यूपी का रणः उत्तर प्रदेश की राजनीति में बाहुबलियों का वर्चस्व, बढ़ गए दागी उम्मीदवार

उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल ऐसा इलाका हैं जहां सियासी दलों की दिशा बाहुबली तय करते हैं। सत्ता किसी भी सियासी दल के पास हो, लेकिन तूती तो सिर्फ बाहुबलियों की बोलती है। चाहे वो जेल की सलाखों में कैद हों, या फिर जेल के बाहर। पूर्वांचल के बनारस, चंदौली, मिर्जापुर, गाजीपुर, मऊ, बलिया, भदोही, जौनपुर, सोनभद्र की सियासत तो बाहुबलियों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फ़ॉर रिफॉर्म का ताजातरीन सर्वे इस बात की पुष्टि करता है। इलेक्शन वॉच ने यूपी विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में मैदान में उतरे प्रत्याशियों का जो विश्लेषण पेश किया हैं उसमें दागी उम्मीदवारों की तादाद 15 से बढ़कर 22 फीसदी हो गई है। यूपी में साल 2017 में हुए चुनाव में जहां 859 प्रत्याशी दागी थे, वही इस बार 889 प्रत्याशी दागदार हैं। इनमें तमाम प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या, डकैती, अपहरण से लेकर बलात्कार तक के मामले दर्ज हैं।
आखिर दौर में 28 फीसदी दागी
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के सातवें चरण में चुनाव लड़ने वाले 613 में से 607 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया हैं जो 54 निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले 607 में से 170 (28 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, वहीं गंभीर आपराधिक मामले 131 (22 फीसदी) हैं। इनमें समाजवादी पार्टी के 45 में से 26 (58 फीसदी), बीजेपी के 47 में से 26 (44 फीसदी), बसपा के 52 में से 20 (38 फीसदी), कांग्रेस के 54 में से 20 (37 फीसदी ) और 47 में से 8 (17 फीसदी ) आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। गंभीर आपराधिक मामलों में समाजवादी पार्टी के 45 में से 20 (44 फीसदी), बीजेपी के 47 में से 19 (40 फीसदी), बसपा के 52 में से 13 (25 फीसदी), कांग्रेस के 54 में से 12 (22 फीसदी ), और 47 में से 7 (15 फीसदी ) आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
सातवें चरण में उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामलों में पहले स्थान पर प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से विजय मिश्रा हैं जो भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा सीट से उम्मीदवार हैं, जिनके ऊपर 24 मामले दर्ज हैं (गंभीर धराएं 50)। दूसरे स्थान पर गाजीपुर जनपद के गाजीपुर विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के राज कुमार सिंह गौतम हैं। इनके ऊपर 11 मामले (गंभीर धराएं 25) हैं। तीसरे स्थान पर कांग्रेस के वाराणसी पिंडरा विधानसभा क्षेत्र से अजय राय हैं, जिनके ऊपर 17 मामले दर्ज हैं। सातवें चरण में भाग्य आजमाने वालों में 11 उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर जघन्य अत्याचार किए हैं। इनमें से दो उम्मीदवारों ने अपने ऊपर बलात्कार (आईपीसी-376) से संबंधित मामला घोषित किया है। सात उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं। वहीं 25 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) के मामले घोषित किए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के सातवें चरण में 54 में से 35 (65 फीसदी) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
गोरखपुर से पनपा बाहुबल
पूर्वांचल के गोरखपुर जिले में साल 1980 के दशक में हरिशंकर तिवारी से शुरू हुआ सियासत के अपराधीकरण का यह सिलसिला आगे चलकर मुख्तार अंसारी, राजा भैया, बृजेश सिंह, विजय मिश्रा, धनंजय सिंह जैसे बाहुबली नेताओं तक जा पहुंचा था। इस बार बांदा जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी ने अपनी परंपरागत सीट मऊ सदर की राजनीतिक विरासत अपने बड़े बेटे अब्बास अंसारी को सौंपी दी हैं। अब्बास ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से उम्मीदवार हैं, तो मुख्तार के बड़े बेटे सिबगतुल्लाह ने अपने बेटे मुन्नू अंसारी को मोहम्मदाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतारा हैं।
