तेलंगाना: टीएसआरटीसी हड़ताल का 10वां दिन, सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी, अब तक 6 मौते

तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) की यूनियनों की अनिश्चितकालीन हड़ताल सोमवार को दसवें दिन भी जारी है। आंदोलनकारी एक व्यक्ति की रविवार को मौत होने के बाद खम्मम जिले में बंद आयोजित किया गया है।
टीएसआरटीसी के खम्मम डिपो से जुड़े चालक 55 वर्षीय डी श्रीनिवास रेड्डी ने शनिवार को खुद को आग लगा ली थी। रविवार को एक अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
रेड्डी की मौत के बाद, करीब 50 वर्षीय एक परिचालक सुरेंद्र गौड़ ने रविवार की रात अपने घर पर फांसी लगा कर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली।
रविवार को वारंगल जिले के नरसामपेट डिपो से जुड़े एक चालक ने भी पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा ली थी लेकिन पुलिस के तत्काल दखल से उनकी जान बच गई।
रेड्डी की मौत के बाद टीएसआरटीसी की संयुक्त कार्यसमिति और कई सियासी दलों ने खम्मम बंद का आह्वान किया था। इस दौरान हड़ताली कर्मचारियों ने प्रदर्शन किए जबकि विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों के कार्यकर्ताओं ने खम्मम और कोठगुड़म जिलों में प्रदर्शन रैलियों में हिस्सा लिया।
खम्मम के पुलिस आयुक्त तफसीर इकबाल ने पीटीआई-भाषा को बताया कि बंद शांतिपूर्ण है और हालात सामान्य हैं।
अब तक 6 लोगो की मौत
रेड्डी की मौत पर आंदोलनकारियों ने राज्य में डिपो और बस स्टैंड पर शोक बैठकें की। लेकिन यूनियन नेताओ ने बताया कि यह कोई पहली मौत नहीं है। इससे पहले भी नौकरी जाने के डर से और आर्थिक तंगी से परेशान होकर कई लोग अपनी जान गँवा चुके हैं। रविवार की इस घटना को मिलकर अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
यूनियन नेताओं के मुताबिक 10 अक्टूबर को, चेंपीचेरला डिपो में बस चालक डी कुमरैया की हैदराबाद के उप्पल में विरोध करने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी डिपो में एक और ड्राइवर, शेख खलील मिया की मृत्यु हो गई क्योंकि वह अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित थे। पद्मा के पति रघु, जो हकीमपेट डिपो में एक कंडक्टर के रूप में काम कर रही थी, को डर था कि उनकी पत्नी को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा, इस वजह से दिल का दौरा पड़ने से उनकी मृत्यु हो गई। अगले दिन, मियापुर डिपो में ड्राइवर के रूप में काम कर रहे इरुक्ली लक्ष्मय्या की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।
हड़ताली कर्मचारियों को अन्य श्रमिक संगठनों का भी समर्थन
यह आंदोलन लगातार जारी है, हड़ताली कर्मचारियों को अन्य कर्मचारी संघों ने भी अपना समर्थन दिया। सोमवार को रेवन्यू विभाग के कर्मचारियों ने भी अपना समर्थन दिया। इससे पहले शिक्षक संघ ,बिजली विभाग शीट कई अन्य विभाग के कर्मचारियों सहित सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन ने भी अपना समर्थन दिया है।
इसके अलावा राज्य के सभी विपक्षी दलों ने भी उनके पक्ष में अपनी एकजुटता जाहिर की है। लेकिन इन सबके बावजूद सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है।
सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी
टीएसआरटीसी की विभिन्न यूनियनों के करीब 49,000 कर्मचारियों के काम का बहिष्कार करने और सरकारी बसों के सड़कों से नदारद होने से यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य सड़क परिहवन निगम (आरटीसी) के सरकार में विलय, वेतन समीक्षा, विभिन्न पदों पर भर्ती समेत कई मांगों को लेकर संयुक्त कार्य समिति ने हड़ताल का आह्वान किया था जिसके बाद पांच अक्टूबर से टीएसआरटीसी के कर्मचारी संघ और विभिन्न कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे।
इस पूरे मामले पर सरकार का रुख बहुत ही चिंताजनक है। इन मौतों के बाद भी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने कहा था कि आंदोलनरत कर्मचारी खुद ही बर्खास्त हो गए हैं। इस मामले पर मुख्यमंत्री ने सख्त रुख अपना रखा है और साफ कर दिया है कि आरटीसी का सरकार में विलय नहीं होगा।
इससे पहले, मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शनिवार को कहा था कि हड़ताल कर रहे कर्मचारियों से बातचीत करने या उन्हें वापस लेने का कोई सवाल नहीं उठता।
ये समस्या जल्द हल होती नहीं दिख रही है क्योंकि सरकार ने कर्मचारी यूनियन से बातचीत करने से साफ इंकार कर दिया है। बल्कि हड़ताल को खत्म करने के लिए नए तत्कालिक लोगो को भर्ती करने का आदेश निकला और कहा इन नए कर्मचारियों से बसों का संचालन करेगी। इससे कर्मचारी में और अधिक गुस्सा है। कर्मचारियों ने कहा की कोई बस सड़क नहीं उतरने नहीं देंगे।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)
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