बिहार: नयी सरकार का ‘उपहार’, ग़रीबों पर बुलडोज़र की मार!
“हमनी न सोचले रही कि दस हज़ार रुपईया लेबई तो हमरे घर पर बुलडोज़र चलतई, बड़ा धोखा खईली ई मोदी-नीतिस के भोट देके।”
(हमने नहीं सोचा था कि दस हज़ार रुपये लेने पर हमारे घर पर बुलडोज़र चल जाएगा, बड़ा धोखा खाया हमने मोदी-नीतीश को वोट देकर।)
रो-रो कर विलाप करती गरीब महिलाओं के ऐसे अनेक वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहे हैं।
इन दिनों पूरे बिहार में जगह जगह महिलाओं के ऐसे विलाप, उन सभी स्थलों पर साक्षात् देखा जा सकता है, जहां जहां पुलिस की लाठी-बंदूकों के बीच प्रशासन का बुलडोज़र गरीबों के झोंपड़ों को ढाह रहा है।
घर नहीं तोड़ने के लिए अफसरों के आगे ‘रो-कलपकर’ घर नहीं तोड़ने की फ़रियाद करतीं तो कहीं पुरुष पुलिसवालों की लाठियों की मार झेलतीं असहाय गरीब महिलायें।

पुलिस-प्रशासन का भी इनके प्रति ऐसा तिरस्कार और संवेदनहीन रवैया, मानो किसी दुश्मन देश के लोग हों। जिन्हें इस ठंड मौसम में घर तोड़कर उन्हें बाल-बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर बनाया जा रहा है।
कुल मिलाकर कहा जाय तो “संविधान की शपथ” लेकर सत्तासीन हुई बिहार की नयी सरकार का पहला उपहार, पूरे प्रदेश में “युद्ध शैली” से गरीबों की झोंपड़ियों और फुटपाथी दुकानदारों पर बुलडोज़र की मार।
वाकई ये भयावह विडंबना जैसा है कि महज चन्द दिनों पहले ही राज्य के गरीबों से वोट लेने के लिए- “रफ़्तार पकड़ चुका है बिहार” का नारा देकर गरीबों को दस हज़ार रुपए देकर विकास का वादा किया गया था। लेकिन आलम यह है कि जिस समय प्रदेश की नयी विधानसभा के रुपहले मंच पर नए जनप्रतिनिधियों का शपथग्रहण समारोह किया जा रहा होता है ठीक उसी समय में पूरे प्रदेश के गरीबों के घर-दुकान-ठेलों पर हर जगह बुलडोजर चल रहा होता है।
इधर सदन में जिस जनता के वोटों से विजयी बने “माननीय” लोग हंसी-ठहाकों के साथ बधाईयाँ लेने-देने के शोरो-गुल में मस्त हैं, उधर, ऐन उसी समय में “माननीयों” को वोट देकर जिताने वाली गरीब जनता की चीखें,विलाप और आर्तनाद गूँज रहे होते हैं। लेकिन कोई भी “माननीय” पल भर में बेघर बार बना दिए लोगों से उनका हाल-समाचार देखने-पूछने नहीं जाता है। ऐसा नज़ारा “प्रचंड बहुमत” देनेवाली जनता पहली बार देख रही है।
भाकपा माले ने नयी विधानसभा के शुरू होने वाले दिन 3 दिसंबर को पूरे राज्य में गरीबों पर बुलडोज़र चलाये जाने के विरोध में ‘राज्यव्यापी प्रतिवाद’ प्रदर्शित करते हुए, “बुलडोज़र राज नहीं चलेगा!” का ऐलान किया।

