ख़बरों के आगे–पीछे: SIR; एक लड़ाई तीन मोर्चे– सड़क, संसद, सुप्रीम कोर्ट

बिहार में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण (SIR) अब देश का प्रमुख मुद्दा बनता जा रहा है। संसद और बिहार विधानसभा के बाद अब विपक्ष पूरी तरह सड़क पर उतर गया है और आज 17 अगस्त से बिहार में तो वोटर अधिकार यात्रा भी शुरू हो गई है। जिसकी शुरुआती तस्वीरों में ही इंडिया ब्लॉक ने एक बड़ी एकजुटता और ताक़त का संकेत दे दिया है। यानी यह लड़ाई सड़क, संसद-विधानसभा और सुप्रीम कोर्ट तीनों मोर्चों पर जारी रहेगी।
भाजपा नेता और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू तर्क दे रहे हैं कि चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर पर संसद में चर्चा नहीं हो सकती, क्योंकि चुनाव आयोग भारत सरकार के किसी विभाग के अधीन नहीं आता है। यह अलग बात है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करता है, जिसमें प्रधानमंत्री, उनकी सरकार के एक मंत्री और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष सदस्य होते हैं। इसके बावजूद कहा जा रहा है कि संसद मे इस पर चर्चा नहीं हो सकती है।
हालांकि बिहार विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत ही एसआईआर पर सर्वदलीय चर्चा से हुई। विस्तार से हुई इस चर्चा में विपक्ष की ओर से तेजस्वी यादव सहित कई नेता इस पर बोले तो सरकार की ओर से राज्य सरकार के वरिष्ठ मंत्री विजय चौधरी ने बहुत विस्तार इसका जवाब दिया। उन्होंने तमाम तथ्य सदन के सामने रखे और विपक्ष के हर सवाल का जवाब दिया।
ध्यान रखने की जरुरत है कि यह चुनाव आयोग पर चर्चा नहीं है, बल्कि उसके एक अभियान पर चर्चा है, जिससे चुनाव प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद अगर सरकार चर्चा नहीं करा रही है तो इसका मतलब है कि वह एसआईआर से जुड़े सवालों के जवाब से बचना चाहती है।
रूडी ने बालियान को नहीं शाह को हराया!
कांस्टीट्यूशन क्लब के सचिव (प्रशासन) पद के हाई प्रोफाइल चुनाव में भाजपा के सांसद राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर विजयी रहे। उन्होंने सीधे मुकाबले में अपनी ही पार्टी के पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को एक सौ से ज्यादा वोट से हराया। रूडी न सिर्फ खुद जीते बल्कि अन्य पदों पर उनका सर्वदलीय पैनल भी निर्विरोध जीत गया। कहने को तो यह महज एक क्लब का चुनाव था लेकिन इस सभी की नजरें इसलिए लगी हुई थीं, क्योंकि संजीव बालियान को गृह मंत्री अमित शाह का समर्थन हासिल था और उनकी तरफ से बालियान के चुनाव प्रचार की कमान सांसद निशिकांत दुबे ने संभाल रखी थी।
रूडी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी मंत्री रहे थे और वे वाजपेयी के अलावा लालकृष्ण आडवाणी के प्रिय माने जाते थे। इसलिए जब संजीव बालियान ने चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया तो कहा गया कि यह चुनाव वाजपेयी-आडवाणी की भाजपा और मोदी-शाह की भाजपा के बीच है। इसीलिए चुनाव नतीजा आने पर कहा गया कि रूडी ने बालियान को नहीं बल्कि अमित शाह को मात दी है। रूडी को विपक्षी दलों के सांसदों और पूर्व सांसदों का भी समर्थन हासिल था लेकिन वे जिस बड़े अंतर से जीते हैं, उससे जाहिर हुआ है कि बालियान को अमित शाह का समर्थन होने के बावजूद भाजपा और सहयोगी दलों के सांसदों ने बड़ी संख्या में रूडी को वोट दिया। इसलिए इस चुनाव को भाजपा में बदलते माहौल का संकेत भी माना जा रहा है।
भारतीय नुक़सान को छिपाना क्यों?
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने पिछले शनिवार को बेंगलुरू में और थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को चेन्नई स्थिति आईआईटी मद्रास के एक कार्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर के बारे में विस्तार से जानकारी दी और कई तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया। एयर चीफ मार्शल ने पाकिस्तान को हुए नुकसान का ब्योरा दिया। लेकिन किसी ने भारत को हुए नुकसान के बारे में कुछ भी नहीं कहा। एयर चीफ मार्शल ने तो यहां तक कहा कि पाकिस्तान का कोई भी विमान भारत के मिसाइल सिस्टम या विमानों के आसपास भी नहीं पहुंच पाया। सवाल है कि जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने सिंगापुर में अमेरिकी एजेंसी रायटर्स को दिए इंटरव्यू में कहा कि नुकसान कितना हुआ यह अहम नहीं है, बल्कि यह जानना जरू री है नुकसान क्यों हुआ। उन्होंने माना कि नुकसान हुआ। बाद मे जकार्ता में भारत के डिफेंस अताशे कैप्टन शिवकुमार ने भी कहा कि नुकसान राजनीतिक नेतृत्व के फैसले की वजह से हुआ। संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में रक्षा मंत्री कहा कि परीक्षा में रिजल्ट अच्छा आए तो यह नहीं देखा जाता है कि कितनी पेंसिल टूट गईं। यानी सरकार ने भी माना कि पेंसिल टूटी हैं। फिर कितनी पेंसिल टूटी, कौन सी टूटी, कैसे टूटी, इसके बारे में तो निश्चित रूप से बताया जाना चाहिए। युद्ध में दोनों तरफ का नुकसान होता है यह बहुत स्वाभाविक है। लेकिन पता नहीं क्यों कोई हकीकत बताने से कतराया जा रहा है?
