पंजाब : ख्यात सिख संस्थाओं ने शुरू किया अमृतपाल का विरोध

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह और श्री अकाल तख्त साहिब
पंजाब के अजनाला प्रकरण के मद्देनजर 'वारिस पंजाब दे' के मुखिया अमृतपाल सिंह खालसा का विरोध भी खुलेआम शुरू हो गया है। जिस तरह से अमृतपाल ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को ढाल बनाकर थाने पर कब्जा किया और पुलिसकर्मियों को उसके समर्थकों ने तलवारों से घायल किया; उसे लेकर सिख संगठन खासे खफा हैं। अब ख्यात सिख संस्थाओं और पंजाब सरकार की नाराजगी के बाद अमृतपाल सिंह खालसा की मुश्किलें यकीनन बढ़ेंगीं। श्री अकाल तख्त साहिब सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था है। अजनाला घटनाक्रम पर उसकी चुप्पी टूटी है और तख्त साहिब ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है। इसमें सिख विद्वानों और नामवर बुद्धिजीवियों को शामिल किया गया है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने खुद इसकी पुष्टि की है। वहीं भारी किरकिरी के बाद पुलिस भी नए सिरे से अपने 'तेवर' दिखा रही है।
विभिन्न सिख जत्थेबंदियों का मानना है कि जो कुछ अजनाला में अमृतपाल सिंह खालसा की अगुवाई में हुआ वह श्री गुरु ग्रंथसाहिब की मर्यादा का खुला और अफसोसजनक उल्लंघन है। सर्वोच्च श्री अकाल तख्त साहिब के मुख्य जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने विशेष जांच कमेटी की घोषणा करते वक्त कहा कि, "श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को ढाल बनाकर थाने के द्वार तक ले जाना बेहद अमर्यादित है।" पंजाब सहित देश-विदेश के सिख भी खुलकर अमृतपाल सिंह खालसा की इस 'हरकत' के बाद खुलकर आगे आ रहे हैं।
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने जिस जांच कमेटी का गठन किया है, वह यह भी बताएगी कि क्या पंथक धरना प्रदर्शनों और मोर्चों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को ले जाया जा सकता है या नहीं। ज्ञानी हरप्रीत सिंह का मानना है कि इस तरह के कार्यक्रमों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने पर उनकी बेअदबी हो सकती है। विशेष जांच कमेटी सभी मुद्दों पर पंथक इतिहास और रिवायतों के मद्देनजर इस पर 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार करेगी। उक्त रिपोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार को सौंपी जाएगी और उसके बाद तमाम तख्त साहिबान के जत्थेदार इस पर विचार करेंगे और धार्मिक नियम और मर्यादा को लागू करने से संबंधित 'हुकुमनामा' जारी करेंगे। बता दें कि श्री अकाल तख्त साहिब से जारी हुकमनामा सिख समुदाय केेे लिए अलहदा और खास अहमियत रखता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब सत्कार कमेटी केे अध्यक्ष सुखजीत सिंह खोसा और हिंदू-सिख एकता मंच के अध्यक्ष जसबीर सिंह ने भी श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को थाने के आगे ले जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे सिख मर्यादा के खिलाफ बताया है।
पंजाब सरकार की खामोशी भी अजनाला प्रकरण के बाद टूटने लगी है। पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि, "पुलिस और सरकार श्री गुरुग्रंथ साहिब का सम्मान करती है। इसलिए भी अजनाला में बल प्रयोग नहीं किया गया। श्री अकाल तख्त साहिब और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को चाहिए कि धरना प्रदर्शनों केेे वक्त श्री गुरुग्रंथ साहिब के पावन स्वरूप को ले जाने पर तत्काल पाबंदी लगााएंं।" इससे पहले मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान भी घटनाक्रम पर बोल चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया भी। उधर, राज्य के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव का कहना है कि पंजाब पुलिस जांबाज फोर्स है और किसी भी सूरत में राज्य का माहौल बिगड़ने नहीं दिया जाएगा। डीजीपी के मुताबिक ऐसेे लोगों को सिर नहीं उठाने दिया जाएगा, जो पंजाब के अमन केेे लिए खतरा पैदा करें।
पंजाब के पूर्व डीजीपी एसएस विर्क कहतेे हैंं, "पुलिस को अजनाला की घटना निपटनेेेे के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना चाहिए था। पंजाब ने काले दिन देखे हैं और सरकार एवं पुलिस- प्रशासन को यह बात अतिरिक्त गंभीरता से समझनी चाहिए। भीड़़ की ऐसी मानसिकता और इस तरह का खुला हिंसक प्रदर्शन लोकतंत्र और किसी भी राज्य की कानून व्यवस्थाा के खतरनाक है।"
अजनाला घटना के बाद अमृतपाल सिंह खालसा काा यह बयान भी खासा विवादास्पद है, जिसमें उसनेे कहा कि वह खुद को भारत का नागरिक नहीं मानता और पासपोर्ट केवल यात्रा के लिए है!
इस बीच अमृतपाल सिंह खालसा के तमाम इंस्टाग्राम अकाउंट बंद कर दिए गए हैं। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अमृतपाल के नाम से इंस्टाग्राम पर तकरीबन 35 अकाउंट हैं और इनमें ब्लू टिक वाले अकाउंट बंद कर दिए गए हैं। यह मांग भी उठने लगी है कि अजनाला घटनाक्रम में श्री गुरुग्रंथ साहिब की पालकी ले जाने के लिए अमृतपाल सिंह खालसा माफी मांगे। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व सदस्य और सिख विद्वान अमरिंदर सिंह ने कहा है कि अमृतपाल सिंह को फौरन श्री अकाल तख्त साहिब पर जाकर माफी मांगनी चाहिए। सिख बुद्धिजीवी और नाटककार पाली भूपेंद्र सिंह का कहना है कि हम तो बेअदबी के खिलाफ लड़ रहे थे, अब तो खुद ही सिखों के स्वयंभू नेता बेअदबी करने पर उतर आए हैं। पंजाब को 84 वाले दौर में न लेकर जाया जाए!
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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