बिहार को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा देने की मांग करते हुए राज्य मंत्रिमंडल ने किया प्रस्ताव पारित

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने बुधवार को बिहार को ‘विशेष राज्य’ का दर्जा देने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया।
मुख्यमंत्री ने बुधवार को सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा करते हुए केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार इसे शीघ्र ही विशेष राज्य का दर्जा दे। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य में जाति सर्वेक्षण के आलोक में इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
Bihar cabinet passes resolution seeking special category status for state
— Press Trust of India (@PTI_News) November 22, 2023
जनता दल (यूनाईटेड) के शीर्ष नेता नीतीश ने कहा, ‘‘देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा, अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार के लिए 2 लाख रुपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60,000 रुपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दिया गया है। साथ ही इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1.20 लाख रुपये दिये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1.20 लाख रुपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब एक लाख रूपये के बदले दो लाख रूपये दिये जायेंगे।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग दो लाख 50 हजार करोड़ रुपये की राशि व्यय होगी और इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाये तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे।’’
उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्ष 2010 से ही हो रही है और इस मांग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया।
नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला जद (यू) पिछले साल भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हो गया था। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दलों के सहयोग से सरकार बनाई।
उनकी ही पहल पर विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ का गठन किया गया और वह इसके एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे हैं। नीतीश लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यदि ‘इंडिया’ गठबंधन की केंद्र में अगली सरकार बनती है, तो वह ‘सभी पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा’ देने का दबाव डालेंगे।
आरक्षण में वृद्धि के साथ वंचित जातियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे नीतीश ने अब लंबे समय से चली आ रही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को फिर से उठाकर नया दांव चला है।
उन्होंने हाल ही में अपनी इस पुरानी मांग को बिहार विधानसभा के पटल उस समय दोहराया था जब नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक विधानसभा में पेश किए गए थे।
पिछले हफ्ते उन्होंने यह भी कहा था कि विशेष राज्य के दर्जे की मांग पूरी नहीं होने पर वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेंगे।
न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।