डेढ़ फ़ीट ऊंचे नल से फांसी लगाई 21 साल के मुस्लिम युवक ने : उत्तर प्रदेश पुलिस का दावा

9 नवंबर की शाम को उत्तर प्रदेश के कासगंज में 21 साल के मुस्लिम युवक अल्ताफ़ की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावा किया कि अल्ताफ़ ने हवालात के शौचालय के नल से लटक कर फांसी लगा ली है। इसे ठीक से समझिये, उत्तर प्रदेश पुलिस ने बयान दिया है कि 21 साल के 5 फ़ीट के ऊपर के कद वाले अल्ताफ़ ने अपनी जैकेट के फीते से एक-डेढ़ फ़ीट ऊपर लगे प्लास्टिक के नल पर लटक कर जान दे दी।
अपनी कार्रवाइयों से लगातार विवाद में रहने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस की इस मामले पर भी काफ़ी आलोचना हुई है और इंस्पेक्टर सहित 5 पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया। विपक्षी दलों, मानवाधिकार संगठनों और आम लोगों ने पुलिस पर सवाल करते हुए कहा कि क्या अल्ताफ़ 2 फ़ीट का था जो उसने नल से फांसी लगा ली?
कासगंज एसपी बोत्रे रोहन ने बताया कि, किशोरी को बहला-फुसलाकर ले जाने के मामले में नामजद अल्ताफ को गिरफ्तार किया गया था। अल्ताफ ने शौचालय में अपनी जैकेट के हुड की डोरी से टंकी के पाइप पर लटक कर फांसी लगा ली. उसको सीएससी ले जाया गया, जहां मृत घोषित कर दिया गया। मामले पर पुलिस इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह इंदौरिया, दरोगा चंद्रेश गौतम, विकास कुमार, हेड मुहर्रिर घनेंद्र और सिपाही सौरव सोलंकी को निलंबित कर दिया गया है।
वहीं अल्ताफ़ के पिता चाँद मियां ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि 8 नवम्बर की शाम को पुलिस ने आ कर कहा कि अल्ताफ़ पर एक नाबालिग लड़की को भगाने का आरोप है, जिसके बाद चाँद मियां ने ख़ुद अपने बेटे को पुलिस के हवाले किया मगर 24 घंटे बाद उन्हें सिर्फ़ अपने बेटे की मौत की ख़बर मिली।
अल्ताफ़ के पिता ने दावा किया है कि 1 दिन पहले लड़की के भाई ने अल्ताफ़ को जान से मारने की धमकी दी थी। चाँद मियां का सीधा-सीधा आरोप है कि लड़की के परिवार ने पुलिस के साथ मिल कर उनके बेटे अल्ताफ़ की हत्या की है।
हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने अल्ताफ़ की लाश की ऑटोप्सी भी करवा ली और उसको सुपुर्द ए ख़ाक भी कर दिया है। इसके साथ ही एक पत्र जारी कर दिया है जिसपर चाँद मियां के अंगूठे का निशान है और उस पर लिखा है कि उनके बेटे ने अवसाद में आ कर ख़ुदकुशी की है और उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है।
चाँद मियां ने बताया है कि पुलिस ने उनसे कोरे काग़ज़ पर अंगूठे के निशान लगवाए थे। कासगंज में अल्ताफ़ अहमद की हिरासत में मौत का मामले अब सियासी तूल पकड़ रहा है।
कांग्रेस यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने पुलिस हिरासत में युवक की मौत पर योगी सरकार पर हमला बोला। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा कि, “कासगंज में अल्ताफ, आगरा में अरुण वाल्मीकि, सुल्तानपुर में राजेश कोरी की पुलिस कस्टडी में मौत जैसी घटनाओं से साफ है कि रक्षक भक्षक बन चुके हैं। उप्र पुलिस हिरासत में मौत के मामले में देश में सबसे ऊपर है। बीजेपी राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।" वहीं पहले कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी आज उत्तर प्रदेश के कासगंज का दौरा कर सकती हैं। हालाँकि इस बीच मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ प्रियंका गांधी का उत्तर प्रदेश के कासगंज का दौरा रद्द हो गया है। अब प्रियंका की जगह सलमान खुर्शीद पीड़ित परिवार से मिलेंगे।
कासगंज में अल्ताफ, आगरा में अरुण वाल्मीकि, सुल्तानपुर में राजेश कोरी की पुलिस कस्टडी में मौत जैसी घटनाओं से साफ है कि रक्षक भक्षक बन चुके हैं।
उप्र पुलिस हिरासत में मौत के मामले में देश में सबसे ऊपर है। भाजपा राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 10, 2021
राहुल गांधी ने भी ट्वीटर के जरिए योगी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, “क्या उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ बची है।"
क्या उत्तर प्रदेश में मानवाधिकार नाम की कोई चीज़ बची है?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 10, 2021
वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर यूपी सरकार पर हमला किया।
अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा, “कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है। लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है। इस मामले में इंसाफ़ व भाजपा के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जाँच होनी ही चाहिए।”
कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है। लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ़ दिखावटी कार्रवाई है।
इस मामले में इंसाफ़ व भाजपा के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जाँच होनी ही चाहिए। #भाजपा_ख़त्म pic.twitter.com/sI2FT05Bv9
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 10, 2021
वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा नेताओं का एक प्रतिनिधि मंडल कासगंज आएगा।
ओवैसी ने मांग कि है कि आरोपी पुलिसकर्मियों की तुरंत गिरफ्तारी होनी चाहिए और अल्ताफ के परिवार को मुआवजा मिलना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये यूपी में पुलिस अत्याचार की महामारी है।
#WeDemandJusticeForAltaaf. Cops should be arrested immediately & Altaf’s family must be compensated. There is an epidemic of police atrocities in UP https://t.co/RJWBOh79Ii
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) November 10, 2021
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश की कार्रवाई पर ऐसे सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले गैंगस्टर विकास दुबे का कथित एनकाउंटर, व्यापारी मनीष गुप्ता की कथित तौर पर फिसलने से हुई मौत पर भी पुलिस सवालों के घेरे में रही है। इसके अलावा हाथरस में बच्ची के साथ हुए बलात्कार पर तो पुलिस अधीक्षक ने यह तक कह दिया था कि बलात्कार हुआ ही नहीं था, और आनन फ़ानन में दाह संस्कार भी करवा लिया गया था।
यह इत्तेफ़ाक़ भर नहीं है कि ऐसे मामले से विसारनाई और जय भीम जैसी दक्षिण भारतीय फ़िल्में याद आती हैं। जिसमें पुलिस हिंसा की शर्मनाक मगर दर्दनाक तस्वीर दिखाई गई है। दिखाया गया है कि कैसे पुलिस अल्पसंख्यकों को झूठा जुर्म कुबूलने पर मजबूर करती है। और अगर वह क़ुबूल न करें तो उन्हें ख़ुदकुशी से मार दिया जाता है।
दिलचस्प बात यह है कि आगरा के जगदीशपुरा थाने में 20 अक्टूबर को पुलिस हिरासत में अरुण नामक युवक की मौत हो गई थी, जिसे 17 अक्टूबर को माल खाने में से 25 लाख रुपए चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। और अब इस मामले की जांच कासगंज पुलिस को सौंपी गई थी। अब देखना है कि अल्ताफ़ की मौत की जांच कौन से ज़िले की पुलिस को सौंपी जाएगी?
(अन्य जानकारी मिलने पर ख़बर को अपडेट किया जाएगा)
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