मध्य प्रदेश : पुलिस के डर से जन धन खातों से पैसे नहीं निकाल पा रहे लोग

भोपाल: मध्य प्रदेश पुलिस ने 9 अप्रैल को सामाजिक दूरी का उल्लंघन करने के मामले में भिंड जिले की 39 महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने कथित तौर कोविड-19 लॉकडाउन का तब उलंघन किया जब वे केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता के रूप में उनके जन धन खातों में डाली गई राशि यानि 500 रुपये निकालने बैंक गई थी।
भिंड पुलिस ने उन पर आईपीसी की धारा 151 के तहत मुक़दमा दर्ज किया है, उन्हें इस उलंघन के आरोप में पांच घंटे तक अस्थायी जेल की हिरासत में रखा गया और प्रत्येक को 10,000 रुपये के मुचलके पर हस्ताक्षर करने के बाद ही रिहा किया। इस घटना के कारण भिंड में भय का माहौल पैदा हो गया है, और कोई भी खाताधारक भोजन सामाग्री या अन्य ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पैसा निकालने के लिए बाहर नहीं निकाल पा रहा है।
हिरासत में ली गई एक महिला गीता ने कहा, “हमारे खातों में जमा किए गए धन क्या फायदा अगर हम इसे नहीं निकाल सकते हैं और न ही उसका उपयोग कर सकते हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था नकदी पर चलती है। मेरे पास पैसा नहीं है और दिन में तीन बार सात लोगों का पेट भरना पड़ता हैं।”
भिंड पुलिस ने लोकडाउन के दौरान बैंकों के बाहर भारी भीड़ लगने से रोकने के लिए इन महिलाओं की गिरफ्तारी की थी।
उनके जन धन खातों में पैसे जमा होने की खबर के बाद, बड़ी संख्या में लोग बैंक की ओर दौड़ पड़े, कुछ लोगों ने यह जानने के लिए अपनी पासबुक साथ में ले ली कि क्या उन्हें राज्य या केंद्र सरकार ने कोई पैसा भेजा है।
खबर के मुताबिक मप्र में 3.5 करोड़ लोगों के खातों में 1500 करोड़ रुपए डाले गए हैं।
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान छात्रों, हाशिए पर पड़े तबकों, मजदूरों, विधवा पेंशनरों और अन्य लोगों को वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने 30 मार्च, 2020 तक विभिन्न योजनाओं के तहत 2.55 करोड़ लाभार्थियों के बैंक खातों में 1239.53 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए हैं।
वी बालाजी राव, डीजीएम, सेंट्रल बैंक के अनुसार, 1.68 करोड़ महिलाओं के जन धन खातों में 500 रुपये डाले गए हैं। अगले तीन महीने तक उन्हें यह राशि मिलती रहेगी।
7.3 करोड़ की आबादी वाले राज्य में 3.26 करोड़ लूग्न के जन धन खाते हैं। इसके अलावा खबर है कि, केंद्र सरकार पीएम किसान योजना के तहत किसानों के खातों में 2,000 रुपये भी डालेगी।
इसका मतलब यह है कि राज्य में लगभग 3.5 करोड़ लोगों ने एक ही साथ 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की सहायता हासिल की हैं। जिसके परिणामवरूप, ग्रामीण क्षेत्रों के बैंकों, एटीएम के बाहर लंबी कतारें लग गई। ऐसे में पुलिस और बैंकों को सामाजिक दूरी बनाने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा था।
यूनाइटेड फ़ेडरेशन ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू), मध्य प्रदेश के समन्वयक वीके शर्मा ने कहा कि अगर बड़ी संख्या में लाभार्थी पैसे निकालने के लिए सड़कों पर उतर जाते हैं खासकर जिन्हें इस पैसे की सख्त जरूरत है, तो अराजकता फैलेगी और ज़िला प्रशासन इसे नियंत्रित नहीं कर पाएगा।
यह एक असाधारण स्थिति है, मजदूर अधिकार कार्यकर्ता बादल सरोज ने कहा। “राज्य और केंद्र सरकारों की विभिन्न योजनाओं के लाभार्थी ज्यादातर समाज के हाशिए पर पड़े वे तबके हैं जिन्हें वित्तीय सहायता की सख्त जरूरत है। लेकिन, अगर वे पैसे निकालने के लिए बैंक जाते हैं, तो उन पर लॉकडाउन और सामाजिक दूरी का उल्लंघन करने के लिए मुक़दमा थोप दिया जा सकता है। और अगर वे पैसा नहीं निकालते हैं, तो वे भूख से मर सकते हैं क्योंकि अब उनके पास न तो भोजन हैं और न ही पैसा।”
उन्हौने कहा की अगर हालत ऐसे ही रहते हैं तो "सरकारी मदद का कोई फायदा नहीं मिलेगा,"।
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के एक कार्यकर्ता नितिन ने कहा कि लॉकडाउन के कारण ग्रामीण इलाकों में भोजन और पैसे की भयंकर कमी है।
नितिन ने समझाया कि “सरकार ने पीएम किसान योजना के तहत 2,000 रुपये खातों में डाले हैं, और कई महिलाओं को विधवा पेंशन योजना के तहत 600 रुपये भी मिले हैं। कुछ को जन धन योजना के खातों में 500 रुपये मिले हैं। मजदूरों को राज्य सरकार की तरफ से 1,000 रुपये मिलते हैं। लेकिन वे इस नकदी को निकाल नहीं सकते। “बैंक या एटीएम उनके गांवों से 15-20 किमी की दूरी पर हैं, कभी-कभी तो 25-30 किमी की दूरी पर होते हैं। और लॉकडाउन की वजहसे वहाँ जाने के लिए कोई यातायात भी नहीं है। सब कुछ बंद पड़ा है।"
