हरियाणा: 8 साल की उपेक्षा, बिना छत और शौचालय के चल रहे कई स्कूल

कासंडी के सरकारी स्कूल में पेड़ के नीचे चलती कक्षाएं।
सोनीपत जिले के कासंडी स्थित सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल राम चंद्र कहते हैं कि, "हमारे पास पंखे खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। स्टाफ ने खुद पैसे जोड़कर पंखे खरीदे हैं।" यह अस्थायी समाधान हरियाणा के सार्वजनिक शिक्षा क्षेत्र की ढहती छवि को दर्शाता है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, कासंडी, हरियाणा में बाथरूम
2024-25 में, हरियाणा सरकार ने अपने ख़र्च का मात्र 13.8 फीसदी शिक्षा के लिए आवंटित किया, जो राष्ट्रीय औसत के 14.7 फीसदी से नीचे है। शिक्षा पर होता लगातार कम आवंटन सरकार की पुरानी उपेक्षा को उजागर करता है। पिछले साल, हरियाणा सरकार ने अपने शिक्षा बजट में लगभग 8 फीसदी की कमी की, जो रिक्त पदों के कारण 2,411.08 करोड़ रुपए की कमी को उचित ठहराता है। फरवरी 2024 तक, राज्य के सरकारी स्कूलों में 11,341 शिक्षण और 16,537 गैर-शिक्षण पदों की भारी कमी थी। इन रिक्तियों से चिंतित होकर, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सरकार से हलफनामा मांगा था।
2017 से ही हरियाणा सरकार स्कूल के बुनियादी ढांचे के खराब प्रबंधन के लिए हाई कोर्ट के रडार पर है। कैथल जिले के बालू गांव के अमरजीत और अन्य छात्रों ने एक याचिका के माध्यम से इन गंभीर समस्याओं को उजागर किया। मई 2023 में, माध्यमिक शिक्षा निदेशक अंशज सिंह ने एक हलफनामा दायर किया जिसमें खुलासा किया गया कि 10 वर्षों में केंद्र के 1,176.38 करोड़ रुपये और राज्य के 13,420.97 करोड़ रुपये के फंड का इस्तेमाल ही नहीं किया गया।
हरियाणा के सरकारी स्कूल बुनियादी ढांचे की कमी से जूझ रहे हैं। बार-बार किए गए वादों, बजट आवंटन और कानूनी हलफनामों के बावजूद, जमीनी हकीकत शिक्षा को प्राथमिकता देने में लगातार विफलता का सबूत है।
खुले आसमान के नीचे
हरियाणा के चरमराते शिक्षा ढांचे की कड़वी सच्चाई को सरकार ने खुद स्वीकार किया है। 2023 के हलफनामे में, राज्य ने घोषित किया कि उसे बुनियादी ढांचे की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 1,784.03 करोड़ रुपए की ज़रूरत है, लेकिन 2023-24 वित्तीय वर्ष में उसके पास सिर्फ़ 424.22 करोड़ रुपए थे - जो ज़रूरी राशि का सिर्फ़ 23.8 फीसदी है।
राज्य के 2023-24 के आर्थिक सर्वेक्षण ने इस भयावह स्थिति को और भी स्पष्ट किया, जिसमें खुलासा हुआ कि हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद को भवन निर्माण के लिए केवल 19.90 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में राज्य सरकार के हलफनामे के अनुसार, हरियाणा के 63 फीसदी स्कूलों को कक्षाओं, अतिरिक्त कमरों और चारदीवारी के लिए धन की जरूरत थी। हलफनामे के एक साल से अधिक समय बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
कासंडी में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल, जो गांव का एकमात्र सीनियर सेकेंड्री स्कूल है, इस उपेक्षा का सबसे बड़ा सबूत है। स्कूल में एक बड़ा परिसर है जिसमें एक चौड़ा, हरा-भरा रास्ता है, लेकिन इसका प्रवेश द्वार टूटा हुआ है और गेट नहीं है, जिससे कोई भी व्यक्ति अंदर आ सकता है। अंदर, सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कक्षाएं नहीं हैं। जुलाई के चरम उमस भरे मौसम में छात्र शेड के नीचे बेंचों पर बैठते हैं, जबकि शिक्षक ब्लैकबोर्ड के बिना पढ़ाने के लिए संघर्ष करते नज़र आते हैं।