पूर्वांचल के बाहुबलियों में सबसे पहले नाम धनंजय सिंह का आता हैं। धनंजय सिंह दो दशकों से सियासत में हैं। भदोही जिले के आसपास के क्षेत्र में दबाव की राजनीति करने वाले विजय मिश्रा इस बार जेल में रहकर चुनाव लड़ रहे हैं। विजय मिश्रा प्रगतिशील मानव समाज पार्टी की तरफ से चुनाव समर में उतरे हैं। फिलहाल वह जेल में हैं। उनकी पत्नी और बेटी उनके पक्ष में चुनाव प्रचार कर रही हैं। वर्तमान में विधायक विजय मिश्रा आगरा जेल में बंद हैं। उन पर अपने रिश्तेदार की प्रॉपर्टी पर कब्जा करने के साथ ही एक गायिका ने रेप का मुकदमा दर्ज कराया था, जिन मामलों में वह जेल में हैं।
बाहुबली बृजेश सिंह फिलहाल एमएलसी हैं और उनके भतीजे सुशील सिंह चंदौली की सैयदराजा सीट से निवर्तमान विधायक हैं। इस बार वह चौथी बार मैदान में हैं। भतीजे को जिताने के लिए बृजेश सिंह ने पूरी ताकत लगा रखी हैं। रमाकांत यादव और अभय सिंह भी पूर्वांचल की राजनीति में खासा दखल रखते हैं। इनके भाग्य का फैसला सात मार्च को होना हैं, जिसके नतीजे 10 मार्च को आएंगे।
यूपी में बढ़ गए दागी प्रत्याशी
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले से सातवें चरण तक चुनाव लड़ने वाले सभी 4442 में से 4406 उम्मीदवारों के शपथ-पत्रों का विश्लेषण किया हैं, जिनमें 1142 (26 फीसदी) उम्मीदवारों के ऊपर आपराधिक मामले दर्ज हैं। साल 2017 में 4823 में से 859 (18 फीसदी) उम्मीदवारों के खिलाफ केस दर्ज थे। इस बार पूर्वांचल के सातवें चरण में 889(20 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। उत्तर प्रदेश साल 2017 के चुनाव में 704 (15 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए थे। यूपी में इस बार समाजवादी पार्टी के 347 में से 224 (65 फीसदी), सुहेलदेव भारतीये समाज पार्टी के 19 में से 11 (58 फीसदी), आरएलडी के 33 में से 19 (58 फीसदी), बीजेपी के 374 में से 169 (45 फीसदी), कांग्रेस के 397 में से 160 (40 फीसदी ), बसपा के 399 में से 153 (38 फीसदी), अपना दल (सोने लाल ) के 17 में से 6 (35फीसदी) और 345 में से 62 (18 फीसदी ) आप पार्टी के उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषत किए हैं।
गंभीर आपराधिक मामलों में समाजवादी पार्टी के 347 में से 163 (47 फीसदी), सुहेलदेव भारतीये समाज पार्टी के 19 में से 11 (58 फीसदी), आरएलडी के 33 में से 17 (52 फीसदी), बीजेपी के 374 में से 131 (35 फीसदी), कांग्रेस के 397 में से 108 (27 फीसदी ), बसपा के 399 में से 199 (30 फीसदी), अपना दल (सोने लाल ) के 17 में से 4 (24फीसदी) और 345 में से 50 (15 फीसदी) आप के उम्मीदवार दागी हैं। 69 उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार किए हैं। इनमें से 10 उम्मीदवार ने अपने ऊपर बलात्कार (आईपीसी-376) से संबंधित मामला घोषित किया हैं। 37 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं। वही 159 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) से सम्बन्धित मामले घोषित किए हैं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 403 में से 226 (56 फीसदी) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 152 (38फीसदी) संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र थे, जहां तीन या उससे अधिक उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए थे ।
बढ़ गए करोड़पति उम्मीदवार
उत्तर प्रदेश विधानसभ चुनाव 2022 में हम करोड़पति उम्मीदवारों कि बात करे तो 4406 में से 1733 (39 फीसदी) करोड़पति उम्मीदवार हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 4823 में से 1457 (30फीसदी) उम्मीदवार करोड़पति थे| करोड़पति उम्मीदवार दलवार की बात करे तो आरएलडी के 33 में से 31 (94 फीसदी) बीजेपी के 374 में से 335 (90 फीसदी), समाजवादी पार्टी के 347 में से 302 (87 फीसदी), बसपा के 399 में से 315 (79 फीसदी), अपना दल (सोनेलाल ) के 17 में से 12 (71 फीसदी), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 19 में से 13 (68फीसदी) कांग्रेस के 397 में से 198 (50 फीसदी), और 345 में से 112 (33 फीसदी) आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार करोड़पति हैं। इन प्रत्याशियों की घोषित संपत्ति एक करोड़ से ज्यादा हैं।
