ख़बरों के आगे–पीछे: बसपा को फिर खड़ा करने की तैयारी

भाजपा अब मथुरा का मुद्दा गरमाएगी
लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में आधे-अधूरे राममंदिर का धूमधड़ाके से उद्घाटन हुआ था लेकिन भाजपा को चुनाव में उसका कोई फायदा नहीं हुआ। इसके बावजूद वह मंदिरों का मुद्दा छोड़ने को राजी नहीं है। ऐसा लग रहा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मथुरा का मुद्दा जोर पकड़ेगा। कई स्तर पर इसकी तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। शुरुआत शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के लिए अदालत में की गई अपील से हुई थी। लेकिन अब बात उसके आगे बढ़ गई है। ऐसा लग रहा है कि यह मुद्दा जमीनी स्तर पर जोर पकड़ने लगा है। भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों किसी न किसी तरीके से इसका संकेत दे रहे हैं। पिछले दिनों बागेश्वर धाम के विवादित धीरेंद्र शास्त्री ने मथुरा में जाकर कई बातें कही। उसने कहा कि भगवान राम विराजमान हो गए हैं और अब कृष्ण कन्हैया भी विराजेंगे। उसने मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद की ओर इशारा किया। इसके बाद उसने कहा कि धर्मस्थलों पर राष्ट्रीय गीत जैसे वंदेमातरम आदि बजना चाहिए इससे पता चलेगा कि राष्ट्र के प्रति किसके मन में कितनी श्रद्धा है। उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जम कर तारीफ भी की। उसकी इन बातों राजनीतिक अर्थ इसलिए निकाला जाएगा क्योंकि भाजपा ने उसके इंटरव्यू का वीडियो अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया है। धीरेंद्र शास्त्री सात नवंबर से 16 नवंबर तक दिल्ली से मथुरा-वृंदावन तक की पद यात्रा पर निकलेगा। उसके साथ कई साधु संत भी यात्रा में शामिल होंगे। यात्रा का मकसद मथुरा के मुद्दे का प्रचार करना है। इस यात्रा से जो माहौल बनेगा उसका असर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दिखेगा।
जांबाज़ सैनिकों की पहचान उजागर होना ख़तरनाक
भारतीय सेना के जवानों ने पिछले दिनों 28 जुलाई को ऑपरेशन महादेव को अंजाम दिया और महादेव पहाड़ियों पर तीन खूंखार आतंकवादियों को मार गिराया। सरकार ने बताया कि ये तीनों आतंकवादी पाकिस्तानी थे। इससे पहले भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। उसमें भी एक सौ से ज्यादा आतंकवादी मारे जाने का दावा किया गया था। भारत सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव में शामिल भारत के जांबाज सैनिकों को पिछले दिनों सम्मानित किया है। सभी टेलीविजन चैनलों पर इस सम्मान समारोह का प्रसारण हुआ और अखबारों में तस्वीरें छपीं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सैनिकों को सम्मानित किया। यह अजीब-ओ-गरीब काम सिर्फ भारत में ही हो सकता है। दुनिया के दूसरे सभी देशों में इस तरह के सैन्य ऑपरेशन होते हैं तो सैनिकों की पहचान गोपनीय रखी जाती है। ओसामा बिन लादेन को मारने के अभियान में शामिल अमेरिकी नेवी के सैनिकों की पहचान एक दशक से ज्यादा समय़ तक गोपनीय रखी गई। ऑपरेशन के दौरान सभी सैनिकों ने मास्क पहना हुआ था। इजराइल की खुफिया एजेंसी जो कार्रवाई करती है, उसमें भी सबकी पहचान गोपनीय रहती है। लेकिन भारत में खूंखार आतंकवादियों को मारने वालों की पहचान सार्वजनिक कर दी जाती है। अपने राजनीतिक फायदे के लिए उनको सम्मानित करने का लोभ भारत के नेता रोक नहीं पाते हैं। अगर सम्मानित ही करना है तो वह काम बंद कमरे में होना चाहिए। इस तरह पहचान सार्वजनिक करने से ऐसे बड़े ऑपरेशन में शामिल सैनिकों और उनके परिजनों की जान खतरे में पड़ती है।
अमरिंदर सिंह पर ईडी की तलवार
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिह काफी समय से बीमार हैं और परिवार के सारे सदस्य चुनाव हार कर पस्त पड़े हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि उनका परिवार कांग्रेस में वापसी करना चाहता है। कांग्रेस छोड़ने से उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने पहले अपनी पार्टी बनाई और बाद में उसका विलय भाजपा में कर दिया। लेकिन न उनकी पार्टी सफल हुई और न भाजपा के साथ जाने पर कुछ हासिल हुआ। उनके साथ-साथ कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए सुनील जाखड़ प्रदेश अध्यक्ष तो बने लेकिन लॉटरी खुली कांग्रेस छोड़ने वाले दूसरे नेता रवनीत सिंह बिट्टू की। वे लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी मंत्री बनाए गए और राज्यसभा में भेजे गए। बहरहाल, कांग्रेस में वापस लौटने की चर्चाओं के बीच अमरिंदर सिंह को बडा झटका लगा है।