प्रिंसिपल राम चंद्र, जो 2020 में इस स्कूल में आए थे, बताते हैं कि, "हमारे पास अब केवल तीन कमरे हैं, जो शुरू में कंप्यूटर और विज्ञान प्रयोगशालाएं थीं, लेकिन हमें अपने कार्यालय और दस्तावेजों के लिए जगह की आवश्यकता है, इसलिए हमने इसे अपने कब्जे में ले लिया है।" चंद्र बताते हैं कि स्कूल में कक्षा 6वीं से 9वीं तक के लिए 18-19 कक्षाओं के साथ एक पूरी तरह कार्यात्मक परिसर था। हालांकि, 2021 में, राज्य सरकार ने उनके पुरानी बिल्डिंग होने के कारण इन कक्षाओं को ध्वस्त कर दिया था। तब से स्कूल नए क्लासरूम बनाने के लिए अनुदान का इंतज़ार कर रहा है।
उन्होंने इस रिपोर्टर को बताया कि, "हमें आखिरकार तीन महीने पहले 75 लाख रुपये का अनुदान मिला, लेकिन यह अभी टेंडरिंग चरण में अटका हुआ है। सिर्फ़ अनुदान मिलने में ही तीन साल लग गए, इसलिए हमें नहीं पता है कि अब इसमें कितना समय लगेगा।"
सोनीपत जिले के कासंडी स्थित एक सरकारी स्कूल में शेड के नीचे चलती कक्षाएं।
इस शेड के अलग-अलग कोनों में हर कक्षा की कक्षाएं संचालित होती हैं। शेड का निर्माण दो साल पहले किया गया था क्योंकि छात्रों के पास बैठने के लिए कोई छत नहीं थी। आज भी छठी कक्षा के बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ते हैं। चंद्र ने बताया कि ध्वस्तीकरण के बाद से उन्होंने शिक्षा मंत्रालय के एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्लस (यूडीआईएसई+) को अपडेट किया है, जो केंद्र सरकार के लिए सभी छात्रों और स्कूल रिकॉर्ड के लिए एक छात्र डेटाबेस प्रबंधन प्रणाली है। उन्होंने बताया है कि छात्रों की संख्या 127 है और कक्षाओं की संख्या शून्य है, फिर भी कार्रवाई में देरी हो रही है।
वे कहते हैं कि, "हमारे पास 160-165 छात्रों की संख्या हुआ करती थी, लेकिन अब यह संख्या कम हो गई है। हम छात्रों को स्कूल में रखने के लिए बहुत प्रयास करते हैं और शुक्र है कि हमें अपने शिक्षकों से बहुत सहयोग मिलता है।"
हरियाणा के कासंडी स्थित सरकारी स्कूल में पेड़ के नीचे कक्षा लेते बच्चे।
चंद्र का दावा है कि स्कूल की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए 75 लाख रुपये का अनुदान काफी नहीं है। "कल्पना कीजिए, 6वीं से 9वीं तक की कक्षाओं और 100 से ज़्यादा छात्रों के साथ, हमें न सिर्फ़ कक्षाओं के लिए बल्कि लाइब्रेरी, साइंस लैब, एक्टिविटी रूम आदि के लिए भी पर्याप्त कमरों की ज़रूरत है। अब तक जारी किए गए अनुदान से हम मुश्किल से कुछ बुनियादी कक्षाओं पर काम शुरू कर पा रहे हैं।"
बुनियादी जरूरतें: स्कूल बाथरूम की स्थिति
2023 में माध्यमिक शिक्षा निदेशक अंशज सिंह ने अदालत को आश्वासन दिया था कि 2023-24 वित्तीय वर्ष के भीतर प्राथमिकता के आधार पर स्कूल प्रबंधन समितियों के माध्यम से स्कूलों को 131 पेयजल सुविधाएं, 1,585 शौचालय (लड़कों और लड़कियों के लिए) और 236 बिजली कनेक्शन दिए जाएंगे। हालांकि, हरियाणा के सरकारी स्कूलों के शौचालयों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती नज़र आती है।
कासंडी के सरकारी स्कूल में लड़कियों का शौचालय।
