माकपा सांसद ने कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन व अन्य सुविधाओं की मांग सदन में उठाई
राज्यसभा में बृहस्पतिवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य ने कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगारों के लिए पेंशन तथा अन्य सुविधाओं की मांग करते हुए कहा कि खेती में इन कामगारों का योगदान किसानों से कम नहीं होता है और इनके कल्याण के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए।
शून्यकाल में माकपा सदस्य डॉ वी शिवदासन ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा ‘‘किसानों की हालत सर्वविदित है। वे कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगारों की हालत भी अच्छी नहीं है। इन्हें न तो समुचित मजदूरी मिल पाती है और न ही अन्य सुविधाएं। खेती का मौसम न होने पर इनके पास कोई काम नहीं होता और ये आजीविका के संकट का सामना करते हैं।’’
शिवदासन ने कहा ‘‘कृषि के क्षेत्र में इन कामगारों का योगदान किसानों से कम नहीं होता लेकिन अक्सर ये अनदेखे रह जाते हैं। इनके कल्याण के लिए कोई योजना नहीं है। इनके और इनके परिवार के लिए स्वास्थ्य सुविधा तथा शिक्षा सहित अन्य बुनियादी सुविधाओं की सुध कौन लेगा?’’
उन्होंने कहा कि कृषि कामगारों के लिए केरल में पेंशन की व्यवस्था है लेकिन अन्य राज्यों में ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘कृषि कामगारों के लिए पेंशन की व्यवस्था की जाए और अन्य कल्याणकारी योजनाएं चलाई जाएं ताकि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा तथा अन्य सुविधाएं मिल सकें। कृषि कामगारों के लिए हर जिले में विशेष स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था हो।’’
शिवदासन ने कहा कि मनरेगा की हालत भी ऐसी नहीं है कि यह कृषि कामगारों को समुचित राहत दे सके। उन्होंने मांग की कि मनरेगा के लिए आवंटन बढ़ाया जाए और राज्यों को भी कृषि कामगारों की मदद के लिए कल्याणकारी योजनाएं चलाने के वास्ते समुचित धन राशि दी जाए।
शून्यकाल में ही भाकपा सदस्य बिनय विश्वम ने मनरेगा से जुड़ा मुद्दा उठाते हुए कहा कि यह बहुत ही अच्छी योजना है लेकिन सरकार इसे धीरे धीरे खत्म करती जा रही है।
उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए बजट में केवल 60 हजार करोड़ रुपये ही आवंटित किए गए हैं जो कि इसकी उपयोगिता को देखते हुए बहुत कम हैं।
उन्होंने कहा कि लंबे समय से मनरेगा के कार्य दिवस बढ़ा कर 200 दिन करने की मांग, मजदूरी 217 रूपये से बढ़ाने की मांग की जा रही है जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
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