन AAP को वोट दिया तो सीलिंग रुक सकती है।
इस पर पूरे प्रकरण पर प्रतिक्रिया देते हुए केजरीवाल ने मोदी और भाजपा पर बड़ा हमला बोला और रफ़ाल डील में घोटाले का आरोप लगाते हुए कहा, “इस डील में घोटाले से जो पैसे जुटाए गए हैं, उनसे पीएम मोदी विधायकों को खरीदने में लगे हुए हैं।"
आप नेताओ का कहना है कि इन चुनाव में भाजपा को अपनी हार साफ नजर आ रही है। इसी बौखलाहट में भाजपा पुराने हथकंडे अपना रही है।
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