कार्टून क्लिक: जी अब भी कीचड़ में कमल ही है!

प्रकृति तो कीचड़ में कमल को इजाज़त देती है, मगर जब राजनीति में इस मुहावरे का प्रयोग होता है तो उसका अर्थ बदल जाता है। राहुल गांधी और तमाम विपक्ष के अडानी मामले को लेकर उठाए गए सवाल और आरोपों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में एक शब्द नहीं बोला, कोई सफ़ाई नहीं दी, बल्कि अपने नाटकीय भाषण में ये ज़रूर बोल गए कि कीचड़ उछालोगे तो कमल खिलेगा।
अब प्रधानमंत्री भारत में उछल रहे कीचड़ की बात कर रहे हैं या फिर अमेरिका वाले, ये समझना बहुत मुश्किल है। लेकिन हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने परोक्ष रूप से उन्हें भी कठघरे में खड़ा कर दिया है।
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