त्रिपुरा चुनाव: कुछ अहम बातें

त्रिपुरा में आज, 16 फरवरी को मतदान हो रहा है। त्रिपुरा विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं। जिसके लिए कुल 259 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। यहां मतदाताओं की कुल संख्या 28 लाख से कुछ ज़्यादा है।
चुनाव आयोग के मुताबिक अंतिम मतदाता सूची में 28,13,478 मतदाता हैं, जिनमें से 14,14,576 पुरुष, 13,98,825 महिलाएं और 77 किन्नर मतदाता हैं। यहां 10,344 सर्विस वोटर हैं।
राज्य में कुल तीन हजार 328 मतदान केंद्र बनाये गये हैं। वोटिंग सुबह सात बजे शुरू होगी और शाम चार बजे तक चलेगी। चार बजे तक जितने लोग लाइन में होंगे वे सब वोट डाल सकेंगे।
Tripura Assembly Election-2023: A quick view. @ECISVEEP @SpokespersonECI #TripuraElections2023 #TripuraElections2023 pic.twitter.com/bQ3e8ARgcQ
— CEO, Tripura (@ceotripura) February 15, 2023
इसे भी पढ़ें: त्रिपुरा में बृहस्पतिवार को विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी पूरी
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 21 जनवरी को जारी हुई थी। नामांकन की आखिरी तारीख थी 30 जनवरी और 2 फरवरी तक नाम वापस हुए।
वर्तमान में यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) की गठबंधन सरकार है।
Ready to GO to the Polling Stations from Umakanta Academy, West #Tripura District.@ECISVEEP @SpokespersonECI #TripuraElections2023 #TripuraElection2023 pic.twitter.com/J4zZgzRTAN
— CEO, Tripura (@ceotripura) February 15, 2023
2018 की सीटों का गणित
2018 के चुनाव में बीजेपी को यहां 60 में से 36 सीटें मिलीं यानी पूर्ण बहुमत सीपीएम जो बीजेपी से पहले सत्ता में थी वो केवल 16 सीटों पर सिमट गई।
आईपीएफटी को मिलीं 8 सीटें।
वोट शेयर
2018 में बीजेपी के हिस्से 44 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट आया तो सीपीएम के खाते में 43 फ़ीसदी से कुछ कम वोट आए।
वर्तमान स्थिति
इस समय यानी चुनाव से पहले तक त्रिपुरा राज्य विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 53 है जबकि सात सीट रिक्त हैं। इनमें भाजपा के 33, आईपीएफटी के चार, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी सीपीआई-एम के 15 और कांग्रेस का एक सदस्य शामिल थे।
त्रिकोणीय मुक़ाबला
भाजपा और आईपीएफटी साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। सीपीआई-एम के नेतृत्व में वाम मोर्चा और कांग्रेस का चुनावी गठबंधन है। और तीसरा मोर्चा है टिपरा मोथा पार्टी का। यहां तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी भी चुनाव लड़ रही है।
त्रिपुरा में कुल 259 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। जिनमें कुल 30 महिलाएं हैं।
भाजपा ने 55 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि अपने सहयोगी आईपीएफटी को पांच सीटें दी हैं।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई-एम 43 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सीपीआई-एम ने गठबंधन के तहत कांग्रेस को 13 सीटें दी हैं। सीपीआई को एक सीट दी गई है। इसके अलावा आरएसपी, फारवर्ड ब्लॉक को भी एक एक-एक सीट दी है। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के लिए छोड़ी गई है।
इन चुनाव में तीसरी ताक़त या तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है टीएमपी यानी टिपरा मोथा पार्टी। शाही परिवार के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन अपनी नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में हैं और चुनाव को त्रिकोणीय और दिलचस्प बना रहे हैं। देबबर्मन की पार्टी टिपरा मोथा 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
टीएमसी ने भी 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। 58 निर्दलीय भी चुनाव मैदान में हैं।
त्रिपुरा में सबसे ज्यादा आदिवासी समुदाय के वोटर्स हैं। इनकी संख्या करीब 32 फीसदी है। 60 में से 20 सीटें एसटी (अनुसूचित जनजाति) के लिए आरक्षित हैं और 10 सीटें एससी (अनसूचित जाति) यही कारण है कि इसके लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है।
राजनीतिक दलों के घोषणापत्र
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में वादा किया कि दूसरी बार सत्ता में आने पर वह आदिवासी क्षेत्रों के लिए अधिक स्वायत्तता, किसानों की आर्थिक सहायता और रबर आधारित उद्योग के विशिष्ट-विनिर्माण क्षेत्रों में वृद्धि करेगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि सत्तारूढ़ दल को घोषणापत्र से पहले रिपोर्ट कार्ड जारी करना चाहिए।
वाम मोर्चा ने अपने घोषणापत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गरीबों को हर साल 200 दिन काम देने और पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया है।
इसे भी पढ़ें: सत्ता में आने पर वाम-कांग्रेस सरकार त्रिपुरा में पुरानी पेंशन योजना लागू करेगी : करात
वाम की सहयोगी कांग्रेस ने भी सत्ता में आने पर किसानों को 150 यूनिट मुफ्त बिजली देने और धान की खरीद में न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का वादा किया है।
