किसान आंदोलन: ठंड से एक महिला किसान की मौत, अब तक 150 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत

शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन में शामिल महाराष्ट्र की महिला किसान सीताबा़ई तडवी की मृत्यु हो गई। मोर्चे पर मौजूद किसानों की ओर से दो मिनट का मौन रख कर भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई।
शाहजापुर बॉर्डर के संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर उनके मौत पर शोक प्रकट किया और इसे आंदोलन की क्षति कहा। उन्होंने कहा सिताबाई रामदास तडवी की उम्र 56 साल थी और वो आंबाबारी जिला नंदुरबार महाराष्ट्र की लोक संघर्ष मोर्चा के साथ पिछले 25 साल से संघर्ष कर रही थीं। खेती किसानी के हक्क का आंदोलन हो या अपने गांव के देहली नदी पर बन रहे बांध का जिससे उनके अपने गांव आंबबारी का जबरन और अन्यायकारी विस्थापन के ख़िलाफ़ वो आज तक कड़ा संघर्ष करती रही हैं। उसके लिए सीताबाई कई बार अपने सत्याग्रह आंदोलन के कारण जेल जा चुकी है।
आगे बतया गया कि जंगल ज़मीन की लड़ाई के लिए बम्बई में अनशन में सीताबाई सहभागी भी रहीं थीं। वन अधिकार कानून बनाने के लिए गांव से दिल्ली तक के संघर्ष में सीताबाई हरदम आगे रहती थीं। नंदुरबार से बम्बई 480 किमी पैदल यात्रा में 5000 साथियों के साथ सीताबा़ई की अगवाई महत्वपूर्ण रही है। 2018 में संपूर्ण कर्जा मुक्ति और फसल का सही दाम की लड़ाई मे सीताबा़ई लोक संघर्ष मोर्चा के उलगुलान मार्च में 21 से 23 नबंबर 2018 को ठाणे से मुंबई पैदल मार्च का नेतृत्व भी किया था।
किसान कर्जा मुक्ति का आंदोलन हो या एमएसपी की लड़ाई हो, सीताबा़ई हर दम आगे रही हैं, 22 दिसंबर 2020 को अंबानी के खिलाफ हुए मुंबई मार्च में सीताबा़ई प्रमुख अगुवा में से एक थीं, 5 जून से तीन किसान कानून के खिलाफ की लड़ाई में सीताबा़ई हर मोर्चा में आगे थीं, दिल्ली में 16 जनवरी से 27 तारीख तक किसान आंदोलन में शाहजहांपुर बॉर्डर पर मोर्चा पर डटी हुई थीं। कल बहुत ठंड के कारण जयपुर में उनकी मौत हो गई।
आपको बता दें संघर्ष में हरदम आगे रहने वाली लड़ाकू सीताबा़ई तडवी आदिवासी समाज से आती हैं और महिला किसान थीं। सीताबा़ई का पूरा परिवार इस संघर्ष में हिस्सेदार रहा है
शाहजहांपुर बॉर्डर पर संयुक्त मोर्चे की तरफ से बयान जारी करते हुए संजय माधव ने कहा सीताबा़ई की किसान आंदोलन के वक्त हुई शाहदत हमेशा याद रखी जाएगी। सीताबा़ई तडवी को संयुक्त किसान मोर्चा और देश के तमाम किसानों की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई।
किसान नेताओं के मुताबिक अभी तक किसान आंदोलन में 150 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आपको बता दें पिछले सात महीने से किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि 26 नवम्बर से दिल्ली के सीमा पर भीषण ठंड में डेरा डाले हुए है। जबकि 13 दिसंबर से राजस्थान-हरियाणा के शाहजहांपुर बॉर्डर पर भी किसान डटे हुए हैं। यह ऐतिहासिक किसान आंदोलन छुटपुट घटनाओं को छोड़कर पूरी तरह शांतिपूर्ण ही रहा है।
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