पाकिस्तान : धार्मिक अल्पसंख्यकों के समान अधिकार की मांग को लेकर हज़ारों का प्रदर्शन

पाकिस्तान के कराची में रविवार, 10 अगस्त को हज़ारों लोग YMCA ग्राउंड से सिंध विधानसभा तक मार्च करते हुए पहुँचे। उन्होंने देश की लाखों धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी के साथ जारी भेदभाव और उत्पीड़न को उजागर किया और सभी पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सामाजिक व राजनीतिक समानता की माँग की।
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित यह मार्च “माइनॉरिटी राइट्स मार्च” नामक अल्पसंख्यक अधिकार आंदोलनों के एक साझा मंच द्वारा आयोजित किया गया था। इसमें महिलाओं, यौन अल्पसंख्यकों, ट्रेड यूनियनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधि शामिल थे।
प्रतिभागियों ने बैनर-पोस्टर थामे, नारे लगाए और देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर होने वाले तरह-तरह के भेदभाव और अत्याचार को सामने रखा। रैली में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से भी धार्मिक उत्पीड़न के मुद्दे को रेखांकित किया गया।
कई वक्ताओं ने देश में सामाजिक और राजनीतिक सुधारों की ज़रूरत पर बल दिया, ताकि अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बने हुए व्यवस्थागत पक्षपात समाप्त हो सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य ने संविधान के अनुच्छेद 40 और 91 से उन प्रावधानों को नहीं हटाया है, जो गैर-मुस्लिमों को सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर आसीन होने से रोकते हैं, और यही भेदभाव को बढ़ावा देता है।
वक्ताओं ने शिक्षा और क़ानून व्यवस्था में भी बदलाव की माँग की, ताकि धार्मिक घृणा और भेदभाव समाप्त हो सके।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक जबरन धर्मांतरण और ईशनिंदा (blasphemy) के नाम पर हिंसा का शिकार होते हैं। धार्मिक मतभेद के नाम पर फैल रही नफ़रत ने हाल के महीनों में कई हिस्सों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भीड़ द्वारा हत्या (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं में वृद्धि की है।
पाकिस्तान की लगभग 4% आबादी धार्मिक अल्पसंख्यकों की है, जिनमें अधिकतर हिंदू, ईसाई, सिख और इस्लाम के ग़ैर-परंपरागत मत जैसे अहमदिया समुदाय के लोग शामिल हैं।
अध्ययनों में पाया गया है कि जबरन धर्मांतरण और ईशनिंदा के नाम पर हिंसा के अलावा, पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी कुछ विशेष पेशों तक सीमित कर दिया जाता है और उन्हें घेटो (ghetto) जैसी परिस्थितियों में रहने के लिए मजबूर किया जाता है। सार्वजनिक स्थलों पर रोज़मर्रा का भेदभाव, धार्मिक प्रतीकों और आस्थाओं का दमन, आम बात है।
अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि पाकिस्तान में राज्य और क़ानून-व्यवस्था एजेंसियाँ अक्सर पक्षपाती रवैया अपनाती हैं और दशकों के संघर्ष के बाद बने उन क़ानूनों को भी लागू नहीं करतीं, जो अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए बनाए गए हैं।
समानता और सद्भाव
पाकिस्तानी राज्य ने पहली बार 2009 में 11 अगस्त को “राष्ट्रीय अल्पसंख्यक दिवस” के रूप में मान्यता दी थी। लेकिन इस वर्ष का माइनॉरिटी राइट्स मार्च अब तक का केवल तीसरा ऐसा आयोजन था।
इन मार्चों का केंद्रीय उद्देश्य रहा है—चाहे हिंदू हों, सिख हों या अहमदी—सभी अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले धार्मिक भेदभाव और उत्पीड़न को मुख्यधारा में लाना, और देश में धार्मिक सद्भाव एवं संवैधानिक समानता के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए वामपंथी और प्रगतिशील ताक़तों का व्यापक गठबंधन बनाना।
धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभाव और उत्पीड़न का मुद्दा लंबे समय से पाकिस्तान की वामपंथी और प्रगतिशील ताक़तों के लिए चिंता का विषय रहा है।
मज़दूर किसान पार्टी (MKP) के नेता और शिक्षाविद तैमूर रहमान ने राज्य और समाज द्वारा अल्पसंख्यकों के साथ किए जाने वाले बर्ताव को “मध्ययुगीन” और “पाकिस्तान के सामाजिक ढाँचे के लिए गंभीर ख़तरा” बताया।
पिछले साल के मार्च में भाग लेने वाले पर्यावरण एवं राजनीतिक कार्यकर्ता ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा और उसके अपराधियों को दंड से छूट मिलना, देश के बुनियादी सिद्धांतों से ग़द्दारी है।
भुट्टो ने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए माँग की—पाकिस्तानी “अल्पसंख्यक समुदायों की गरिमा और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हों।”
इस वर्ष के मार्च के आयोजकों ने धार्मिक सद्भाव और समानता के लिए 11 सूत्रीय माँग-पत्र पेश किया।
इनमें अनुच्छेद 40 और 91 में संशोधन कर संवैधानिक भेदभाव समाप्त करना, स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से सभी नस्लीय भेदभावपूर्ण संदर्भ हटाना, शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण, देश के ईशनिंदा क़ानून में संशोधन या उसे समाप्त करना, और राज्य द्वारा सक्रिय रूप से समानता के मूल्यों को बढ़ावा देना शामिल है।
सौजन्य: पीपुल्स डिस्पैच
मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित रिपोर्ट को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए--
Pakistan: Thousands Rally Demanding Equal Rights for Religious Minorities
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