पूर्वांचल में करोड़पति उम्मीदवार दलवार की बात करें तो बीजेपी के 47 में से 40 (85 फीसदी), समाजवादी पार्टी के 45 में से 37 (82 फीसदी ), बसपा के 52 में से 41 (79 फीसदी), कांग्रेस के 54 में से 22 (41 फीसदी), और 47 में से 15 (32 फीसदी) आप पार्टी के उम्मीदवार करोड़पति हैं। इन सभी की संपत्ति
एक करोड़ से ज्यादा हैं।
यूपी में सबसे ज्यादा संपत्ति घोषित करने वाले शीर्ष तीन उम्मीदवारों में से पहले स्थान में रामपुर जनपद के कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार नवाब काजिम अली खान हैं, जिन्होंने अपनी संपत्ति 296 करोड़ बताई हैं। दूसरे स्थान पर आजमगढ़ के मुबारकपुर विधानसभा सीट से आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी के शाह आलम (गुड्डू जमाली) हैं, जिनकी संपत्ति 195 करोड़ हैं। वहीं तीसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के बरेली कैंट विधानसभा सीट से सुप्रिया हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति 157 करोड़ बताई हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 के पहले से सातवें चरण में उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 2.87 करोड़ हैं। वही 1810 (41 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी देनदारी घोषित की हैं, जबकी 233 (5 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपना पैन विवरण घोषित नहीं किया हैं।
56 फीसदी उम्मीदवार ग्रेजुएट
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले से सातवें चरण में 1551 (35 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं और 12वीं के बीच घोषित की हैं। जबकि 2477 (56 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज्यादा घोषित की हैं। 39 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा धारक घोषित की हैं वहीं 254 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता साक्षर और 54 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता असाक्षर घोषित की हैं। 31 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता घोषित नहीं की हैं। 1582 (36फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की हैं, जबकि 2285 (52फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की हैं 535 (12 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी आयु 61 से 80 वर्ष के बीच घोषित की हैं 4 उम्मीदवारों ने अपनी आयु 80 वर्ष से अधिक घोषित की हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में 560 (13 फीसदी) महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही हैंI उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में 4823 में से 445 ( नौ फीसदी) महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही थीं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के पहले से सातवें चरण में 1551 (35 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं और 12वीं के बीच घोषित की हैं। जबकि 2477 (56 फीसदी) उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज्यादा घोषित की हैं। 39 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा धारक घोषित की हैं, वहीं 254 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता साक्षर और 54 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता असाक्षर घोषित की हैं। 31 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता घोषित नहीं की हैं। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म की ओर से तीन मार्च 2022 को महेशानंद भाई, संजय सिंह और डा लेनिन रघुवंशी ने चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के बारे में विस्तृत ब्योरा जारी किया।
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