छत्तीसगढ़ में नर्सों की हड़ताल को जबरन ख़तम कराया गया

छत्तीसगढ़ में 45 दिनों से चल रही सरकारी नर्सों की हड़ताल शनिवार देर रात को आश्वासनों के बाद ख़तम हो गयी I 18 मई को शुरू हुई ये हड़ताल छत्तीसगढ़ परिचारिका कर्मचारी कल्याण संघ (CPKKS), के बैनर तले चल रही थी और इसमें वेतन को बढ़ाये जाने और प्रमोशन की माँगों के साथ और भी कई माँगे उठाई गया I नर्सों के साथ बातचीत के बाद उन्हें ये भरोसा दिलाया गया कि उनकी माँगों पर एक कमिटी द्वारा 45 दिनों में निर्णय लिया जायेगा I
नुर्सों की छह माँगें हैं : नर्सों को ग्रेड 2 की और सांतवे वेतन आयोग की 4600 वेतन श्रेणी में रखा जाए , नर्सों को भत्ता और दूसरी सुविधाएँ मिलें , नर्सों के क्वार्टर अस्पताल के पास हों और नर्सिंग स्टाफ में पदों को भरा जाए ICPKKS ने बताया कि दूसरे राज्यों में नुर्सों को 4600 रुपये का पेग्रेड मिलता है वहीं छत्तीसगढ़ में सिर्फ 2800 रुपये का ही पेग्रेड मिलता है I CPKKS पिछले 3 सालों से ये माँगे रख रहा है I जब सरकार ने ये माँगे नहीं पूरी की तो नर्सें हड़ताल पर चली गयीं I
इसके जवाब में बीजेपी सरकार ने 29 मई Essential Services Maintenance Act 1979 (ESMA), को लागू करते हुए इस हड़ताल को गैरकानूनी बताया और नर्सों को अपने काम पर लौट जाने को कहा I लेकिन नर्सों ने यूनियन और Directorate of Health Services के बीच बातचीत के असफल हो जाने पर भी लड़ाई को ख़तम नहीं किया I
1 जून को ESMA को लागू किये जाने के बाद कम से कम 607 नर्सों को हड़ताल जारी रखने के लिए गिरफ्तार किया गया I गिरफ्तार की गयी 227 नर्सों को , जिसमें से कुछ गर्भवती थीं , को गिरफ्तार कर रायपुर जेल में रखा गया था I CPKKS ने कहा कि ये सरकार द्वारा एक शांतिप्रीय आन्दोलन को दबाने का प्रयास है I मीडिया से बात करते हुए CPKKS की एक सदस्य ने कहा “गिरफ्तार की गयी कुछ नर्सें गर्भवती हैं और फिर भी उन्हें छोड़ा नहीं गया है I”
JSA छत्तीसगढ़ ने ज़्यादतियों के बारे में बताया “उन्हें सुबह गिरफ्तार किया गया और श्याम तक कुछ भी खाने को नहीं दिया गया I जेल में 10 नर्सें भूख हड़ताल पर बैठ गयी थीं I एक नर्स बेहोश हो गई थी I छोड़े जाने के बाद नर्सों ने ये कहा कि उन्हें जेल में प्रताड़ित किया गया और उन्हें अपने बच्चों को खाना खिलाने नहीं दिया गया I बाहर मौजूद नर्सें बारिश के बावजूद विरोध प्रदर्शन करती रहीं I जेल में शौचालय का कोई इंतज़ाम नहीं था I”
अपनी बात तो आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा “नर्सों को शौचालय का पानी पीने को कहा गया I इसके साथ ही जेल के चौकीदार ने भी उनके साथ ख़राब बर्ताव किया I” इसके साथ ही DHS रानू साहू ने कहा “नर्सें अगर काम पर वापस चली जाती हैं तो उन्हें छोड़ दिया जायेगा I”
लेकिन CPKKS ने कहा है कि उन्हें बहुत मानसिक प्रतारणा दी गयी इसीलिए उन्होंने ये हड़ताल ख़तम की I उन्होंने आगे कहा कि उनपर बहुत राजनीतिक दबाव बनाया जा रहा था इसीलिए उनकी माँगे न पूरी होने के बावजूद भी उन्हें ये हड़ताल ख़तम करनी पड़ी I
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