कार्टून क्लिक : आदमी को हमने नंबर बना दिया!

यह हमारी सांप्रदायिक राजनीति की ही देन है, जिसमें एक व्यक्ति, एक नागरिक केवल एक संख्या में बदल जाता है। कभी वोट के लिए और कभी 'चोट' के लिए। ताज़ा उदाहरण दिल्ली है। जहां सबकुछ सामान्य होने का दावा किया जा रहा है लेकिन मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। हो सकता है जब तक आप इस कार्टून को देखें, पढ़ें तब तक ये आंकड़ा इससे भी ज़्यादा हो चुका है, लेकिन इससे आपको और हमें तो शायद फर्क पड़ेगा लेकिन सांप्रदायिक राजनीति करने वाले नेताओं को यह गदगद ही करेगा, क्योंकि उनकी समझ में क्रिकेट की तर्ज पर ये 'स्कोर बोर्ड' उनके लिए बढ़ते वोटों की निशानी होगा। जानकारों का कहना है कि दिल्ली चुनाव के बाद अब 'उनकी' नज़र बिहार और बंगाल के चुनाव पर हैं।
कवि और संस्कृतिकर्मी गोरख पांडेय ने बहुत पहले ही इस सच को उजागर कर दिया था-
"इस बार दंगा बहुत बड़ा था
खूब हुई थी
ख़ून की बारिश
अगले साल अच्छी होगी
फसल
मतदान की
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