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पहलगाम आतंकी हमला: पूरा देश स्तब्ध, राजनीतिक दलों ने दिखाई एकजुटता​

22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई। यह हमला हाल के वर्षों में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला माना जा रहा है।
PAHALGAAM Terrorist Attack

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले के पहलगाम क्षेत्र में स्थित बईसारन घाटी में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हो गई और 17 अन्य घायल हुए। यह हमला हाल के वर्षों में नागरिकों पर हुआ सबसे घातक हमला माना जा रहा है। हमलावरों ने पर्यटकों पर नज़दीक से गोलीबारी की। ​

घायल पर्यटकों को एयरलिफ्ट कर श्रीनगर और दिल्ली के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कई की हालत अब भी गंभीर बताई जा रही है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दोपहर क़रीब ढाई बजे चार से पांच आतंकवादी, जो सेना जैसी वर्दी पहने हुए थे, पास के जंगलों से निकलकर घाटी में दाख़िल हुए और अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आतंकियों ने पर्यटकों से नाम और धर्म पूछा और गोली मार दी।

घटना के तुरंत बाद, सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बईसारन और आसपास के इलाक़ों में बड़ा तलाशी अभियान चलाया। अब तक दो संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है, जिनके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद होने का दावा किया गया है।

बताया जा रहा है कि घटना की ज़िम्मेदारी "कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट" (KRF) नामक एक आतंकवादी संगठन ने ली है। 

यह हमला ऐसे समय हुआ है जब केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात को सामान्य होने का दावा कर रही थी। हमले के बाद अमरनाथ यात्रा की तैयारियों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।​

इस घटना को लेकर पूरे देश में ग़म और ग़ुस्सा है। आतंकी हमले के बाद पहलगाम के लोगों ने कैंडल मार्च निकालकर अपना विरोध जताया। साथ ही आतंकी हमलों के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो सऊदी अरब दौरे पर थे, ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए यात्रा तत्काल रद्द कर भारत लौटने का फ़ैसला किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "निर्दोष पर्यटकों पर यह हमला मानवता के खिलाफ अपराध है। दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा।"

उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक की। ​गृह मंत्री अमित शाह ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि "दोषियों को कठोरतम सज़ा दी जाएगी।" उन्होंने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और पीड़ितों को श्रद्धांजलि अर्पित की। ​

कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हमले को "भयावह" बताया और कहा कि उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तारिक कर्रा से बात की है। उन्होंने पीड़ितों के परिवारों को न्याय और समर्थन का आश्वासन दिया। ​

कांग्रेस ने इस हमले को लेकर 24 अप्रैल को दिल्ली में कार्यसमिति (CWC) की बैठक बुलाई है। 

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस हमले को भारत पर सीधा हमला बताया है। उन्होंने कहा कि पूरा देश स्तब्ध है। एक पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है। हमें इसका माक़ूल जवाब देना चाहिए, और इस मसले पर हम सभी एकजुट हैं।

ऐसे हालात में हम सरकार के साथ खड़े हैं। हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह आतंकवादियों का पकड़ने के लिए अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करे।

खड़गे ने कहा कि अब लगभग 22 घंटे बीत चुके हैं, और सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को सुरक्षा को लेकर फिर से भरोसा हो।

उन्होंने कहा कि हम अपेक्षा करते हैं कि सरकार सभी राजनीतिक दलों को एकजुट करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाए और इस विषय पर गंभीर चर्चा करे।

प्रियंका गांधी ने इसे "मानवता के खिलाफ अपराध" करार दिया और सरकार से सुरक्षा विफलताओं की जवाबदेही तय करने की मांग की।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इसे हाल के वर्षों में नागरिकों पर हुआ सबसे बड़ा हमला बताया। 

उन्होंने कहा कि हमारे अतिथियों पर हुआ यह हमला एक घिनौनी और अमानवीय हरकत है। इस हमले को अंजाम देने वाले दरिंदे हैं, इंसान नहीं — वे घोर निंदा के पात्र हैं। इस अपराध की जितनी निंदा की जाए, कम है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने इस "अमानवीय" हमले के विरोध में 23 अप्रैल को कश्मीर बंद का आह्वान किया और लोगों से निर्दोषों की हत्या के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। ​

शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने इस हमले के लिए भाजपा की "नफ़रत की राजनीति" को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि "जब तक देश में नफ़रत का माहौल रहेगा, तब तक निर्दोष लोग मारे जाते रहेंगे।" ​

वामपंथी दलों ने भी एक स्वर में कहा कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों को एकजुट होना चाहिए और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।​

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] के पोलित ब्यूरो ने इस हमले को बर्बर हत्याकांड करार दिया और कहा कि यह आतंकियों द्वारा निर्दोष नागरिकों की निर्मम हत्या है। पार्टी ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। CPI(M) ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह हमले की सभी कोणों से जांच करे, विशेषकर पर्यटक स्थलों पर सुरक्षा में हुई चूक की। पार्टी ने कहा कि दोषियों को सख़्त सज़ा दी जानी चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

भाकपा (माले) लिबरेशन (CPI-ML) ने भी इस आतंकी हमले की निंदा की और इसे निर्दोष नागरिकों पर किया गया कायराना हमला बताया। पार्टी ने कहा कि यह हमला केंद्र सरकार के उस दावे पर सवाल उठाता है जिसमें कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य हो गई है। पार्टी ने मांग की कि सरकार सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करे और दोषियों को सख्त सजा दे।​

कश्मीर के सीपीआई(M) के विधायक मोहम्मद यूसुफ़ तारिगामी ने इस हमले को "मानवता के ख़िलाफ़ एक घिनौना कृत्य" बताते हुए कहा कि "इस तरह के कायराना हमले किसी सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं हो सकते।" तारिगामी ने हमले में मारे गए पर्यटकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। उन्होंने यह भी कहा कि "हमलावरों को बिना किसी देरी के न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।" 

कई देशों ने भी इस घटना की निंदा की है। 

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस हमले की कड़ी निंदा की और कहा कि नागरिकों पर हमले किसी भी परिस्थिति में अस्वीकार्य हैं।

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