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कोरोना संकट और संडे टास्क : कुछ नहीं तो आइए सम्मान करें!

इस बार मोदी जी ने कोई टास्क नहीं दिया है। हमें लगा इस संडे को हम फ्री हैं। पर जनता ने कहा कि भई, संडे को फ्री रहने की कोई जरूरत नहीं है। तो जनता ने अपने आप ही अपने को काम दे दिया, मोदी जी को धन्यवाद देने का।
संडे टास्क
Image courtesy: Navodaya Times

कोरोना का कहर जारी है। जारी ही नहीं है बल्कि बढ़ भी रहा है। जहां शुरू हुआ था वहां सामान्य जीवन शुरू हो चुका है पर पूरा विश्व ठहरा हुआ है। हमारे देश में भी लॉकडाउन है। अभी लॉकडाउन के दो तीन दिन बाकी हैं पर पूरे आसार हैं कि इसे आगे बढ़ाया ही जायेगा। साथ ही उम्मीद है कि इससे हम कोरोना के प्रकोप पर काबू पा लेंगे।

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लॉकडाउन में जब सब कुछ बंद है और हम सब बोर हो रहे हैं। करने के लिए कुछ है ही नहीं। हफ्ते में एक बाररविवार को तो मोदी जी कुछ करने के लिए दे देते हैं पर इस बार मोदी जी ने भी अभी तक कुछ भी कार्य नहीं दिया है करने के लिए। जब मोदी जी कुछ कार्य (टास्क) दे देते हैं करने के लिए तो तीन चार दिन अच्छी तरह गुजर जाते हैं। रविवार तक तो उस कार्य की तैयारी में और उसका औचित्य सोचने में। उसके बाद उसका असर देखने में।

इस बार मोदी जी ने कोई टास्क नहीं दिया है। हमें लगा इस संडे को हम फ्री हैं। पर जनता ने कहा कि भईसंडे को फ्री रहने की कोई जरूरत नहीं है। तो जनता ने अपने आप ही अपने को काम दे दियामोदी जी को धन्यवाद देने का। आखिर हमें एक अभूतपूर्व प्रधानमंत्री मिला है। उसने हमें कोरोना से बचा लिया। उसी की वजह से कोरोना को भारत में पैर पसारने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं।

देश में प्रधानमंत्री जी देश की जनता का बहुत ही अच्छी तरह खयाल रखते हैं। जब लॉकडाउन किया तो देश की जनता को पूरे चार घंटे का टाइम दिया। कि भईजो जहां हैवहां से अपने अपने ठिकाने पर लग जाये। चाहते तो उसी क्षण सेया फिर घंटे भर बाद से भी लॉकडाउन लगा सकते थे। कि भईजो जहां हैवहीं खडा़ रहे। कोई बस स्टेंड पर खड़ा है तो वहीं खड़ा रहे। सरकार आयेगी और वहीं उसकी रिहायश बना देगी। वहीं खाने पीने का इंतजाम कर देगी और हाजत का भी। पर मोदी जी ने पूरे चार घंटे दिये। आखिर मोदी जी जनता द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए प्रधानमंत्री हैंकोई तानाशाह थोड़ी न हैं।

मोदी जी आम जनता को चार घंटे ही देते हैं। नोटबंदी के समय भी चार घंटे ही दिये थे। इस बार भी सीधी गणना थी। अगर अधिक समय दे दिया जातामसलन चार की बजाय चौबीस घंटे या चौरासी घंटेतो वो जो जनता कर्फ्यू और थाली ढोल नगाड़ों से जो कोरोना की कमर मोदी जी ने तोड़ी थीवह फिर खड़ा हो उठता। और अधिक ताकत से उठता और अधिक ताकत से लड़ता।

तो मित्रों.....ये जो मोदी जी हैं नसब कुछ आपके भले के लिए ही करते हैं। कोरोना से लड़ भी रहे हैं न तो आपके लिए ही। मोदी जी का क्या है। न कोई आगे है न पीछे। फकीर आदमी हैं। कोरोना हो भी गया तो क्याझोला लेकर निकल जायेंगे। उन्हें तो सिर्फ आपकी चिंता है। तो उनका अभिनंदन बनता ही हैऔर बीच लड़ाई में ही बनता है।