और सभी के बैंक खातों में अभी तक पैसा भी नहीं पहुंचा है। इसलिए लोग "काफी तनाव में हैं।"
दो सप्ताह के बाद भी, लाखों लाभार्थी पैसा निकालने में नाकामयाब हैं।
ज़िला प्रशासन ने बैंकों को बंद कर दिया है।
राज्य के विभिन्न जिलों में, प्रशासन ने भारी भीड़ से बचने के लिए बैंकों को बंद कर दिया है और 'पैसे की होम डिलीवरी' का आदेश दे दिए है, जबकि कुछ जिलों में कतारों के भीतर सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए बैंकों के बाहर पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है।
उदाहरण के लिए, बुरहानपुर के कलेक्टर राजेश कुमार कौल ने 13 अप्रैल से सभी बैंकों को बंद करने के आदेश दे दिए है और बैंक अधिकारियों से कहा है कि वे लोगों के घर जाकर पैसा दें।
हालांकि, बैंक यूनियन को लगता है कि 'पैसे की डोरस्टेप डिलीवरी' एक असंभव काम है और इसके लिए बहुत अधिक समय के साथ-साथ संसाधनों का खर्च भी होगा। “ग्रामीण क्षेत्रों में, बैंक तीन-चार कर्मचारियों और न्यूनतम संसाधनों के साथ चलाए जाते हैं। ऑनलाइन बैंकिंग तंत्र को दूरस्थ क्षेत्रों, गांवों तक ले जाना और धन पहुंचाना लगभग असंभव सी बात है। लेन-देन के लिए इंटरनेट कनेक्शन की भी आवश्यकता होती है, ”वॉयस ऑफ बैंकिंग के अश्वनी राणा ने उक्त बातें कहीं।
उन्होंने कहा कि, इसके अलावा, अन्य मुद्दे भी हैं जैसे कि आधार का खाते से जुड़ा होना, फिंगरप्रिंट मिसमैच और नकदी की उपलब्धता।
बैंक यूनियन ने इन मुद्दों को उठाया हैं।
उनके मुताबिक, गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राज्य स्तरीय बैंकिंग समिति (एसएलबीसी) की बैठक के दौरान, बैंकिंग क्षेत्र के अधिकारियों ने ज़िला अधिकारियों पर बैंकों में भीड़ को नियंत्रित करने में बैंक अधिकारियों के साथ सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। बैंक अधिकारियों द्वारा सुझाए गए उपायों पर ज़िला प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने 8 अप्रैल को मंडला में इलाहाबाद बैंक के प्रबंधक के साथ हुई घटना की तरफ भी इशारा किया। मंडला पुलिस ने बैंक प्रबंधक को हिरासत में लिया और बैंक में सामाजिक दूरी बनाए रखने में विफल रहने के आरोप में बैंक प्रबंधक के साथ मारपीट की।
अधिकारियों ने सीएम से आग्रह किया है कि वे नगर निगमों के माध्यम से बैंकों का सेनीटाइजेशन कराएं।
अधिकारियों ने सीएम को सूचित किया कि 10,343 बैंकिंग संवाददाता ग्राहकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य भर में सक्रिय रूप से काम कर हैं, खासकर ग्रामीण इलाकों में। इसके अलावा, पोस्टमास्टर जनरल को आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) के माध्यम से नकदी बांटने की सेवाओं के लिए 9,000 से अधिक ग्रामीण डाकियों की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। इसके अलावा राज्य भर के विभिन्न बैंकों की लगभग सभी 7,866 शाखाएँ लॉकडाउन के बावजूद ग्राहकों को सक्रिय रूप से सेवा प्रदान कर रही हैं। इसके अलावा, राज्य में 9,405 एटीएमएस 24X7 काम कर रहे हैं और यह सुनिश्चित किया जा रहा है ये सब एटीएम नकदी से लबालब रहे।
“अपर्याप्त सुरक्षा, बिना सेनीटाइजेशन और बिना किसी सामाजिक दूरी के बैंक वायरस की चपेट में आ रहे हैं। बैंक अधिकारी अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं, लेकिन उनके प्रति प्रशासन और पुलिस की प्रतिक्रिया खराब है और बैंक अधिकारियों का मनोबल गिर रहा है, ”शर्मा, जो यूएफबीयू, मध्य प्रदेश के समन्वयक हैं ने उक्त बातें बताई।
सीएम ने कहा कि बैंकिंग सेवा को ड़ोरस्टेप डिलिवरी के माध्यम आम जन तक पहुंचाए।
बैंक अधिकारियों को आश्वासन देते हुए सीएम ने कहा कि बैंकर्स के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात क्या जाएगा। सीएम चौहान ने अधिकारियों से ड़ोरस्टेप डिलिवरी के माध्यम से बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने का आग्रह किया ही। उन्होंने कहा कि बैंकों को डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना चाहिए और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए माइक्रो योजना बनानी चाहिए।
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