भारत गौरव योजना के तहत देश में चली पहली प्राइवेट ट्रेन, रेलवे कर्मियों और यूनियन ने जताया विरोध

भारत गौरव योजना के तहत देश की पहली प्राइवेट ट्रेन को 14 जून को कोयंबटूर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। इंडियन रेलवे ने ट्रेन को दो साल की लीज पर प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर को दिया है। यह ट्रेन महीने में तीन बार संचालित होगी। हालंकि रेलवे कर्मचारी और यूनियन सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
19 जून को इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन IREF सम्बद्ध ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउन्सिल ऑफ़ ट्रेंड यूनियंस AICCTU के केंद्रीय पदाधिकारियों ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि ये रेलवे का निजीकरण पूरी तरह जनविरोधी है।
इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन के महासचिव, सर्वजीत सिंह व राष्ट्रीय अध्यक्ष, मनोज पांडे ने कहा कि भारत में 1991 में अपनाई गई उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों के तहत भारतीय रेलवे का निगमीकरण / निजीकरण करने के लिए डॉक्टर विवेक देवराय एवं सैम पित्रोदा जैसी अनेकों कमेटियों का गठन कर रेलवे को टुकड़ों के आधार पर निगमीकरण / निजीकरण करने की साजिश को अंजाम देते हुए रेलवे में जोरदार तरीके से ठेकेदारी, आउटसोर्सिंग, पीपीपी (PPP), एफडीआई (FDI) प्रथा को बढ़ावा दिया गया जिसके तहत रेलवे के लगभग 400 स्टेशनों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले कर दिया गया तथा अब उसे आगे बढ़ाते हुए भारतीय रेलवे के मलाईदार रूटों को प्राइवेट सेक्टर के हवाले किया जा रहा है। भारत सरकार की इस देश, आमजन, रेलवे तथा रेलवे कर्मचारी विरोधी नीति का इंडियन रेलवे इंप्लाइज फेडरेशन जोरदार विरोध करता है।
उन्होंने आगे कहा कि प्राइवेट सेक्टर को ट्रेनों का संचालन देना देश व रेलवे को तबाही की तरफ लेकर जाएगा।
डॉ कमल उसरी-राष्ट्रीय सचिव AICCTU व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष IREF ने कहा कि लंबे रूट्स पर विशेष ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने पर रेलवे को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। मसलन दिल्ली-मुंबई रूट पर चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस की एक यात्रा से रेलवे को क़रीब 50 लाख रुपये की आमदनी होती है। ऐसे में व्यस्त रूट पर ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपना रेलवे के लिए बड़े नुकसान का सौदा होगा। उन्होंने कहा कि भारत गौरव योजना असल में भारत गर्क योजना है, इस योजना के तहत रेलवे का संचालन प्राइवेट हाथों में देने के लिए चौतरफा दरवाजे खोल दिए गए हैं।
IREF इंडियन रेलवे इम्पलाइज फेडरेशन व AICCTU पदाधिकारियों ने कहा कि भारत सरकार निजीकरण की नीतियों पर चलते हुए शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य व अन्य योजनाओं जिनमें आमजन का सरोकार होता है, में प्रत्येक वर्ष बजट में भारी कटौती कर रही है, दूसरी तरफ सुरक्षा के नाम पर भारी मात्रा में हथियारों की खरीद-फरोख्त कर अपने आकाओं की जेबें भरी जा रही है।
अमरीक सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है कि जिस देश में रेलवे का निजीकरण किया है उसे वापस रेलवे को सरकारी हाथों में लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इंग्लैंड जैसे देश इसकी बड़े उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जन हितेषी नीतियों से हाथ पीछे खींचने के लिए भारत सरकार को एक दिन पछताना पड़ेगा, सरकारों के सताए हुए लोग जब सड़कों पर उतरेंगे तो पूंजीपति हितेषी सरकारों को अपना फैसला वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
यूनियन नेताओं ने कहा कि हम भारत सरकार द्वारा भारत गौरव योजना के तहत ट्रेनों का संचालन प्राइवेट हाथों में देने का पुरजोर विरोध करते हैं तथा आने वाले दिनों में आईआरईएफ की तरफ से ठोस रणनीति बनाते हुए जोरदार संघर्ष का बिगुल बजाएंगे।
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