'वित्त विधेयक 2018' बिना बहस के लोकसभा में महज़ 30 मिनट में पारित

संसद को दरकिनार करने की कला को बीजेपी सरकार तेज़ी से और मज़बूत कर रही है। बिना चर्चा के विधेयक पारित किया जा रहा है खासकर सबसे महत्वपूर्ण वित्त विधेयक को। पिछले साल वित्त विधेयक में आंध्र में तस्करी संबंधित कानूनों की विचित्र घटना के शामिल करने और लोकसभा में इसे जल्दी पारित करने के बाद ठीक इसी तरह लेकिन और ज़्यादा तानाशाही वाला क़दम 14 मार्च 2018 को सत्ताधारी पार्टी ने अपनाया। विपक्षी सांसदों ने इस तानाशाही क़दम के ख़िलाफ़ ज़ोरदार विरोध दर्ज किया।
यद्यपि वित्त विधेयक 2018 तथा विनियोग विधेयक को शाम 5 बजे के लिए सूचीबद्ध किया गया था लेकिन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अचानक घोषणा की कि यह दोपहर 12 बजे पेश किया जाएगा। चर्चा के लिए गिलोटिन का इस्तेमाल करते हुए स्पीकर ने इसे केवल 30 मिनट में ही लाया गया। गिलोटिन का मतलब विभिन्न विभागों से अनुदान की सभी शेष मांगों के लिए एक साथ वोट देना भले ही इस पर कोई चर्चा हुई हो या नहीं। इन विधेयकों को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके लिए बीजेपी के सभी सदस्यों को कुछ दिन पहले ही सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया गया था। ज्ञात हो कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की निचले सदन में भारी बहुमत है।
इन दो विधेयकों के पारित होने का मतलब है कि शायद पहली बार ऐसा हुआ होगा कि लोकसभा में किसी बहस के बिना देश के इस महत्वपूर्ण बजट को पारित कर दिया गया और अंतिम रूप दे दिया गया। यह बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाली अंतिम पूर्ण बजट है क्योंकि आम चुनाव2019 में होने वाले हैं और मौजूदा सरकार ने प्रथा के अनुसार होल्डिंग बजट प्रस्तुत किया।
लोकसभा में पारित होने के बाद ये दोनों विधेयक अनुमोदन के लिए राज्यसभा भेजा जाना है, लेकिन चूंकि ये दोनों धन विधेयक हैं इसलिए इन्हें ऊपरी सदन में अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है और यदि राज्य सभा 14 दिनों के भीतर इन विधेयकों को वापस लोकसभा में नहीं भेजती है तो उन्हें पारित माना जाएगा। ज्ञात हो कि ऊपरी सदन में विपक्षी दलों की बहुमत है।
बाद में कई विपक्षी पार्टियों ने बिना उचित सूचना के मतदान के लिए पेश किए गए बजट को लेकर सरकार के फैसले के ख़िलाफ विरोध दर्ज करते हुए स्पीकर को सख्त लेहजे में एक पत्र सौंपा। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीपीआई (एम) सांसद मोहम्मद सलीम और आरजेडी सांसद जय प्रकाश यादव सहित अन्य नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने श्रीमती महाजन को यह पत्र दिया।
विपक्षी पार्टियों के सौंपे गए पत्र में उजागर किया कि 5 मार्च को हुए अंतिम व्यापार सलाहकार समिति की बैठक में सरकार ने कृषि मंत्रालय सहित छह मंत्रालयों के लिए बजट पर चर्चा के लिए समय आवंटित किया था। लेकिन बजट पर मतदान के लिए तारीख़ और समय का निर्णय नहीं किया गया था।
पत्र में कहा गया, "यह सरकार के अहंकार और सदन के पटल पर चर्चा किए बिना सभी वित्तीय कार्यवाही को ध्वस्त करने का एकतरफा कदम दिखाई देता है।"
विपक्षी दलों ने कहा कि पिछले सात दिनों से सदन की कार्यवाही बाधित कर दी गई है क्योंकि सरकार ने नीरव मोदी के पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी पर चर्चा करने से इनकार कर दिया है। पत्र में कहा गया कि "सरकार सदन के सुचारु कार्य के लिए इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आगे भी नहीं आ रही है। दूसरी ओर सरकार बिना किसी जांच के सभी विधेयक (केंद्रीय बजट) को किसी भी क़ीमत पर पारित करने को प्रतिबद्ध है।"
विपक्षी दलों द्वारा भारत के सबसे बड़े बैंकिंग फ्रॉड, कावेरी नदी के पानी के बंटवारे और आंध्र प्रदेश के विशेष पैकेज जैसे मुद्दे उठाए जाने के बाद 5 मार्च से शुरू हुए बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद के दोनों सदनों में कामकाज स्थगित है।
पिछले साल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सदन के समक्ष 48 घंटों से भी कम समय में सरकार के अपने विधेयक में संशोधन के 30 पृष्ठों को पेश किया जिसे समीक्षा के लिए रखा गया था। बड़े पैमाने पर किए गए इस संशोधन पर कोई चर्चा नहीं हुई और इसे सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा आगे बढ़ा दिया गया। इन संशोधनों में बायोमेट्रिक आधारित आधार संख्या का एक विस्तारित दायरा भी शामिल था जिसे करदाताओं को रिटर्न दाखिल करते समय उनके विशिष्ट पहचान संख्या प्रदान करने के लिए अनिवार्य बना दिया गया था। इसमें एक नया अध्याय भी शामिल है जिसने संसद द्वारा पारित पिछले 27 कानूनों को बदल दिया। इन संशोधनों ने वर्षों से विभिन्न अधिनियमों के माध्यम से संसद द्वारा गठित विभिन्न न्यायाधिकरणों में अभूतपूर्व परिवर्तन किए।
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