टिपरा मोथा के प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन आदिवासियों के लिए अलग से ग्रेटर त्रिपुरालैंड की मांग कर रहे हैं। उनका यही प्रमुख चुनावी एजेंडा है।
इसे भी पढ़ें: स्थानीय स्तर पर टिपरा मोथा के साथ समझ कायम हो सकती है: येचुरी
भाजपा ने किया उत्तराखंड जैसा प्रयोग
2018 में चुनाव के बाद भाजपा ने आईपीएफटी के साथ राज्य में सरकार बनाई और बिप्लब कुमार देब राज्य के मुख्यमंत्री बने। बिप्लब देब को उत्तर भारत के दर्शक भी अच्छे से जानते होंगे, क्योंकि वे अपने अजीबो-ग़रीब बयानों की वजह से हरदम विवादों में बने रहते थे।
पिछले साल मई महीने में भाजपा हाईकमान ने, जी हां, भाजपा में भी हाईकमान होता है, कुछ लोगों सिर्फ़ कांग्रेस हाईकमान का ही ज़िक्र करते हैं। तो बीजेपी हाईकमान ने बिप्लब देब को मुख्यमंत्री पद हटाकर उनकी जगह माणिक साहा को राज्य की कमान सौंपी। ये कुछ उसी तरह का प्रयोग है जैसा उत्तराखंड में किया गया। जहां चुनाव से ऐन पहले मुख्यमंत्री बदला गया। उत्तराखंड में पांच साल में भाजपा ने कुल तीन मुख्यमंत्री बदले। हालांकि इस प्रयोग ने उत्तराखंड में बीजेपी को फिर जीत दिला दी, लेकिन त्रिपुरा के बारे में यह कहना मुश्किल है।
प्रचार का हाल
त्रिपुरा में भाजपा ने अपनी पूरी ताक़त झोंकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने त्रिपुरा में चुनावी रैलियां और रोड शो किए हैं।
हालांकि इस बार इन रैलियों में 2018 की तरह भीड़ नहीं जुटी और न वो गर्मजोशी दिखाई दी।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सबसे बड़ा मुद्दा
त्रिपुरा में सबसे ज़्यादा चिंता निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनावों को लेकर है। पिछले पांच सालों में यहां हर छोटे-बड़े चुनाव में हिंसा का दौर देखने को मिला है। विपक्ष ने इसके लिए सत्तारुढ़ बीजेपी गठबंधन की सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है। इन चुनाव में भी हिंसा यानी बाहुबल और धनबल के प्रयोग की आशंका है। भाजपा ने यहां सांप्रदायिक कार्ड भी खेला है। देश के गृहमंत्री अमित शाह ने चुनाव प्रचार की शुरुआत में ही त्रिपुरा की धरती से राम मंदिर की तारीख़ का ऐलान किया था।
इसलिए इस बार वाम मोर्चे की ओर से लोकतंत्र की बहाली और क़ानून व्यवस्था को प्रमुख मुद्दा बनाया है। इसको लेकर त्रिपुरा से लेकर दिल्ली तक चुनाव आयोग के दरवाज़े पर दस्तक दी गई। धरना-प्रदर्शन किया गया। सीपीआई-एम ने चुनाव आयोग से त्रिपुरा में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हुए शुक्रवार, 10 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया। कांग्रेस ने भी शांतिपूर्ण चुनाव की मांग को लेकर चुनाव आयोग का दरवाज़ा खटखटाया है।
निर्वाचन आयोग ने शांतिपूर्ण मतदान का दावा किया है। इसके लिए सभी मतदान केंद्रों पर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तैनात किये हैं। राज्य से सटी भारत-बांग्लादेश सीमा पर भी कड़ी निगरानी रखने के लिए सीमा सुरक्षा बल को एलर्ट किया गया है। चुनाव आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं।
Appeal to Voters for Polling Day.@ECISVEEP #Tripura #tripuraelection pic.twitter.com/2nfKRF0SZM
— CEO, Tripura (@ceotripura) February 12, 2023
45 उम्मीदवार करोड़पति
अब बात एडीआर की रिपोर्ट की। जिसके अनुसार 60 सीटों के लिए कुल 259 उम्मीदवारों में से 45 उम्मीदवार करोड़पति हैं और 41 के ख़िलाफ़ आपराधिक मामले हैं। करोड़पति उम्मीदवारों में पहले दो त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डॉक्टर माणिक साहा और उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा हैं। उपमुख्यमंत्री पहले और मुख्यमंत्री दूसरे नंबर पर हैं और तीसरे नंबर पर टिपरा मोथा के अभिजीत सरकार हैं। माणिक साहा इस चुनाव में एक बार फिर से टाउन बोरडोवली विधानसभा से चुनावी मौदान में हैं।
आपका एक और स्टोरी की तरफ़ ध्यान दिलाना चाहेंगे- ये है बर्ख़ास्त शिक्षकों की कहानी। दिपांकर सेन गुप्ता ने न्यूज़क्लिक में ही रिपोर्ट किया है कि जिसमें बताया गया कि 2010 और 2013 में दो बैचों में भर्ती किए गए 10 हज़ार से ज़्यादा शिक्षकों को कोर्ट के आदेश के बाद बर्ख़ास्त कर दिया गया था। हालांकि भाजपा ने भी अपने चुनावी वादे में इन शिक्षकों को बर्ख़ास्त न करने का वादा किया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया। अब इन शिक्षकों और इनके परिवार का जीवन बदहाल है। इनमें से दो को सीपीआई-एम ने अपना उम्मीदवार बनाया है और बर्ख़ास्त शिक्षकों में उम्मीद की एक किरण जागी है।
इसे पढ़ें: त्रिपुरा चुनाव: '10323' बर्ख़ास्त शिक्षकों को जगी उम्मीद, वाम मोर्चा ने 2 को मैदान में उतारा
आपको बता दें कि पूर्वोत्तर के दो अन्य राज्यों मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को मतदान होगा। इन दोनों राज्यों में भी विधानसभा की 60-60 सीटें हैं और नतीजे तीनों राज्यों के एक साथ 2 मार्च को आएंगे।
इसे भी पढ़ें: बीजेपी के 5 साल के आतंक के शासन के बाद त्रिपुरा में बदलाव की लहर : जितेंद्र चौधरी
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।