मणिपुर मुद्दे पर 'इंडिया' के घटक दलों ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया

नयी दिल्ली: विपक्षी गठबंधन 'इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दलों ने मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग को लेकर सोमवार को संसद परिसर में प्रदर्शन किया।
विपक्षी सांसदों के इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, जनता दल (यूनाइटेड) के राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन सिंह, द्रमुक के टी आर बालू, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा और अन्य पार्टियों के सांसद शामिल हुए।
प्रधानमंत्री जी मणिपुर पर दोनों सदन में बयान जारी करें। यही हमारी मांग है।
वे सदन में आकर मणिपुर की वास्तविक स्थिति के बारे में बताएं।
प्रधानमंत्री जी, 140 करोड़ लोगों के प्रतिनिधि हैं, आखिर क्यों वे सदन में आकर सच नहीं बताना चाहते हैं?
: कांग्रेस अध्यक्ष व राज्यसभा में नेता… pic.twitter.com/z4ySJzwbX9
— Congress (@INCIndia) July 24, 2023
विपक्ष के सांसदों ने हाथों में एक बड़ा बैनर ले रखा था जिस पर लिखा था कि 'इंडिया डिमांड्स पीएम स्टेटमेंट इन बोथ हाउसेज ' (भारत प्रधानमंत्री से दोनों सदनों में वक्तव्य की मांग करता है)।
उन्होंने 'प्रधानमंत्री सदन में आओ' के नारे भी लगाए।
विपक्षी दल मणिपुर के विषय पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद के भीतर वक्तव्य देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं।
मणिपुर पर सदन में चर्चा और प्रधानमंत्री से विस्तृत बयान की मांग को लेकर आज INDIA गठबंधन ने संसद के सामने प्रदर्शन किया।
मोदी सरकार मणिपुर पर चर्चा नहीं करना चाहती। pic.twitter.com/egwfitmRLx
— Congress (@INCIndia) July 24, 2023
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, मणिकम टैगोर और कुछ अन्य विपक्षी सांसदों ने मणिपुर के मामले पर संसद के दोनों सदनों में प्रधानमंत्री मोदी के बयान और चर्चा की मांग करते हुए सोमवार को भी कार्यस्थगन के नोटिस दिए।
मणिपुर के मुद्दे पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिनों में दोनों सदनों में कोई प्रमुख विधायी कामकाज नहीं हो सका।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
'मणिपुर इंतजार कर रहा है, प्रधानमंत्री सदन में बयान दें'
कांग्रेस ने संसद के मानसून सत्र के तीसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होने से पहले सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर के विषय पर संसद के भीतर वक्तव्य देना चाहिए, क्योंकि इस समय पूर्वोत्तर का यह राज्य इसका इंतजार कर रहा है और पूरा देश उनकी ओर देख रहा है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की यह मांग भी है कि समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए सदन में चर्चा हो।
विपक्षी दल मणिपुर के विषय को लेकर सोमवार को संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष विरोध-प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
रमेश ने ट्वीट किया, “आज संसद के मानसून सत्र का तीसरा दिन है। ‘इंडिया’ की मांग स्पष्ट है। मणिपुर में तीन मई के बाद के भयावह घटनाक्रम पर प्रधानमंत्री को सदन में एक विस्तृत बयान देना चाहिए। उसके बाद हमारी पीड़ा, दुख और समाधान की सामूहिक इच्छा को व्यक्त करने के लिए चर्चा हो।”
The 3rd day of Monsoon session of Parliament begins today. INDIA's demand is straightforward. PM should make a comptehensive statement on the horrific post-May 3 developments in Manipur, after which a discussion would take place to express our collective sense of pain, anguish…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 24, 2023
उन्होंने आरोप लगाया, “यही उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भागने के लिए कोई ड्रामा नहीं करेंगे, जैसा कि वह ऐसे मौकों पर अक्सर करते हैं। इनकार करना, तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, ध्यान भटकाना और बदनाम करना उनकी आदत है।”
रमेश ने कहा, “क्या इस अवसर पर वह इनसे ऊपर उठेंगे? मणिपुर इंतजार कर रहा है। देश देख रहा है।”
मणिपुर के विषय पर हंगामे के कारण संसद के मानसून सत्र के पहले दो दिन में कोई प्रमुख विधायी कार्य नहीं हो सका।
मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने का वीडियो गत बुधवार को सामने आने के बाद राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया। अधिकारियों ने बताया कि यह वीडियो चार मई का है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की बहुसंख्यक मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में तीन मई को ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद राज्य में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।