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले हफ्ते उनकी एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने आयकर विभाग की फाइलें ईडी को नहीं देने की अपील की थी। ये फाइलें विदेश में संपत्ति से जुड़ी हैं, जो फ्रांस की सरकार ने आयकर विभाग को दी हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि ईडी उन फाइलों की जांच कर सकती है। इसका मतलब है कि कैप्टन अमरिंदर और उनके बेटे रणइंदर सिंह की विदेश में स्थित संपत्तियों से जुड़ी फाइल ईडी देख सकेगी और उसकी जांच कर सकेगी। बताया जा रहा है कि इन फाइलों में दुबई और स्विट्जरलैंड में निवेश की जानकारी है।
कांग्रेस कार्यालय अटैच करेगी ईडी
आजाद भारत के इतिहास में संभवत: पहली बार होगा कि किसी पार्टी का कार्यालय कोई केंद्रीय एजेंसी अटैच कर लेगी। हालांकि पार्टियों को आरोपी बनाने की शुरुआत हो गई है। आम आदमी पार्टी को आरोपी बनाया जा चुका है और केरल में सीपीएम को भी आरोपी बनाया जा चुका है। लेकिन पार्टी कार्यालय अटैच करने का नोटिस मिला है देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को उसका सुकमा जिला कार्यालय अटैच करने का नोटिस मिला है। ईडी की ओर से नोटिस के साथ-साथ कई दस्तावेज पार्टी कार्यालय में जाकर दिए गए हैं। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 3200 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले की जांच ईडी कर रही है। इस जांच में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनके प्रशासन के अनेक अधिकारियों और नेताओं के नाम हैं। इसी सिलसिले में ईडी ने सुकमा कार्यालय अटैच करने की अपील पीएमएलए ट्रिब्यूनल में की थी।
पीएमएलए ट्रिब्यूनल के सामने कांग्रेस की ओर से कहा गया कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके बाद ट्रिब्यूनल ने कांग्रेस को जानकारी देने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों ने सुकमा में कांग्रेस कार्यालय में जाकर नोटिस और दूसरे कागजात दिए। अब तक आरोपियों की संपत्ति अटैच होते सुना गया था। पहली बार ऐसा हो रहा है कि एक राष्ट्रीय पार्टी का कार्यालय अटैच होगा।
बसपा को फिर खड़ा करने की तैयारी
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती फिर से पार्टी को अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश कर रही हैं। लगातार दो चुनाव यानी 2022 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव में पूरी तरह से फ़ेल होने के बाद पार्टी पस्त पड़ी है। पिछले चुनाव में तो बसपा सिर्फ नौ फीसदी वोट की पार्टी बन कर रह गई। यह कहा जाने लगा कि बसपा का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। ऊपर से चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी बना कर बसपा के वोट आधार और कांशीराम की विरासत पर दावा कर दिया। वे अपनी पार्टी की टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी जीत गए, जबकि बसपा एक भी सीट नहीं जीत सकी।
अब मायावती ने पार्टी को एकजुट करना शुरू किया है। पार्टी की ताकत का लंबे अरसे बाद नौ अक्टूबर को प्रदर्शन होने जा रहा है। नौ अक्टूबर को कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ में बसपा की ओर से बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को फिर से पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बना दिया है। आकाश के ससुर और पूर्व राज्यसभा सांसद सिद्धार्थ अशोक की भी पार्टी में वापसी हो गई है। मायावती बिहार चुनाव में भी पूरी ताकत से उतरने की घोषणा की है। हालांकि बिहार की तैयारी के बारे में कहा जा रहा है कि वहां भी वे भाजपा का काम करेंगी क्योंकि भाजपा को लग रहा है कि वहां दलित का जो वोट राष्ट्रीय जनता दल की ओर जा रहा है, उसे बसपा तोड़ सकती है। ख़ैर ऐसी बातें हर बार होती हैं, लेकिन फ़िलहाल यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बसपा दोबारा अपने पैरों पर खड़ा हो पाती है या नहीं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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