और मोदी जी में मानवता भी कूट कूट कर भरी है। अब एक दवा हैहाईड्रोक्सीक्लोरोक्वीन। कोरोना के इलाज में काम आ सकती है। मोदी जी ने मानवता के नाते अमेरिका को निर्यात कर दी है। हमारी मानवता भी हड़काने पर ही जागती है। सो जिसने हड़काया और जो आगे भी हड़का सकता हैउसके लिए मानवता जागी। जिन्हें हम हड़का सकते हैंहड़काते रहते हैं और आगे भी हड़कायेंगेउनके लिए मानवता जगाने का क्या लाभ। मानवता जागनी भी उनके लिए ही चाहिए जो हमें हड़का सकें।

पर यह सिर्फ मानवता का ही मामला नहीं था। पता यह भी चला है कि भारत को अमेरिका का कर्ज भी उतारना था। अरे वहीसत्तर साल पुराना गेहूं का कर्जजो नेहरू ने लिया था। अब क्या करेंबेचारे मोदी जी तो नेहरू के कर्ज उतारते उतारते ही मर जायेंगे। नेहरू ने न जाने कितनी गलतियां की सत्रह साल के शासन में। सब मोदी जी को ही सुधारनी पड़ रही हैं।

ऐसे समय में मोदी जी का अभिनंदन तो किया ही जाना चाहिए। भले ही लड़ाई बाकी हैअभिनंदन करने में क्या बुराई है। हालांकि मोदी जी ने इसे एक खुराफात बताया है। उन्होंने कहा है कि ये उन्हें विवादों में घसीटने की एक खुराफात लगती है। वैसे ऐसा कहना उनका बड़प्पन ही है। अब प्रभु अपने मुंह से थोड़ी कहते हैं कि मेरी पूजा करो, सम्मान करो। ये तो भक्त खुद समझ लेते हैं। जो प्रभु के मन की बात समझे वही तो है सच्चा भक्त।

वैसे मोदी जी ने यह भी कहा है, 'हो सकता है कि यह किसी की सदिच्छा होतो भी मेरा आग्रह है कि यदि सचमुच में आपके मन में इतना प्यार है और मोदी को सम्मानित ही करना है तो एक गरीब परिवार की जिम्मेदारी कम से कम तब तक उठाइएजब तक कोरोना वायरस का संकट है। मेरे लिए इससे बड़ा सम्मान कोई हो ही नहीं सकता।'

लेकिन भक्त अब प्रभु के मन की इतनी थाह भी नहीं रखता कि हर बात सुन और समझ सके।

जैसे पहले हमने ताली और थाली बजा डाक्टरोंनर्सों और अस्पताल के अन्य स्टाफ का अभिनंदन किया था और फिर उन्हें दसियों जगह दौड़ा दौड़ा कर मारा। उसके बाद एकतासामूहिकताभाईचारा दिखाने के लिए दीये जलायेपटाखे फोड़े। पर साथ ही साथ खबरिया चैनलों परव्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में मुसलमानों की धज्जियां उड़ाते रहे। तो हम प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन भी कर देंगें पर आदेशों का उल्लंघन भी करते रहेंगे।

तो भक्तों और आम जनताइस 12 अप्रैल कोइसी रविवार को शाम पांच बजे सब लोग अपनी बॉलकनी में आ कर मोदी जी के अभिनंदन में तालियां बजायेंगे। जिनके पास तालियां न हों वे कुछ और भी बजा सकते हैं। क्योंकि बॉलकनी का विजन और विजुअल पश्चिम से आया हैऔर हमारे देश में अस्सी प्रतिशत घरों में बॉलकनी होती ही नहीं है। तो जिनके यहां बॉलकनी नहीं हैवे सड़कों पर आ सकते हैं और लॉकडाउन की धज्जियां भी उड़ा सकते हैं।

और अंत में: कोरोना जैसी विश्वव्यापी बीमारी से लड़ाई सरकार और अन्य विभागों से सहयोग कर के ही लड़ी जा सकती है। अतः लॉकडाउन के निर्देशों का पालन करें। अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें। आपस में छह फीट की दूरी बनाये रखें। बार बार हाथ धोयें। हाथों को आंखनाक और मूंह से दूर रखें। खांसीजुकाम और बुखार के मरीज अन्य लोगों से अलग रहें। कोरोना से लडा़ई में ये कदम आवश्यक हैं।

(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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