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महिला सुरक्षा को लेकर जी-20 सम्मेलन में किए गए स्मृति ईरानी के दावे कितने सही?

अंतरराष्ट्रीय मंच पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने उपलब्धियां बताईं लेकिन स्थिति नहीं बताई। आइए उनके दावों की पड़ताल करते हैं।
स्मृति ईरानी

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने 26 अगस्त को जी-20 देशों के महिला सशक्तिकरण विषय पर पहले सम्मेलन में अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किये जा रहे महिला सशक्तिकरण के कार्यों का ब्यौरा अंतरराष्ट्रीय मंच पर साझा किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने महिला सुरक्षा को लेकर कई दावे किये।

प्रधानमंत्री मातृत्व वंदन योजना, स्वच्छ भारत अभियान, जन-धन खाते से लेकर बीपीएल महिलाओं को मुफ्त गैस सिलेंडर देने तक का बखान किया। महिला सुरक्षा विषय पर बोलते हुए उन्होंने वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर और महिला हेल्पलाइन का खासतौर पर ज़िक्र किया और बताया कि देश में 704 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर कार्यरत हैं और महिला हेल्प लाइन और वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर तालमेल के साथ काम कर रहे हैं। अब तक दोनों ने 57 लाख महिलाओं को सहायता प्रदान की है। इस लिंक पर क्लिक करके आप स्मृति ईरानी का वक्तव्य सुन सकते हैं।

अब आइये इस दावे की पड़ताल करते हैं और मुद्दे को समझते हैं। समझते हैं वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर क्या हैं? देश में महिला हेल्पलाइन की स्थिति क्या है? जिस बारे में विदेशी मंचों पर शेखी बघारी जा रही है।

क्या स्मृति ईरानी का दावा सही है?

स्मृति ईरानी का कहना है कि देश में 704 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर हैं और इन्होंने महिला हेल्प लाइन के साथ मिलकर कुल  57 लाख महिलाओं की मदद की है। जब हमने इस दावे की पुष्टि करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सखी डैशबोर्ड पर नज़र डाली तो आंकड़ें कुछ और कह रहे थे। सखी डैशबोर्ड पर वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर और महिला हेल्पलाइन संबंधी आंकड़े संग्रहित किए जाते हैं। सखी डैशबोर्ड के अनुसार भारत में कुल 684 वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर ओपरेशनल हैं। कुल स्वीकृत केंद्रों की संख्या 733 है। वेबसाइट के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्री का दावा सही नहीं है। इस लिंक पर क्लिक करके आप राज्यवार वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर की संख्या देख सकते हैं।

स्मृति ईरानी का दूसरा दावा है कि अब तक 57 लाख महिलाओं की मदद की गई है। जब इस आंकड़े की खोज की तो पाया कि वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर पर अब तक 3,69,852 कुल केस और महिला हेल्पलाइन पर 48,41,664 केस का आंकड़ा दर्ज़ है। दोनों के कुल केसों को मिला लें तो भी ये आंकड़ा मात्र 52 लाख 11 हज़ार के लगभग पहुंचता है। यानी स्मृति ईरानी द्वारा किया गया 57 लाख लाभार्थियों का दावा भी सही नहीं है। स्मृति ईरानी और सखी डैशबोर्ड दोनों में पांच लाख का अंतर है। इसके अलावा स्मृति इरानी ने ये भी स्पष्ट नहीं किया कि ये कुल केस का आंकड़ा है या उन महिलाओं की संख्या है जिनको वास्तव में मदद की गई है। गौरतलब है कि कुल केस और जिन महिलाओं को मदद की गई दोनों आंकड़ों में अंतर हो सकता है।

भारत में महिला सुरक्षा के दावे और स्थिति

अंतरराष्ट्रीय मंच पर महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी उपलब्धियां बता रहीं हैं, स्थिति नहीं बता रहीं। स्थिति आपको हम बताते हैं। थामसन रॉयटर फाउंडेशन की वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं के लिए भारत सबसे ख़तरनाक देश है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज़ किये गये। यानी हर दिन 1111 मामले। सरकार रॉयटर फाउंडेशन की रिपोर्ट को बोगस और भारत को बदनाम करने की कोशिश बता सकती है लोकिन क्या एनसीआरबी के आंकड़ों से भी मुंह छिपाएगी। क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर आंकड़े बढ़ाकर बताने से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि में चार चांद लग जाएंगे? क्या देश में महिलाओं को सुरक्षा मुहैया हो जाएगी?

वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर और महिला हेल्पलाइन की स्थिति

दिल्ली के निर्भया केस के बाद इस तरह के केंद्रों की सिफारिश की गई जहां ज़रूरतमंद महिला को एक ही छत के नीचे तमाम ज़रूरी मदद मिल सके। इसमें मेडिकल, काउंसलिंग, पुलिस और शेल्टर आदि शामिल है। लेकिन इनकी स्थापना के घोषणा के बाद क्या सरकार ने कभी इनकी सुध ली है। एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में महिला आयोग की पहल पर इन केंद्रों का ऑडिट किया गया तो मात्र दो ही ऐसे केंद्र मिले जो गाइडलाइन के अनुरूप स्थापित किये गये थे। अन्यथा तमाम केंद्र औपचारिकता बने हुए थे और फंड एवं प्रशिक्षण के अभाव से जूझ रहे थे। अगर देश के बाकी राज्यों में भी इन केंद्रों का ऑडिट हो तो सही तस्वीर सामने आ सकती है।

महिला हेल्पलाइन की स्थिति को समझने के लिए इस रिपोर्ट को देखिये। उत्तर प्रदेश में 350 महिला हेल्पलाइन कर्मचारियों को ग्यारह महीने से वेतन नहीं मिला। मजबूरन उन्हें कोरोना के बावजूद अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना पड़ा था और एक महिलाकर्मी ने परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। इन महज़ दो उदाहरणों से आप वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर और महिला हेल्पलाइन की स्थिति को समझ सकते हैं।

अगर महिला हेल्पलाइन और वन स्टाप क्राइसिस सेंटर के तालमेल और वेब मैनेज़मेंट की बात करें तो स्थिति यहां भी सही नहीं है। वेब आधारित सेवाओं में मैनेज़मेंट इंफॉर्मेशन सर्विस एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है। महिला हेल्पलाइन और वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर का मैनेज़मेंट इंफॉर्मेशन सर्विस क्या है? ये जानने के लिए उत्तर प्रदेश की आरटीआई कार्यकर्ता उर्वशी शर्मा को आरटीआई लगानी पड़ी। उर्वशी ने 11 फरवरी 2019 को उत्तर प्रदेश महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को आरटीआई के माध्यम से मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सर्विस के बारे में दस बिंदुओं पर जवाब मांगा। वन स्टॉप क्राइसिस सेंटर की इस विषय में स्थिति आप इस बात से ही समझ सकते हैं कि जानकारी देने में मंत्रालय को एक साल का समय लग गया। मात्र कुछ ही बिंदुओं पर जानकारी दी जिससे कुछ पता नहीं चलता। ज्यादा जानकारी के लिए ये रिपोर्ट देखें।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। वे सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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