कासंडी के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय ने लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालय का स्थान बनाया था, जिसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए एक शौचालय भी शामिल था। हालांकि, ये सुविधाएं काम नहीं कर रही थीं। लड़कियों के बाथरूम में आधे खुले शौचालय के डिब्बे थे, जिनमें अपशिष्ट पाइप, शौचालय कम्पार्टमेंट या अपशिष्ट आउटलेट नहीं थे। लड़कियों ने कहा कि वे पास में एक ही कार्यात्मक बाथरूम का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अक्सर पेशाब करने के लिए कम्पार्टमेंट में जाती हैं।
मैंने जिन स्कूलों का दौरा किया, उनमें यह एक आम समस्या थी। इसके अलावा, शौचालयों में नल या हाथ धोने के लिए पानी की कोई व्यवस्था नहीं थी। जब छात्रों से नल न होने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, "बाथरूम का इस्तेमाल करने के बाद, हम स्कूल के प्रवेश द्वार के पास जाते हैं, जहां हमारे हाथ धोने के लिए पीने के पानी के नल लगे हैं।"
सोनीपत जिले के चिटाना स्थित सरकारी स्कूल में लड़कियों का शौचालय।
सोनीपत जिले के चिताना में सरकारी स्कूल में स्थिति और भी भयावह थी। अपने बड़े, हरे-भरे परिसर के बावजूद, लड़कियों के बाथरूम का निर्माण कासंडी के शौचालय की तरह ही था, जिसमें छात्राएं शौचालय के बाउल के बजाय ईंटों का इस्तेमाल करती हैं। एक महिला शिक्षिका ने बताया, "हमारे पास केवल तीन शौचालय हैं जिनमें नल और शौचालय का बाउल है। इतनी सारी कक्षाओं और शिक्षकों के लिए, हम सभी को इन स्थानों का ही इस्तेमाल करना पड़ता है।"
चिटाना के सरकारी स्कूल में महिला शिक्षकों का शौचालय।
महिला शिक्षकों के बाथरूम के कुछ हिस्सों में कोई कम्पार्टमेंट नहीं था, सिर्फ़ ईंटों की बाद थी। इसके अलावा, न तो कासंडी और न ही चिताना के बाथरूम में छत थी।
हरियाणा के चिटाना स्थित सरकारी स्कूल में लड़कों का शौचालय।
चिताना स्कूल की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक थी, क्योंकि वहां लड़कों के लिए शौचालय के लिए बुनियादी संरचना भी नहीं थी। इसके बजाय, सिर्फ़ एक चारदीवारी वाला एक छोटा सा एरिया लड़कों के लिए शौचालय के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
ढहते क्लासरूम
चिताना के सरकारी स्कूल में हाल ही में एक भयावह घटना तब हुई, जब कक्षा के दौरान एक क्लासरूम की छत टूटकर दो छात्रों पर गिर गई। इससे छात्र घायल हुआ और इमारत के उस हिस्से को सील कर दिया गया, लेकिन अन्य कक्षाओं की स्थिति अभी भी खतरनाक बनी हुई है, जहां से रिसाव और क्षतिग्रस्त छतें दिखाई दे रही हैं। एक वरिष्ठ शिक्षक ने टिप्पणी की, "इस घटना को समाचारों में बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया, लेकिन असली मुद्दा धन की कमी है। हमें सरकार से सालाना मुश्किल से 25,000 रुपए मिलते हैं। हम उस राशि से किसी कक्षा की मरम्मत कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं?"
हरियाणा के चिटाना स्थित सरकारी स्कूल के क्लासरूम।
स्कूल की कक्षाओं में बहुत कम रोशनी है, हर एक कोने में एक बल्ब है। पंखे जैसी बुनियादी सुविधाएं जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। स्कूल पीने के पानी के लिए एक सबमर्सिबल पंप पर निर्भर है, लेकिन गांव में बार-बार बिजली कटौती के कारण पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। परिसर में दो हैंडपंप हैं, लेकिन शिक्षकों के अनुसार, वे सालों से खराब पड़े हैं और उनकी मरम्मत नहीं की गई है। “कभी-कभी जब बिजली पूरे दिन के लिए जाती है, तो हमें छात्रों को पास की झील से पानी लाने के लिए भेजना पड़ता है। वे बाल्टी लेकर पानी लाने में हमारी मदद करते हैं, ताकि स्कूल में कुछ पानी हो। हम और क्या कर सकते हैं?”
