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तिरछी नज़र: विदेश में मैं कितना ख़ुश था, देश में आते ही ग़मज़दा हो जाता हूँ…

“आपने देखा ही था। तस्वीरों और वीडियो में देखा ही होगा। मैं जब जापान में था, चीन में था, तो कितना ख़ुश था। ठहाके मार के हँस रहा था। मेरी माँ को दी गई गाली के बावजूद ख़ुश था। यह भी कोई देश है, यहाँ आते ही मैं ग़मज़दा हो जाता हूँ।”
Modi, Xi, Putin
तस्वीर प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए।

 

वर्षा ऋतु चल रही है। बारिश तो हमेशा आती है पर इतना कहर कभी नहीं ढहाती है। उत्तराखंड, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर में तो बहुत ही बुरा हाल है। हर जगह अति वृष्टि, बादल फटने, भूस्खलन जैसी घटनाएं हो रही हैं। गाँव के गाँव तबाह हो गए हैं। मरने वालों की असली संख्या तो शायद भगवान ही बता सकते हैं।

मैदानी इलाकों में भी बुरा हाल है। पंजाब तो डूब ही गया है। यूपी-हरियाणा में इलाके जलमग्न हो रहे हैं। पानी की निकासी का समुचित प्रबंध नहीं है। नालों की सफाई ढंग से नहीं हुई है। अधिकतर जगहों तो चार चार इंजन की सरकार है। केंद्र और राज्य सरकार तो एक दल की है ही, विधायक और मेयर भी उसी दल का है। जहाँ जितने इंजन की सरकार, वहाँ उतना ही बुरा हाल। जरा सी बारिश से लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। देश के अधिकांश इलाकों में बाढ़ आ रही है। खूब जान माल का नुकसान हो रहा है।

ऐसे में सरकार जी ने चीन से लौट कर मन की बात कही। मतलब चीन से लौट कर, बिहार के कार्यकर्ताओं से मन की बात कही। सरकार जी ने बाढ़ में डूबी जनता से, पूरे देश में प्राकृतिक आपदाओं से त्रस्त जनता से नहीं सिर्फ़ बिहार वालों से वर्चुअल बातचीत कही और अपने दिल का दर्द बयां किया– 

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आपको पता है कि मेरी माँ को गाली दी गई। गाली उस व्यक्ति के मंच से दी गई जिसकी माँ को मैं 'जर्सी गाय' कह कर पुकारता हूँ। जिसकी माँ को मैं कहता हूँ कि वह 'कांग्रेस की विधवा' है। और जिसकी पार्टी को मैं 'सवा सौ साल की बुढ़िया' कहता हूँ। उस 'शहजादे' ने मेरी माँ को गाली दी। उसको बिहार कभी भी माफ नहीं करेगा।

भाइयों और बहनों, मेरी माँ को गाली उस मंच से दी गई जिस से उसको भाषण करना था। वह व्यक्ति वह है जिसके दल की एक महिला सांसद को मैंने भरी सभा में 'सूर्पणखा' कहा था। जिसके एक सांसद की पत्नी को मैंने स्वयं 'पचास करोड़ की गर्लफ्रेंड' कहा था। जिसकी माँ को मेरे दल के लोगों ने 'वैश्या' और 'बार बाला' की गाली दी थी। उस व्यक्ति के मंच से, उसकी अनुपस्थित में, मेरी माँ को गाली दी गई। कितनी घिनौनी बात है।

भाइयों और बहनों, मेरी रग रग में माताओं, बहनों के लिए बहुत अधिक सम्मान है। और अपनी माँ के लिए तो और ज्यादा सम्मान है। आपने देखा ही था कि जब वे जीवित थीं तो मैं उनसे मिलने कितने कितने फोटोग्राफरों के साथ जाता था। और उनके सम्मान में, अगले ही दिन अपने साथ उनकी फोटो अख़बारों में छपवाता था। इतना सम्मान और प्यार है उनके लिए कि नोटबंदी के समय उनको भी लाइन में लगवा दिया था। अपनी माँ का इतना सम्मान तो कभी किसी ने भी नहीं किया है, जितना मैंने किया है। किसी भगवान ने भी नहीं। मैंने अपनी माँ को इतना सम्मान दिया कि अपनी माँ की मृत्यु के बाद अपनी माँ की कोख को ही नकार दिया। अपने को नॉन बायोलॉजिकल बता दिया। 

मैं और मेरा दल तो माँ का बहुत अधिक सम्मान करता है। और सिर्फ माँ का ही नहीं, उसके बलात्कारियों का भी सम्मान करता है। बिलकिस बानो भी एक माँ थी। मेरे दल की सरकार ने उससे बलात्कार करने वालों को सचरित्र होने का प्रमाणपत्र दिया और जेल से जल्दी रिहा किया। किया या नहीं! क्या यह माँ के सम्मान की नई मिसाल नहीं थी। और एक बात और, महिलाओं का सम्मान करने के लिए हमने अपनी पार्टी में सबसे अधिक बलात्कार और यौन शोषण के आरोपियों को जगह दी हुई है। हम मानते हैं कि जैसे भ्रष्टाचारी हमारे दल में आ भ्रष्टाचारी नहीं रह जाता है, वैसे ही बलात्कारी भी बलात्कारी नहीं रहता है।

भाइयों और बहनों, मेरी माँ देश की माँ है। मणिपुर की माँएं देश की माँएं नहीं हैं। हर रोज, हर साल देश में जो सैकड़ों, हज़ारों माँओं, बहनों, बेटियों का बलात्कार किया जाता है, उनको प्रताड़ित किया जाता है, दहेज और आत्मसम्मान के नाम पर बलि ली जाती है। उनके लिए मेरी आँखों में कभी आंसू नहीं आये हैं। वे देश की माँएं, बहनें या बेटियां नहीं हैं। पर मेरी माँ को, देश की माँ को, इन्होंने गाली दी, देश इन 'शहजादों' को कभी माफ नहीं करेगा। 

आपने देखा ही था। तस्वीरों और वीडियो में देखा ही होगा। मैं जब जापान में था, चीन में था, तो कितना ख़ुश था। ठहाके मार के हँस रहा था। कई फोटोओं में तो सिर्फ मैं ही हँसते हुए दिख रहा हूँ। कितना ख़ुश था मैं वहाँ। देश में हुईं प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद खुश था, खिलखला रहा था। मेरी माँ को दी गई गाली के बावजूद ख़ुश था। यह भी कोई देश है, यहाँ आते ही मैं ग़मज़दा हो जाता हूँ। 

यह हमेशा की बात है। इस बार यह ग़म मुझे यहाँ आई बाढ़, भूस्खलन, सैकड़ों लोगों के मारे जाने से नहीं हुआ, मेरी माँ को गाली दिये जाने से हुआ। यहाँ की प्राकृतिक आपदा से अधिक दुखी तो मैं अफगानिस्तान की प्राकृतिक आपदा से हुआ था। वहाँ के भूकंप से हुआ था। उन्हें पलक झपकते ही संवेदना दे दी थी। मदद की पेशकश कर दी थी। साथ होने का भरोसा दिया था।

तो मेरे बिहार के वोटर भाइयों और बहनों, मुझे विश्वास है कि आप इस गाली को दिल पर लेंगे। इन गाली देने वालों को सबक सिखाएंगे और आने वाले चुनाव में मुझे ही जिताएंगे। 

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

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