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अमेरिका की वापसी प्रक्रिया पूरी, तालिबान ने "स्वतंत्र और संप्रभु" अफ़ग़ानिस्तान के लिए जश्न मनाया

सभी विदेशी सैनिकों की वापसी से अफ़ग़ानिस्तान पर अमेरिका के नेतृत्व में दो दशकों के हमले का औपचारिक रूप से अंत हो गया।
अमेरिका की वापसी प्रक्रिया पूरी

मंगलवार 31 अगस्त की आधी रात को शेष सभी अमेरिकी सैनिकों के देश छोड़ने के बाद तालिबान सैनिकों ने काबुल हवाई अड्डे का पूरी तरीके से अपने कब्जे में ले लिया। इसे "ऐतिहासिक क्षण" बताते हुए तालिबान ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर जश्न मनाया और गोलियां चलाते हुए आतिशबाजी की। अमेरिकी सैनिकों की पूर्ण वापसी ने अफगानिस्तान को "स्वतंत्र और संप्रभु" देश बना दिया।

अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने सोमवार को घोषणा की कि अफगानिस्तान से अपने नागरिकों और सैन्य कर्मियों को निकालने का काम पूरा कर लिया गया है। इस तरह अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे युद्ध का अंत हो गया।

यूएस सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंथनी ब्लिंकन ने घोषणा की कि अमेरिकी राजनयिक मिशन अस्थायी रूप से काबुल से दोहा स्थानांतरित हो गया है।

वर्ष 2001 में 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के हमलों के बाद तथाकथित "आतंक के खिलाफ युद्ध" शुरू करने के लिए 50 भिन्न देशों के नाटो के नेतृत्व वाले गठबंधन के एक हिस्से के रूप में अमेरिकी सैनिकों ने अक्टूबर 2001 में अफगानिस्तान पर हमला किया। इस साल जनवरी में पद संभालने के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि फरवरी 2020 में तालिबान और अमेरिका के बीच दोहा में हस्ताक्षरित समझौते के अनुसार सभी अमेरिकी सैनिक 31 अगस्त तक इस देश से निकल जाएंगे।
 

अफगानिस्तान में अपनी उपस्थिति के पिछले दो दशकों में अमेरिकी और अन्य विदेशी सैनिक तालिबान को देश पर नियंत्रण करने से रोकने में विफल रहे। 2004 में बनाई गई तथाकथित लोकतांत्रिक व्यवस्था ने स्थानीय भ्रष्टाचार के कारण जनता का विश्वास खो दिया और जब तालिबान ने 15 अगस्त को राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया तो अंतिम निर्वाचित राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके अधिकांश मंत्रिमंडल को देश से भागना पड़ा।

पिछले दो दशकों में अमेरिका ने अफगानिस्तान में युद्ध में 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक खर्च किए थे और 6,000 से अधिक सैनिकों को खो दिया था, जिनमें से अधिकांश अमेरिकी कॉन्ट्रैक्टर थे। इस युद्ध में हजारों अफगान नागरिकों की मौत भी हुई। इनमें से अधिकांश की मौत युद्धरत गुटों की ओर से की गई गोलीबारी में हुई, जिसमें विदेशी सैनिक भी शामिल थे या अमेरिका और विदेशी सैनिकों द्वारा किए गए अंधाधुंध बमबारी में हुई।

सोमवार को पेंटागन के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने कई ट्वीट किए जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान में अमेरिकी कर्मियों की मौत पर शोक व्यक्त किया और कहा कि अमेरिका ने 14 अगस्त से 6,000 अमेरिकी नागरिकों सहित काबुल से 79,000 लोगों को निकाला है।

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