विपक्ष के अनुसार ये सारा तांडव राज्य के नए गृहमंत्री के मंत्रालय के आदेश से पूरे प्रदेश के गरीबों पर मचाया जा रहा है। जिन्होंने गृहमंत्री बनने से पहले चुनाव में ये ऐलान किया था- “हमारी सरकार बनते ही, अपराधियों के सीने पर बुलडोज़र चलेगा।” लेकिन अपराधियों पर तो कहीं कुछ होता नज़र नहीं आ रहा, अलबत्ता गरीबों के घरों पर बुलडोज़र चलने का भयावह नज़ारा हर ओर दीख रहा है।
सभी जगहों पर हथियारबंद पुलिस जवानों के घेरे में खड़े प्रशासन के आला अधिकारी किसी की कोई फरियाद नहीं सुन रहे हैं और धमका रहे हैं कि- “ये सब हाई कोर्ट का आदेश से हो रहा है, तुमलोग जितनी ज़ल्दी हो खाली करके हट जाओ तो अच्छा रहेगा।”
गरीबों की झोंपड़ियों और फुटपाथ दुकानदारों पर बुलडोज़र चलाते हुए दिए जा रहे तर्कों का ही दुहराव करते हुए विधान सभा में सरकार के मंत्री दो-टूक अंदाज़ में यही कहकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं कि- “कानून का राज” चल रहा है, इसलिए कोर्ट के आदेश को लागू किया जा रह है।
उधर नवनियुक्त राज्य के गृहमंत्री जनता द्वारा “बुलडोज़र बाबा” नाम दिए को खारिज करते हुए कह रहे हैं- परेशानी उनको हो रही है जो अवैध ढंग से सरकारी ज़मीनों पर कब्जा किये हुए हैं किसी को नहीं छोड़ा जाएगा।”
हर जगह लोग भौंचक्का हैं, क्योंकि सबने यही आस लगा रखी थी कि- अब सरकार बन गयी है तो विकास के सारे वादे पूरे होंगे। अचानक से पुलिस की लाठी-बंदूक के पहरे में बुलडोज़र द्वारा बरसों-बरस से बसे गरीबों के घर ढाहे जाने का अंदाज़ा किसी को नहीं था।

राज्य के गरीबों पर चल रहे बुलडोज़र के खिलाफ 3 दिसंबर को हुए राज्यव्यापी विरोध अभियान के तहत पूरे प्रदेश में भाकपा माले के आह्वान पर व्यापक प्रतिवाद हुआ। हर जगह “बुलडोज़र राज नहीं चलेगा, बुलडोज़र नहीं पर्चा दो- रोज़ी रोटी की सुरक्षा दो” के नारों के साथ जिला अधिकारी के समक्ष विरोध प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया गया।
राजधानी पटना स्थित ‘विरोध प्रदर्शन स्थल’, गर्दनीबाग में प्रतिवाद-धरना को संबोधित करते हुए माले विधायक दल नेता अरुण सिंह ने भाजपा-जदयू सरकार पर राज्य के गरीबों-महिलाओं से विश्वासघात करने का आरोप लगाया। कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान महागठबंधन और माले ने सबको बार बार चेताया था कि- बिहार में यूपीवाला बुलडोज़र-राज नहीं आने देना है। आज वह पूरी तरह से सच साबित हो रहा है। चुनाव आयोग और SIR का इस्तेमाल जनादेश हथियाने वाली इस सरकार ने आते ही फिर से दिखला रही है कि वह गरीब-विरोधी और “अमीरों की सरकार” है। शहरों में अमीरों के फायदे के लिए छोटे व फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़कर “मॉल कल्चर” थोपने पर आमादा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए माले विधायक संदीप सौरभ ने नयी सरकार के जनविरोधी रवैये का तीखा विरोध करते हुए कहा कि- वादा किया था कि सरकार में आयेंगे तो गरीबों को दो लाख रुपये देंगे। जिसे पूरा करने की बजाय अब वह गरीबों की पीठ में खंज़र घोंपकर उन्हें उजाड़ रही है। यह गरीबों के साथ क्रूर मज़ाक कर रही है। वोट के लिए दस हज़ार के झांसे कि शिकार महिलाएं आज हर जगह कह रहीं हैं- पहले मालूम रहता कि “मोदी-नीतीश” दस हज़ार देकर हमारा घर ही उजाड़ देंगे तो झाड़ू से बुहार देते!”
बहरहाल, ताज़ा हालात यही हैं कि नयी सरकार द्वारा आनन-फानन में पूरे राज्य में बुलडोज़र चलाकर गरीबों और फुटपाथ दुकानदारों को उजाड़े जाने का मुद्दा काफी तेज़ी से तूल पकड़ता जा रहा है। जगह जगह लोग सड़कों पर तीखा विरोध कर रहे हैं।
भाकपा माले समेत महागठबंधन ने “बुलडोज़र राज नहीं चलेगा” का ऐलान करते हुए भाजपा-जदयू की डबल इंजन सरकार को आगाह किया है कि वह अपने पूर्व के फैसले कि- बिना वैकल्पिक व्यवस्था किये और पुनर्वास के वह गरीबों को नहीं उजाड़ेगी, पर मजबूती से अमल करे। अन्यथा पूरे राज्य में गरीबों का एक बड़ा आन्दोलन खड़ा कर इस सरकार के बुलडोज़र को रोकने का जनदबाव पैदा किया जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार, संस्कृतिकर्मी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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