केरी के दावे के विरुद्ध उत्तरी कोरिया के रक्षा मंत्री जीवित हैं
दक्षिण कोरिया की खुफिया और प्रचार एजेंसी ने ऊटपटांग अटकल लगाते हुए यह कह डाला कि उत्तरी कोरिया ने अपने एक उच्च मिलिट्री अफसर हयोंन योंग चोल जोकि रक्षा मंत्री है को बेईमान होने की वजह से एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ा देने के लिए कहा है. इस बेहूदा दावे के समाचार में रहने के कुछ घंटो के बाद ही इन्हें इस खबर से पीछे हटना पड़ा. इस सबके बावजूद जॉन केरी जोकि अमरिका के गृह सचिव हैं ने सीओल में एक प्रेस सम्मलेन इस खबर के सच होने के दावे को बार-बार दोहराया और इस खबर को ग्लोबल मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया, इस खबर को छपने में हिन्दुस्तान के प्रमुख अखबार जैसे टाइम्स ऑफ़ इंडिया और हिन्दुस्तान टाइम्स भी पीछे नहीं रहे. ग्लोबल मीडिया में किसी ने भी इसकी सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की और न ही खबर के सूत्रों की तहकीकात की. बजाये इसके, केरी के इस फर्जी दावे को एक सुसमाचार मान कर प्रकाशित कर दिया गया”. एक आर्मी जनरल को जिबह करने की भयावह, विचित्र और भयानक खबर को एक बेबुनियाद स्रोत के आधार पर सर्वाजनिक ढंग से छाप दिया गया. और उसका आधार भी बहुत ही बेहूदा बताया गया”.
                                                                                                                                           
राष्ट्रीय खुफिया सेवा, जोकि दक्षिण कोरिया की खुफिया एजेंसी है ने खबर को मुख्यता प्रचारित किया कि किम ने हयोंन योंग चोल को बेईमानी के लिए एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ाने के हुक्म दिया है. जनरल ह्योन का अन्य ‘अपराधों’ के अलावा यह भी कसूर था कि वे किम द्वारा की जा रही एक मीटिंग में सो गए थे.
दक्षिण कोरिया के व्यवस्थापक किम क्वांग जिन ने ए.बी.सी. समाचार को बताया सीओल की खुफिया एजेंसी ने एक बंद कमरे की मीटिंग में कहा कि हयों को 29 या 30 अप्रैल को सोने और असामान ढंग से व्यवहार करने के लिए उच्च रैंकिंग सैन्य कर्मियों की आँखों के सामने एंटी एयरक्राफ्ट बन्दूक से उड़ा दिया गया. जब ए.बी.सी. न्यूज ने इस कहानी को प्रकाशित किया तो खुफिया एजेंसी ने यह कहकर कि जनरल को शायद मारा नहीं गया है बल्कि उसे उसके पद से हटा दिया गया है, कहकर अपने बयान से पलट गयी.
“मीटिंग में सोने की सज़ा के लिए एंटी एयरक्राफ्ट गन से उड़ा देने जैसी “भयावह’ खबरे उत्तरी कोरिया के बारे में दक्षिण कोरिया की एजेंसियों के जरिए पहले भी आती रही हैं ताकि इसकी आड़ में कुछ सांसदों के बजट में बढ़ोतरी जारी रहे. अब वही पागल लोग जिन्होंने यह खबर प्रेस में उडाई थी लोगों को मजबूर कर रहे हैं की उनसे पूंछे कि "बदनाम" और "बेरहमी से मार डाला" जाने वाला उत्तर कोरियाई जनरल ज़िंदा टी.वी. पर नज़र कैसे आ रहा है. इसके बाद खुफिया एजेंसी अपने दावे को वापस ले लेती है.
अद्दिक्टिंग इन्फोर्मेशन वेबसाइट कहती है “यह भी एक दावा किया गया था कि किम-जोंग-उन ने अपने अंकल को भूखे कुत्तो के आगे डाल दिया है बाद में जोकि एक व्यंग वेबसाइट का एक चारा निकला. यह झूठ तब पकड़ा गया जब उनके अंकल महीनों बाद ज़िंदा पाए गए. निश्चित तौर पर इस झूठ का स्रोत 2001 अमरिका में ही सेट किया गया था, इसका मकसद उत्तरी कोरिया में मौजूदा निजाम को पलटकर वहां अपना पिट्ठू बैठाना था.”
उत्तरी कोरिया के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है कि उसके बारे में झूठ की खबर को बड़ी ख्याति मिलती है, जबकि उस खोखले दावे से पलटने की खबर को छोटी सी खबर बनाकर एक कोने में कहीं छाप दिया जाता है. और इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि खंडन की खबर को छापा जाता भी है या नहीं. यह कहानी भी इराक में अमरिका द्वारा जन तबाही के हाथियारों को ढूँढने, अस्साद की सेना द्वारा क्लोरिन हमले की खबर और ऐसे ही असंख्य झूठ जैसी खबर है. हालांकि धोखाधड़ी के रूप में उजागर खबर के बावजूद वह आम जनता के दिलों में समाई रह जाती है.
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