दुर्गापूजा में भी बंगालियों के उत्पीड़न की थीम
इस बार पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा भी खास हो रही है। एक तरफ ममता बनर्जी की सरकार दुर्गापूजा समितियों को पहले से 30 फीसदी ज्यादा अनुदान दे रही है और हर पंजीकृत पंडाल को एक लाख 10 हजार रुपए दिए जा रहे हैं तो दूसरी ओर पूजा पंडालों में बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न की थीम पर मां दुर्गा की मूर्तियां बन रही हैं और पंडाल डिजाइन किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि हर साल पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा के पंडालों में राज्य की जनता का मूड दिखाई देता है। जो भी लोकप्रिय धारणा होती है वह दुर्गापूजा के पंडालों और मूर्तियों से दिखाई जाती है। अगर इस बार बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न का मामला हावी है तो इसका मतलब है कि लोकप्रिय भावना इससे प्रभावित हो रही है।
ध्यान रहे अगले साल पश्चिम बंगाल में विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उससे पहले बनर्जी ने बांग्ला भाषा और बांग्ला अस्मिता का मुद्दा बनाया है। उन्होंने भाजपा शासित राज्यों में बांग्लादेशी के नाम पर बांग्ला बोलने वालों को प्रताड़ित करने का मुद्दा बनाया है। गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली से लेकर हरियाणा के गुरुग्राम और उत्तर प्रदेश के नोएडा में काफी बांग्ला भाषी लोग पकड़े गए हैं। एक मामले में तो दिल्ली पुलिसी ने बंग भवन को चिट्ठी भेज दी, जिसमें लिखा था कि बांग्लादेशी भाषा बोलने वाले लोग पकड़े गए हैं। इसे ममता बनर्जी ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इसलिए इस मुद्दे का दुर्गापूजा पंडाल की थीम बनना भाजपा के लिए बड़ी चिंता और परेशानी की बात है।
राष्ट्रपति के 'एट होम’ पर भी चुनावी रंग
राष्ट्रपति भवन में हर साल की तरह इस बार भी स्वतंत्रता दिवस पर एट होम कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस बार के एट होम आयोजन पर आने वाले चुनावों का रंग साफ दिखा। राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए निमंत्रण और एट होम पार्टी के मेन्यू तक में इसकी झलक साफ दिखी। इस बार के एट होम कार्यक्रम की पूरी थीम पूर्वी भारत की सांस्कृतिक परंपराओं और खान पान से जुड़ी रही। यह संयोग है कि अगले तीन महीने में पूर्वी भारत के अहम राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाला है और उसके बाद अगले साल अप्रैल, मई में दो पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल और असम में चुनाव होने वाले हैं। गौरतलब है कि पिछली बार बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गेट पर आयोजित एक फ़ेस्टिवल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लिट्टी चोखा खाते हुए एक फोटो वायरल हुई थी। बिहार का यह लोकप्रिय व्यंजन राष्ट्रपति भवन के एट होम कार्यक्रम के मेन्यू में भी शामिल रहा। इसके अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड के कई लोकप्रिय व्यंजन जैसे आलू मटर चॉप, चने की घुघनी, आलू दम आदि मेन्यू में रहे। मिठाई में भी बंगाल के गुड़ संदेश से लेकर बिहार का अनरसा तक रखा गया। मेहमानों भेजे गए निमंत्रण पर भी इन राज्यों की छाप रही। बांस से बने निमंत्रण बॉक्स के फ्रेम को बिहार की एक खास किस्म की घास से बुना गया। उस पर बिहार, बंगाल, ओडिशा और झारखंड में प्रचलित चित्रकारी भी की गई। राष्ट्रपति भवन की ओर से भेजे गए निमंत्रण में भी पूर्वी राज्यों के मेहमानों को तरजीह दी गई।
मायावती भी बदल रही हैं बंगला
बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती अपना बंगला बदल रही है। गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली के लुटियन जोन में उन्हें और उनकी पार्टी को बंगले आबंटित हैं, जिसमें से वे 35, लोधी इस्टेट का बंगला बदल रही है। हालांकि कुछ समय पहले ही इस बंगले के रेनोवेशन पर भारी भरकम खर्च हुआ है, लेकिन अब मायावती ने इस बंगले को खाली करने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि सरकार को इसकी सूचना दे दी गई है और दूसरा बंगला आबंटित करने को कहा है। बहरहाल, कुछ दिन पहले राहुल गांधी ने भी अपना बंगला बदला। वे काफी समय से 9, तुगलक लेन में रहते थे। लेकिन सूरत की एक अदालत से मानहानि के मामले में सजा मिलने के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता चली गई और उन्होंने बंगला खाली कर दिया। हालांकि बाद में उनकी सजा पर रोक लग गई और सदस्यता बहाल हो गई लेकिन राहुल गांधी उस बंगले में नहीं लौटे। कुछ जानकारों का कहना है कि उस बंगले को अनलकी मान कर उसे खाली कर दिया गया और राहुल उसमें नहीं गए। यह भी कहा जा रहा है कि बंगला खाली करने के बाद कांग्रेस और राहुल दोनों की स्थिति में सुधार हुआ है। माना जा रहा है कि ऐसे ही किसी कारण से बसपा का बंगला भी खाली हो रहा है। क्या पता नया बंगला मिलने के बाद पार्टी की किस्मत चमके!
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
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