हरियाणा के चिटाना में सरकारी स्कूल का क्लासरूम
स्कूल की चारदीवारी, जिस पर सरकारी नारे और व्यंग्य चित्र अंकित हैं, कई स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई है।
चिटाना में सरकारी स्कूल की चारदीवारी।
स्थानीय निवासी सतबीर ने बताया कि, "हर बार बारिश होने पर स्कूल के बाहर सड़क पर घुटनों तक पानी भर जाता है, जो फिर स्कूल के अंदर घुस जाता है, जिससे छात्रों का स्कूल तक पहुंचना या अंदर आना-जाना मुश्किल हो जाता है।"
हरियाणा के पिपली स्थित सरकारी स्कूल के खेल के मैदान में भरा पानी।
31 जुलाई, 2024 को भारी बारिश वाले एक दिन बाद, पिपली में पास के सीनियर सेकेंड्री सरकारी स्कूल में भी भयंकर बाढ़ आ गई। शिक्षकों ने बताया कि यह एक लगातार होने वाली समस्या है इसे ठीक करने के उनके प्रयासों के बावजूद, बुनियादी ढांचा भारी बारिश का सामना करने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं था।
मॉडल संस्कृति स्कूल
हरियाणा के दौरे के दौरान इस संवाददाता को कुछ सरकारी स्कूल मिले, जिनमें बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का रखरखाव किया गया था। उदाहरण के लिए, सोनीपत जिले के खरखौदा में लड़कियों के लिए सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में दो संलग्न परिसर थे - एक प्राथमिक विद्यालय और एक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय। हालांकि चिताना और कासंडी के परिसरों जितना विशाल नहीं था, लेकिन इसमें स्मार्ट बोर्ड से सुसज्जित अच्छी तरह से बनाए गए कक्षा-कक्ष थे।
हरियाणा सरकार ने खरखौदा के प्राथमिक विद्यालय को ‘मॉडल संस्कृति स्कूल’ का दर्जा दिया था, जिसके लिए उसे अतिरिक्त अनुदान भी दिया गया था। अगस्त 2020 में राज्य सरकार ने 104 सरकारी स्कूलों को मॉडल संस्कृति स्कूल के रूप में विकसित करने की योजना की घोषणा की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वादा किया था कि इन स्कूलों में प्रशिक्षित स्टाफ और बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए आवश्यक सुविधाएं होंगी।
इस पहल के बावजूद, प्राथमिक विद्यालय के कई कक्षाओं में छात्रों के लिए टेबल और कुर्सियां नहीं थीं। सूत्रों के अनुसार, स्कूल ने अतिरिक्त टेबल और कक्षाओं की मांग की थी, लेकिन ये मांगें अभी भी लंबित पड़ी हैं।
19 जुलाई, 2024 को हरियाणा माध्यमिक शिक्षा निदेशक, जितेन्द्र कुमार ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को एक अतिरिक्त हलफनामे में बताया कि बुनियादी ढांचे का काम अंतिम चरण में है। 8,240 अतिरिक्त क्लासरूम की आवश्यकता के मुकाबले, 751 का निर्माण हो चुका है, 1,082 का निर्माण प्रगति पर है, तथा 1,917 का निर्माण निविदा प्रक्रिया में है।
राज्य सरकार के 2023 के हलफनामे में 14,191 स्कूलों की बुनियादी ढांचे की जरूरतों को देखते हुए, सरकार के प्रयास बेहद कम हैं। 8,000 से अधिक अतिरिक्त कक्षाओं की आवश्यकता के साथ, केवल लगभग 4,000 कक्षाओं का निर्माण एक स्पष्ट अंतर और संकट को संबोधित करने में तत्परता की कमी को दर्शाता है।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा कई हलफनामों, बयानों और जुर्माने के माध्यम से करीब आठ साल की जांच के बावजूद हरियाणा सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भागती रही है। छात्रों को इस लापरवाही की कीमत अपने भविष्य के साथ कब तक चुकानी पड़ेगी?
शुभांगी डेरहगवेन, दिल्ली स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं।
अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
Haryana: 8 Years of Neglect, Several Schools Without Roofs, Toilets
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।