भारत के लगभग आधे शहर वायु प्रदूषण की चपेट में, दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित कैपिटल सिटी: रिपोर्ट

"आने वाले वर्षों में 'सभी के लिए स्वच्छ हवा' को एक आंदोलन बनाएगी सरकार"
ये बात बीते साल दिसंबर में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के दौरन पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहीं थी। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा NCAP के तहत 2019-20 से 2020-21 के दौरान गैर-लाभ वाले शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्य शुरू करने के लिए 375.44 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 82 शहरों को 290 करोड़ रुपये तो वहीं 2021-2026 के लिए 700 करोड़ रुपये के आवंटन की बात कही थी। हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि हम हर रोज़ जहरीली हवा में सांस लेकर कई बीमारियों के साथ-साथ अपनी मौत को भी दावत दे रहे हैं।
डब्लूएचओ की हालिया जारी रिपोर्ट प्रदूषण रोकथाम के मामले में सरकार और निगमों के वादों और इरादों की पोल खोलने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण इंडेक्स में भारत की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली लगातार दूसरे साल दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी रही है। तो वहीं इस रिपोर्ट में सबसे खराब गुणवत्ता वाले 50 शहरों में से 35 शहर भारत के हैं।
बता देंं कि हाल ही में जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक 2021 के दौरान देश के 48 फीसदी शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा निर्धारित मानकों से करीब 10 फीसदी ज्यादा था। इस दौरान देश में पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर 2.5 का वार्षिक औसत स्तर 58.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था। जिसकी वजह से वायु गुणवत्ता में पिछले तीन वर्षों में जो सुधार दर्ज किए गे थे, उसका भी अंत हो गया और पीएम 2.5 का वार्षिक औसत दोबारा 2019 के स्तर पर पहुंच गया था।
क्या है रिपोर्ट में?
मंगलवार, 22 मार्च को संगठन आईक्यू एयर द्वारा जारी 2021 वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 117 देशों के 6,475 शहरों से लिए पीएम2.5 के वायु गुणवत्ता सम्बन्धी आंकड़ों पर आधारित है। देखा जाए तो 2021 में भारत का ऐसा कोई भी शहर नहीं था, जो डब्लूएचओ की गाइडलाइन को पूरा करता हो। मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 11 भारत में ही हैं, जिनमें दिल्ली भी एक है। 2021 में दिल्ली के पीएम2.5 के स्तर में पिछले वर्ष की तुलना में 14.6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। 2020 के दौरान दिल्ली में पीएम2.5 का वार्षिक औसत स्तर 84 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया था, जो 2021 में बढ़कर 96.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर पहुंच गया था।
ध्यान रहे कि वायु प्रदूषण के बढ़ते असर को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सितम्बर 2021 में पीएम2.5 के वार्षिक मानक को 10 से घटाकर 5 माइक्रोग्राम प्रति वर्ग मीटर कर दिया था, जिससे प्रदूषण के बढ़ते असर को सीमित किया जा सके।
राजधानी के आसपास के इलाके सबसे ज्यादा प्रदूषित
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली का वायु प्रदूषण विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। हालांकि, दुनिया का सबसे प्रदूषित स्थान राजस्थान का भिवाड़ी है। इसके बाद दिल्ली की पूर्वी सीमा पर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद है। इसके अलावा बाकी के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर भी राष्ट्रीय राजधानी के आसपास ही हैं। पिछले साल नवंबर में, पहली बार वायु प्रदूषण के गंभीर स्तर के कारण दिल्ली के आसपास के कई बड़े बिजली संयंत्रों के साथ-साथ कई उद्योगों को बंद कर दिया गया था।
भारत में वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र, औद्योगिक अपशिष्ट, खाना पकाने के लिए बायोमास दहन और निर्माण क्षेत्र शामिल हैं। जो हृदय और फेफड़ों की बीमारियों के साथ ही कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों का कारण भी है। वायु प्रदूषण हर मिनट में लगभग तीन मौतों का कारण है। जिसके चलते भारत जैसे देश के लिए संकट की आर्थिक लागत सालाना 150 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है।
विश्व के अन्य देशों का क्या है हाल?
वैसे रिपोर्ट को देखा जाए तो सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी देश 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) द्वारा निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरा था। एयर क्वालिटी रैंकिंग में भारत की राजधानी दिल्ली (85.5) को सबसे प्रदूषित शहर के रूप में रखा गया है। तो वहीं इसके बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका (78.1) और तीसरे नंबर पर अफ्रीका महाद्वीप के चाड देश की राजधानी अन जामेना (77.6) है। इस लिस्ट में चौथे नंबर पर तजाकिस्तान का दुशांबे,पांचवें पर ओमान का मस्कट, छठे पर नेपाल का काठमांडू, सातवें पर बहरीन का मनामा, आठवें पर इराक का बगदाद नौंवें पर किर्गिस्तान का बिसकेक और दसवें पर उज़्बेकिस्तान का ताशकंद शहर है। वहीं, प्रदूषण के मामले में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद 11वें नंबर पर है। रिपोर्ट के मुताबिक, पाक की राजधानी नई दिल्ली से भी ज्यादा स्वच्छ है।
वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े पर्यावरण सम्बन्धी खतरों में से एक है जो हर साल करीब 70 लाख लोगों की जान ले रहा है। इतना ही नहीं यदि 2019 के आंकड़ों को देखें तो दुनिया की 90 फीसदी से ज्यादा आबादी ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर है जो धीरे-धीरे उसकी जान ले रही है। वातावरण में बढ़ते प्रदूषण का शारीरिक, मानसिक और आर्थिक असर काफी भयानक हो सकते हैं। ये प्रदूषण अस्थमा, कैंसर और मानसिक रोगों जैसी बीमारियों की जड़ है। जिसका बोझ दुनिया के लाखों लोगों को ढोना पड़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 222 शहरों ने डब्लूएचओ द्वारा निर्धारित मानकों को हासिल किया था जबकि दूसरी तरफ 93 शहरों में वायु प्रदूषण के स्तर तय मानकों से करीब 10 गुना ज्यादा था।
वहीं यदि इससे होने वाले आर्थिक नुकसान को देखें तो रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण हर रोज 60938 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा रहा है जोकि विश्व के सकल उत्पाद के करीब 4 फीसदी के बराबर है। रिपोर्ट का मानना है कि वायु प्रदूषण समाज के कमजोर तबके को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। इसके अलावा अनुमान है कि 2021 में पांच वर्ष से कम उम्र के 40,000 बच्चों की मौत के लिए सीधे तौर पर पीएम2.5 जिम्मेवार था। इतना ही नहीं शोध में यह भी सामने आया है कि पीएम2.5 के संपर्क में आने से कोविड-19 संक्रमण का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ जाता है जिससे मृत्यु भी हो सकती है।
सर्दियों में देश के सभी हिस्सों में वायु प्रदूषण में तेजी
गौरतलब है कि इससे पहले सीएसई यानी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सर्दियों के दौरान (15 अक्टूबर 2021 से 15 फरवरी 2022) देश के अलग-अलग हिस्सों की वायु गुणवत्ता का विश्लेषण किया गया था। जिसके अनुसार सर्दियों में देश के सभी हिस्सों में वायु प्रदूषण के कणों में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई थी। खासकर उत्तरी और पूर्वी मैदानी इलाकों में क्षेत्रों के बीच बड़ी दूरी होने के बावजूद प्रदूषण का चरम खतरनाक रूप से ज्यादा था। जानकारों के मुताबिक अगर समय पर सुधारात्मक उपाय नहीं किए गए तो स्थिति और भी जटिल हो सकती है।
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